Matrix? Your Vs Their?
Media is matrix?
Your matrix and their matrix?
Your matrix culture and their matrix culture?
सोचो कोई राजनीतिक पार्टी, कोई मैट्रिक्स तैयार कर रही है "बहनचो मैट्रिक्स"। नाम ही कितना गंदा है ना? किसी भद्दी गाली के जैसा? आपकी नज़र में है क्या ऐसी कोई पार्टी?
सुना है, वो ऐसा कुछ 2000 या शायद उससे भी पहले से कर रहे हैं? सच में? अगर सच में हाँ, तो क्या राजनीतिक पार्टियों के पास कोई ढंग के मुद्दे नहीं हैं क्या?
सुना है की एक मूवी आई थी 2000 के आसपास, उसमें एक भारतीय दम्पति ने अपनी बच्ची को सती कर दिया। क्या? और ये बच्चियों को सती करने की परम्परा आज तक कायम है? पता नहीं। वो जानने के लिए 2021 की मैट्रिक्स देखनी पड़ेगी।
आप सच की राजनीती के बारे में ऐसा सोचने लगे थे? नहीं, नहीं, मैं तो मैट्रिक्स मूवी की बात कर रही थी। Hollywood SciFi मूवी की एक सीरीज है। मूवी का सब हकीकत थोड़े ही होता है?
वैसे 2000 के आसपास ऐसा कुछ तो हुआ था, की किसी ने किसी भाई को बोला, I like blah, blah person. और वो so called भाई, थोड़ा उखड़ गया हो? जैसे, यही मिला पसंद करने को? और कुछ नहीं है आसपास? खैर! वो बच्चों के से वक़्त थे। आज की तरह hifi नहीं। हाँ। कोई Hi5 सोशल साइट जरुर आई थी, चिरकुट और फेसबुक से भी पहले? अब 2000 या 2005 की बातों के 2025 में भला क्या मायने हो सकते हैं?
मगर सुना है, की राजनीतिक पार्टियाँ लोगों पर पैदाइशी ही स्टीकर चिपकाने के काम करती हैं? सच में? अब ये तो खुद राजनीतिक पार्टियाँ ही बता सकती हैं?
राजनीतिक पार्टियों ने so called intelligentia के साथ मिलकर, दुनियाँ भर में एक ऐसा सिस्टम बनाया हुआ है, जो इनके बनाए stickers को आपकी IDs के रुप में हर जगह, हर कदम और हर वक़्त साथ लेकर चलता है। कहाँ पर, कैसी पार्टी सत्ता में है, उसके अनुसार आप इन स्टीकरों की मार को झेलते हैं। वैसे सुना है, सत्ता के इलावा भी दूसरी राजनीतिक पार्टियाँ और उनका intelligentia, सत्ता से बाहर होने के बावजूद अपना असर रखता है। उसको समझने के लिए किसी भी तरह का मीडिया अहम भुमिका निभाता है। वो फिर चाहे खबरों के चैनल हों या सीरियल्स या मूवी। हाँ। आज के वक़्त में इंटरनेट सबसे शश्क्त माध्यम है। ये वो मीडिया या मैट्रिक्स है, जो आज की दुनियाँ को काफी हद तक अपने कब्ज़े में किए हुए है। वो भी ज्यादातर आपकी जानकारी के बिना।
सुना है की कहीं, कहीं ये stickers काम नहीं भी करते? या शायद मिट भी जाते हैं? नहीं, नहीं, वो वाले नहीं, की आपने किसको पसंद किया, किसको किश या किसको मिस? वो वाले की, आपने कुछ खून तक किए और किसी ख़ूनी पार्टी का वक़्त आया, जब और ज्यादा खून हुए। आसपास के वक़्त में हुआ था, क्या ऐसा कुछ? कोरोना शायद? जाने कहाँ कहाँ किस किसकी और कैसे कैसे ऑक्सीजन ही ख़त्म हो गई? उसके बाद वो छुटके-मुटके स्टिकेर्स तो कायम रहे और लोगों को पता ही नहीं की ज़िंदगी की कैसी-कैसी सुविधाओं से हाथ तक धोने पड़े। कुछ का तो सुना है वो सब लूट लिया गया, जो उनकी पूरी ज़िंदगी की कमाई था। सच है क्या ये? हाँ। कुछ खूनियों को ऐसा कुछ बैठे-बिठाए इनाम में जरुर मिला? बैठे बिठाये? या उस ख़ूनी पार्टी के कुछ खास तरह के काम करने का ईनाम? वैसे ये खूनी पार्टी कोई एक ही पार्टी है? या हर पार्टी में नहीं तो, ज्यादातर पार्टियों का कुछ हिस्सा तो है ही?
तो इससे क्या समझ आता है? की स्टिकेर्स भी आम लोगों पर ही काम करते हैं? वो फिर चाहे कैसे भी हों? अगर आपके पास सत्ता और सँसाधन हैं, तो जो जब चाहो, जगह, इंसान और अपने कुकर्मों के स्टिकेर्स तक बदल लो? नहीं, अगर सँसाधन और सत्ता है, तो जगह और इंसान भी बदलने की क्या जरुरत? गंगा ऐसे ही नहा जाओगे? मैट्रिक्स या मीडिया कल्चर बनाना और बिगड़ना तो संसाधनों का खेल है? मैट्रिक्स जैसी SciFi मूवी सीरीज़ तो सिर्फ समाज का कोई छोटा सा आईना भर दिखाती हैं? अब मूवी हैं तो बढ़ा चढ़ा मिर्च मसाला तो होगा ही। और उसपे SciFi हो, वो भी हॉलीवुड की? तो कहने ही क्या? शायद इसीलिए कहते हैं की SciFi देखना हो तो Hollywood और RomCom देखना हो तो Bollywood?
इनसे आगे किसी की रुची अगर न्यूज़ चैनल्स की तरफ हो तो? उसके लिए भी शायद अमेरका की तरफ ही देखना पड़ेगा?
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