About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, March 25, 2024

Media and Social Tales of Social Engineering

Social Tales of Social Engineering 

इसके आगे कुछ लगाना भूल गई थी। अब लगा दिया है। मीडिया (Media) और ये हो गया 

Media and Social Tales of Social Engineering 

क्यूँकि, मीडिया के बैगर कुछ भी संभव ही नहीं है। मीडिया वो पर्यावरण ( Environment ) है, जिसमें आप पैदा होते हैं। जिसमें आप साँस लेते हैं। जो आप खाते-पीते हैं। पहनते हैं, जैसे आप बोलते हैं या सोचते हैं। जहाँ आप रहते हैं। पढ़ते-लिखते हैं या नौकरी करते हैं। जो कुछ भी आप देख, सुन या अनुभव कर सकते हैं, वो सब मीडिया है। उससे भी आगे जिसका आपको ज्ञान नहीं है और जो रहस्मई तरीके से, चोरों की तरह आपके आसपास छुपा है, वो मीडिया है। जो आपको देख सकता है, सुन सकता है। सबसे बड़ी बात जो आपको कुछ का कुछ अनुभव करवा सकता है। जो आपकी ज़िंदगी को, आपकी जानकारी के बिना कंट्रोल करता है, वो मीडिया है। 

इसी मीडिया में छुपा है, आपकी ज़िंदगी कैसी चलेगी उसका राज। उसमें कैसी खुशियाँ या हादसे होंगे, उनके राज। आपके स्वास्थ्य और बिमारियों के राज। आपकी लम्बी आयु या जल्द मौत के राज तक को जानने में सहायक है ये। जब ये सब समझ आना शुरू हुआ, तो ध्यान आया Microlab Media । क्यूँकि, ऐसा तो वहीं संभव है। जब टेक्नोलॉजी, मीडिया और रीती-रिवाज़ों या आस्थाओं और धर्मों के पीछे छुपे बैठे, शैतानों? भगवानों? या इंसानों? को समझना शुरू किया, तो इसका नाम रख दिया Social Media । जिसकी लैब, किसी छोटे-बड़े इंस्टिट्यूट की कोई लैब ना होकर, सारा समाज है। एक बड़ी, मगर खुली लैब। जिसमें पता ही नहीं, कैसी-कैसी ताकतें, डिफ़ेंस, सिविल, राजनीतिक या आर्थिक, उसे अपने-अपने फायदे के लिए कंट्रोल करने पे लगी हैं।          

पता वही है, जो पहले था। 

https://socialtalesofsocialengineering.blogspot.com/     इसे कॉपी पेस्ट कर लें

या दिए गए लिंक को क्लीक करें Media and Social Tales of Social Engineering

Saturday, March 23, 2024

रंगो को मिलाओ ना ऐसे

तेरी होली, 

मेरी होली, 

इसकी होली, 

उसकी होली, 

सबके इन त्यौहारों को समझने के,

मनाने के, शायद तौर-तरीक़े अलग हों। 


क्यूँकि, मेरी समझ 

तेरी समझ 

इसकी समझ 

उसकी समझ 

जरुरी नहीं, एक हो 

और सबके लिए नेक हो। 


अपनी समझ 

अपनी सोच 

रखो पास अपने

अगर समझा ना सको 

बातों से।  

उसे जबरदस्ती 

इसपे या उसपे 

थोंपने का काम ना करो। 


जरुरी नहीं,

हर कोई खेलना चाहे 

कोई तो दर्शकदीर्घा भी हो 

और ये भी जरुरी नहीं 

की हर कोई 

तुम्हारे तौर-तरीकों से खेलना चाहे 

और ये भी तो हो सकता है 

की कोई बिमार हो 

या किसी को एलर्जी हो 

तुम्हारे खुँखार रंगों से 

या तुम्हारे गंदे पानी से 

या शायद किसी को 

तुम्हारे साफ़ पानी और रंगों से भी 

परेशानी हो। 


तो क्यों जोर जबरदस्ती?

खेलो उनसे, जो तुमसे खेलना चाहे

थोड़ा दूर उनसे 

जो सिर्फ दर्शक-दीर्घा बनना चाहें  

या अपने काम काज़ से 

कहीं निकलना चाहें। 


इस होली, 

रंगो को मिलाओ ना ऐसे, 

की वो कालिख़ बन जाएँ। 

उन्हें सजाओ तुम ऐसे, 

की वो इंदरधनुष-से खिल जाएँ। 

Friday, March 15, 2024

तेरे आगमन पे

तेरे आगमन पे 

ये तबके आज भी यूँ, दबके-दुबके से क्यों हैं? 

बच्चा आया हो तो, माहौल क्यों ना खुशनुमा हो?

तेरे जन्म पे यूँ क्यों, दुबका-दुबका सा रहता है - 

आज भी समां-सा यहाँ?

ये कौन-से तबके हैं?

कैसे-कैसे, दबके-दुबके से हैं?

मिठाइयाँ क्यों ना बटें?

क्यों ना इनके थाल पीटें?

ठीक वैसे, 

जैसे पीटते हैं ये, लड़के के जन्म पे? 

ये कौन-से तबके का जहाँ है?

तेरे आगमन पे मौसम यहाँ, 

क्यों जैसे दबका-दुबका सा है?  

राजनीती के कोढ़ से परे भी 

क्यों ना इनकी अपनी कोई दुनियाँ हो?  

Saturday, March 9, 2024

Nothing has been deleted

Nothing has been deleted. Only shifted to another link with the relevant title, "Social Tales of Social Engineering".

You can check posts there or check the links give below --

2.2.2024

बैंको और जमीनों के अजीबोगरीब किस्से-कहानियाँ (Social Tales of Social Engineering) 8


or copy paste given link
https://socialtalesofsocialengineering.blogspot.com/2024/02/social-tales-of-social-engineering-8.html

2.2.2024

बैंको और जमीनों के अजीबोगरीब किस्से-कहानियाँ (Social Tales of Social Engineering) 9


or copy paste given link
https://socialtalesofsocialengineering.blogspot.com/2024/02/social-tales-of-social-engineering-9.html

I had shifted posts to other blogs earlier also, due to this "too much effect" of cases or posts, like in case of Raaz: Fiction, Illusion or High Tech Crime?. Or in case of Political Diseases or Poems. So it's same in this case also. 

Tuesday, March 5, 2024

Social Tales of Social Engineering (New Blog Address)

Rhythms of Life will be back to its life, away from crime, politics and so called system. All such posts have a new address now Social Tales of Social Engineering

Or you can copy paste the given link --   https://socialtalesofsocialengineering.blogspot.com/