आँधी हो, तूफान हो
कड़क्ती हो बिजलियाँ
काली घटा संग अंधेरा
लिए खड़ा आसमान हो
बारिश की हो टिप-टिप
पत्तों की जो हो सर-सर
झूम रही हो डाली-डाली
नहा रहा हो कन-कन
कान लगा, आँख उठा
महसूस कर पल-पल
पावन, पवित, निर्मल
ये अनोखा, अधभूत
प्राकृतिक
सौम्य संगीत निस्छल!
Better than human's creations I guess!
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