तेरे आगमन पे
ये तबके आज भी यूँ, दबके-दुबके से क्यों हैं?
बच्चा आया हो तो, माहौल क्यों ना खुशनुमा हो?
तेरे जन्म पे यूँ क्यों, दुबका-दुबका सा रहता है -
आज भी समां-सा यहाँ?
ये कौन-से तबके हैं?
कैसे-कैसे, दबके-दुबके से हैं?
मिठाइयाँ क्यों ना बटें?
क्यों ना इनके थाल पीटें?
ठीक वैसे,
जैसे पीटते हैं ये, लड़के के जन्म पे?
ये कौन-से तबके का जहाँ है?
तेरे आगमन पे मौसम यहाँ,
क्यों जैसे दबका-दुबका सा है?
राजनीती के कोढ़ से परे भी
क्यों ना इनकी अपनी कोई दुनियाँ हो?
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