2021 में Resignation Accept हुआ। उससे पहले क्या चल रहा था? सबको नहीं तो बहुतों को मालूम है अभी तो शायद। कैंपस क्राइम सीरीज पढ़ने वालों को खासकर।
इधर-उधर से सलाह आने लगी, Resignation की बजाय छुट्टी ले लो। मेरा मन भी कोई खास पढ़ाई का था, तो वो भी लिख दिया। और कैंपस क्राइम सीरीज पब्लिश करना शुरु कर दिया। 6 महीने बाद GB (General Branch) वालों ने परेशान करना शुरू कर दिया। रेंट ज्यादा लगेगा, रेजिडेंस छोड़ दो। मेरा कहीं और ठिकाना ही नहीं था। अपना कोई घर लिया नहीं हुआ था और बाहर रहने का मन नहीं था। तो लिख दिया, काट लेना जो बने। कुछ वक़्त बाद उन्होंने और ज्यादा परेशान करना शुरू कर दिया। और ये GB पता है कौन है? Big Boss Houses के ठेकेदार? इनका काम ठीक-ठाक रहने लायक घर देना होता है, एम्प्लॉयीज को। और कोई कंप्लेन हो तो ठीक करना। इन्होंने जो किया है, अगर सही से करवाई हो तो ये ज़िंदगी भर जेल में सड़ें।
खैर, मैंने माहौल को देखते हुए, कहीं बाहर रहने की बजाय, घर का रुख कर लिया। महाभारत, यहाँ भी नहीं रुकी, बल्की कुछ ज्यादा ही बढ़ गई और इस राजनीतिक पार्टियों की महाभारत ने लोगों को खाना शुरू कर दिया। इस सबके दौरान भी corresspondence होती रही।
यूनिवर्सिटी ने ना तो जॉइनिंग दी और ना ही पैसा। मना भी नहीं किया। क्या कहके करते? हाँ, इधर-उधर से जरुर कहलवाया की कुछ नहीं बचा हुआ तुम्हारा। कुछ यूनिवर्सिटी को अपनी प्राइवेट प्रॉपर्टी समझने वालों ने? मगर unofficial या इधर-उधर के बुजर्गों के कहने का क्या? यूनिवर्सिटी ने सिर्फ बहाने पे बहाने दिए। फाइल यहाँ है। फाइल वहाँ है। कभी ये समस्या है, तो कभी वो समस्या है। जो समझ आया, वो ये की समस्या कुछ नहीं है। गुंडागर्दी है। उसी गुंडागर्दी ने पर्सनल और प्रोफ़ेशनल ज़िंदगी की राह में रोड़े अटकाए हुए हैं। कुछ साल पहले तक कुछ शक थे, बिमारियों पे, मौतों पे। धीरे-धीरे वो शक हकीकत का आईना भी दिखाने लगे। और एक बहुत-ही बेहुदा और घटिया, गुप्त-सिस्टम को भी। ये पीछे जो यूनिवर्सिटी को मेल की, वो है।
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