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Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Saturday, May 20, 2023

घर, गावँ, शहर, राज्य या देश में ही संसार या वसुधैव कुटुम्बकम ?

घर में संसार, गावँ में ही संसार, आपके शहर में ही संसार, राज्य या देश में ही संसार या वसुधैव कुटुम्बकम? 

क्या संभव है की आपके घर में या आसपास में ही हिंदुस्तान, पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक, दुबई, इजराइल, फिलिस्तीन, इंग्लैंड, फ्रांस, स्वीडन, नॉर्वे, अमेरिका, कनाडा, अफ्रीका आदि देशों का वास हो?

संसार वही है, जहाँ आप रहते हैं? जितना आप सोच सकते हैं? या जितनी जगह आप आ, जा सकते हैं और घुम या रह सकते हैं? शायद दोनों ही सच है?

स्वर्ग और नर्क का फर्क काफी हद तक आपकी सोच पर है और काफी हद तक आपके आसपास के लोगों पर। क्या करते हैं वो आसपास वाले? और आप क्या करना चाहते हैं? क्या जीवन शैली (lifestyle) है उनकी? और आपकी? क्या सपने हैं आपके और उनके? कितना सहयोग या दखल है उनका आपकी जिंदगी में? इनमें जितना ज्यादा समानता या अंतर होगा, आपका जीवन उतना ही स्वर्ग या नरक होगा। घर, संसार भी यही है, और वसुधैव कुटुम्भकम भी।   

अगर आपकी सोच, आपके सपने, अपने आसपास से मेल नहीं खाते तो पहले तो ऐसी जगह ढूंढिए, जहाँ वो तालमेल बन सके। या अपने आसपास के वातावरण को जितना हो सके ऐसे बनाइए की वो तालमेल बन सके।

आपकी ज़िंदगी कैसी है, ये काफी हद तक आपके वातावरण पर निर्भर करता है। जैसे किसी पौधे की ज़िंदगी उसका वातावरण तय करता है। उसे कितना, किस मात्रा में खाद-पानी, धूप-छाँव चाहिए और कितना मिल रहा है। हाँ! यहाँ पौधों और इंसानों में एक खास फर्क है, वो है दिमाग का। खासकर, वयस्क इंसानों के लिए। उसका प्रयोग कर आप विपरीत वातावरण में भी काफी कुछ कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। मगर ये तय आपको करना होगा, की उसके लिए क्या क़ीमत देने को आप तैयार हो सकते हैं ? और क्या नहीं दे सकते ?   

विपरीत वातावरण और तनाव और उसके प्रभाव, एक दुसरे के होने का सिद्ध करना जैसे। ये इंसानों में ही नहीं, पेड़ पौधों और जानवरों में भी होता है। इसका थोड़ा बहुत होना, शायद जायज़ भी है और आगे बढ़ने के लिए जरूरी भी। मगर ज्यादा का मतलब, बीमारियों का घर। तनाव के होने के कारणों को रोकना मतलब, बीमारियों को रोकना। जानते हैं इन्हें भी किसी और पोस्ट में। 

Monday, May 1, 2023

गाँव-शहर, कल और आज

बदला हुआ तो बहुत कुछ है, इन गॉंवों में भी। हालाँकि गॉंवों के हालात आज भी उतने बेहतर नहीं है, जितने इतने सालों बाद हो जाने चाहियें। 

जो बदला हुआ है वो अच्छा भी है और बुरा भी। 

सोच। पढ़ाई-लिखाई का असर? नयी पीढ़ी की सोच, पहले की बजाय अब कम लड़का-लड़की में फर्क करती है। जो सुनने को मिली, इधर या उधर। "लड़कियाँ नौकरी भी करें। घर का काम भी करें। और इनका रौब भी सहें।" अब इस, इनमें बहुत कुछ आता है। "आगे बढ़ना है तो कमाना तो खुद ही होगा। भिखारी रहोगे तो औकात भी भिखारी जैसी ही रहेगी।" शायद, ऐसा ही कुछ, बहुत से झगड़ों और divorce की वजह भी हैं। 

सफाई, ज्यादातर जगह पहले से ज्यादा है। शहरों की पॉश कॉलोनियों को छोड़, गाँवों की ऐसी जगहें, शायद शहरों से बेहतर हैं। बाकी गाँव, गाँव ही है। इसीलिए शायद बहुतों को पसंद नहीं आते। सुविधाएँ, शहरों से कम ही होती हैं। हाँ! जिन्हें हरियाली पसंद हो, भीड़ और भागम-भाग की ज़िंदगी पसंद ना हो, उनके लिए शायद अच्छा है।           

जो बदला हुआ है, मगर अच्छे के लिए नहीं। कूड़ा-कचरा समाधान ही नहीं है। ऐसा नहीं है की पहले होता था। मगर कुछ जगह इतना बुरा हाल नहीं होता था, जितना अब दिखने को मिलता है। पीने का दुषित और संक्रमित पानी। पहले सप्लाई वाला पानी इतना बुरा नहीं होता था, जो हालात अब हैं। इतना कम भी नहीं आता था। जहाँ का जमीन का पानी मीठा है, वहाँ तो सही। मगर, जहाँ कड़वा पानी (Hard Water) है, वहाँ बेकाम के काम बढ़ जाते हैं। जुआ और ड्रग्स, पहले सुनने में ही नहीं आते थे। अब कुछ ऐसे अड्डे हैं। सुना है, जहाँ पुलिस भी आती है (खेलने) और राजनीतिक पार्टियों के दाँव भी लगते हैं! बाकी ज्यादातर बेरोजगारों और कम पढ़े-लिखों की फौज होती है।  शराब पहले भी सुनने-दिखने को मिलती थी। अब भी है। ये सब राजनीति के बेहुदा रूप हैं और उसी के साये में पनपते हैं।

प्राइवेट स्कूलों की बहार है। मतलब सरकारी स्कूल खटारा हैं। सरकारी स्कूल पहले भी खटारा ही होते थे। मगर इतने प्राइवेट स्कूल नहीं थे। 

ऐसे राज्यों की सरकारें फिर कर क्या रही हैं? वैसे, जो सरकार अच्छी शिक्षा नहीं दे सकती और पीने का साफ़ पानी तक नहीं दे सकती। वो सरकार शायद खुद अनपढ़ और गँवार है। वो कुछ भी नहीं दे सकती।