Monday, November 3, 2025

Modren Warfare Pros and Cons 12

Deception? Trickery?  छलकपट? 

 Misconfiguration and Cloud Leak? क्या है ये? 

कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे पड़ोसियों ने आपके घर में सुरँग बना रखी हो, और  आपके घर का कीमती सामान साफ? या उसे हटाकर उसकी जगह कुछ और रख दें? अब ये पड़ोसी आपका साथ वाला घर भी हो सकता है और दुनिया के किसी और ही कोने में बैठा हुआ कोई इंसान भी। 

या शायद कुछ ऐसा बिलकुल आपके सामने की अभी आपको राम की फोटो दिख रही है और अभी रावण की? या अभी कंस की और पलक भी नहीं झपकी की मोदी की या? किसी और की भी दिख सकती है? लेकिन असलियत में उस फोटो में है क्या? ये कैसे पता चले? या सच में कोई फोटो भी ऐसे छलकपट कर सकती है? रावण जैसे इंसानो का तो सुना था की कुछ भी भेष धारण करने की योग्यता थी उसमें। सिर्फ इंसान का ही भेष नहीं बल्की कोई भी जानवर, पक्षी वगरैह भी? सच है क्या? पता नहीं। कहानी ही होंगी सिर्फ? अब लेखकों का क्या है, कुछ भी घड़ दें? इंसानों के पँख लगा दें और वो उड़ने लग जाएँ? या घड़ियाली से अंग और वो जमीं और पानी दोनों में रहने लग जाएँ? या शायद पौधों के जैसा-सा chlorophyll पिग्मेंट सा रंग घड़ दें और सुरज की रौशनी से खाना बनाने की कला? अगर ऐसा होने लगे, तो नौकरी तो फिर कितने करेंगे? शायद करेँगे? घर और सुरक्षित माहौल तो फिर भी चाहिए?

मगर क्या हो की आप जिस किसी वेबसाइट पर अप्लाई करें, उस पर आपको सिर्फ आखिर तिथि ही नहीं बल्की नौकरी का नाम और कंडिशन्स तक कुछ और ही नजर आने लगें? एक दो बार तो लगेगा की शायद मुझसे ही धोखा हुआ होगा? मैंने ही ढंग से चैक नहीं किया होगा? मगर कितनी बार? और कौन कौन सी वेबसाइट पर?

मान लो आपने कहीं कोई ईमेल भेझी, जिसपे पहले से ही ऐसा कुछ लिखा हो, की यहाँ कर लो जॉइन। आपको लगे ये तो मस्त है। मगर फिर कहीं ईधर-उधर से कुछ और भी पढ़ने सुनने को मिले? और आपको लगे शायद कुछ गड़बड़ है? अभी आप सोच ही रहे हों और कुछ ऐसा सा दिखने लगे जैसे? 

मान लो मैंने ऐसा कुछ लिखा 

और कई दिन बाद उसी ईमेल पर ऐसा कुछ पढ़ा 
ये क्या है?
ये तो मैंने नहीं लिखा?
 
साईट को रिफ्रेश कर 
और फिर से जो मैंने लिखा, वही पढ़ने को मिला। 
आपके साथ भी होता है क्या, ऐसा कुछ?   
मेरे साथ तो जबसे मैंने अप्लाई करना शुरु किया है, तभी से? नहीं, नहीं, उससे भी पहले से हो रहा है। जब मैंने MDU को लिखित में शिकायत की थी, की मेरी yahoo email पर बहुत कुछ घपला चल रहा है। कभी कोई ईमेल मिलती ही नहीं और फिर वही ईमेल कहीं किसी और ही फ़ोल्डर में मिलती है। मैंने जो लिखा नहीं, ऐसा कुछ पढ़ने को मिल रहा है। वगैरह, वगैरह। 
Social Tales of Social Engineering 
और 
Social Speech of Social Engineering  
 
सिर्फ एक शब्द का अंतर है, मगर? एक ही शब्द ने जैसे सबकुछ बदल दिया ?
ऐसा भी बहुत बार लिखा है शायद मैंने? खासकर, ब्लॉग्स के बारे में?
मगर उसी वक़्त, यूँ खेलते कैप्चर पहली बार हुआ है?
ऐसा ही?   
 
कुछ-कुछ ऐसे जैसे?
यहाँ अमर जवान सिंधु ज्योति प्रजव्लित है?
तो हम यहाँ?
नर वाली शिल्प कारी घङेंगे?  
 
वो क्या कहते हैं?
AI?
Social Engineering?
Tales?
या 
Speech?
 
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करके कहानी घड़ना? या समाज की घड़ाई?  
एक घड़ाई पीछे वाले घर में हो चुकी 
 और दूसरे वाली?    
अभी चल रही है।    
मगर, जिनपर चल रही है, उनको इसका abc नहीं पता। 
ये है आज की दुनियाँ, जिसमें हम आज रह रहे हैं।   
 
तो कमिश्नर साहब, मुझे अरेस्ट की स्पैम वाली धमकी की बजाय, आप खुद को और अपने जैसे तमाम अफसरों को आम लोगों के सामने अरेस्ट कराएँगे क्या? बताईये उन्हें की आप लोग, कैसा समाज और कैसे-कैसे घड़ रहे हैं? आम लोग तो आप लोगों के अद्रश्य जालों में, वैसे ही कैद हैं। झूठ तो नहीं लिख दिया कुछ?     
 
यहाँ आप लोग शब्द हर उस पार्टी के लिए है, जो ऐसे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का प्रयोग या दुरुपयोग करके, आज का समाज घड़ रहे हैं। अपनी-अपनी कुर्सियों और बाजार की जरुरतों के हिसाब-किताब से। 

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