आदमी और मशीन आमने-सामने? Human Beings and Human Being?
आदमी संवेदनशील जीव है। हालाँकि, उसका शरीर भी, एक तरह की मशीन ही है। और आदमी द्वारा बनाई गई मशीनें? वो अभी उतनी सवेंदनशील नहीं हुई। वो आदमी की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए बनाई गई हैं? मगर लालची इंसानों ने आदमी को मशीनों की तरह, और मशीनों को या प्रयोग करने के निर्जीव संसाधनों को आदमी की तरह या जगह प्रयोग करना शुरु कर दिया।
ये मशीन कौन है? या हैं? ये मशीने कैसे बनती हैं? इन्हें कौन बनाता है? या बनाते हैं? कैसे बनाते हैं? ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी मशीने बनाने के लिए क्या-क्या और कैसी-कैसी जानकारी चाहिए?
सब जीव अपने आपमें किसी ना किसी तरह की मशीन हैं। इन जीवों से प्रेरणा लेकर, कितनी सारी मशीने इंसान ने बनाई हैं? जीवों जैसी मशीने बनाने से पहले, उन जीवों के बारे में कितना कुछ पढ़ा या जाना गया होगा? उनपे कितनी ही तरह के प्रयोग किए गए होंगे? उस सबके बावजूद, आज तक हूबहू वैसी ही मशीन फिर भी नहीं बना पाया है इंसान। खासकर, जटिल जीवों के केस में। मगर कोशिशें जारी हैं। कुछ केसों में शायद कुछ जीवों से बेहतर भी बनी हैं? कई जीवों के जरुरत के गुणों को एक ही मशीन में घड़ कर। Genetic Engineering कुछ-कुछ, ऐसा-सा ही विषय है। Robotics भी? Computer Science या AI भी? और इन जैसे कितने ही विषयों की खिचड़ी से बना Social Engineering भी? जिसमें राजनीती और टेक्नोलॉजी या बड़ी-बड़ी टेक्नोलॉजिकल कम्पनियाँ अहम भूमिका निभाती हैं?
इन सबका भला संविधान से क्या लेना-देना? मगर पीछे थोड़ा शंशय हो गया संविधान पे? आखिर, ये संविधान है क्या? कितनी तरह का है? और उन कितनी तरह के संविधानों के कोढ़ क्या हैं? बोले तो हमें तो इन कोढ़ वाले संविधानों का abcd भी नहीं पता? फिर ये कैसे पता होगा, की वो हमारी ज़िंदगी को प्रभावित कैसे कर रहे हैं?
एक कहीं किसी ने लिखा K प्रधान। K प्रधान? Klepto cracy? मतलब? चोरतंत्र? ये उन्हीं लोगों की ज़मीन, जायदाद या प्रॉपर्टी या ऐसी कोई सुविधा खा जाता है, जो इनपे विश्वास रखते हैं? Shah BJP जैसे? या कांग्रेस भी? या?
B प्रधान Bluechip? Brew? Black?
C प्रधान? Crypto? Coin भवसागर? Trump जैसे?
D प्रधान? Demo? Dictato? Kamla Harris जैसे?
E प्रधान? Electro? Electric? केजरू?
S प्रधान? State? डॉलर सिंबल status? S के बीच डंडा जैसे?
O प्रधान? Oligo? ooooooo?
M प्रधान? Monarch राजे-महाराजे?
N प्रधान? Nation?
R प्रधान? Rastra?
ऐसे तो A से Z तक कितने भी शब्द और मतलब हो सकते हैं? थोड़ा और पढ़ने और समझने की जरुरत है शायद? कितने ही देश और कितनी ही तरह की राजनितिक पार्टियाँ?
हाँ। इन सबसे जो समझ आया वो ये की आपका अपना नाम और जन्मदिन अच्छा खासा प्रभाव रखता है, आपकी ज़िंदगी में। या कहो की ज्यादातर IDs? आपके नाम के अक्सर या शब्द आपके लिए प्रधान होने चाहिएँ। न की किसी और के। वो फिर कोई भी abcd क्यों ना हो। नहीं तो आपको कोई न कोई पार्टी गलत तरीके से प्रयोग या दुरुपयोग कर रही है। नहीं, शायद इतना भी सीधा साधा नहीं ये अंको का जुआ या चालें या कोढ़ भवसागर? मगर सीधा सा समझने के लिए तो आपके नाम का हर अकसर अहम है। और किस नंबर पर कौन सा अकसर है ये भी?
ऐसे ही आपका घर का पता अहमियत रखता है। वो आपके नाम है तो आपके लिए सही है। किसी बाप, दादा, चाचा, ताऊ, बहन, भाई, पति, पत्नी या बेटा या बेटी के नाम है, तो आपके लिए शायद बहुत सही नहीं है। और झगड़ों की या अशांति की बहुत बड़ी वजह हो सकती है। और अगर आप इससे भी पीछे कहीं बैठ गए या रह रहें हैं तो? या तो उसे अपने नाम करवाएँ और अपनी सहुलियत के अनुसार उसमें बदलाव करें। नहीं तो? ज़िंदगी ही बेकार है या ख़त्म है समझो। वैसे आप इतनी पीछे जाकर कर क्या रहे हैं? किसने धकाया आपको वहाँ और क्यों? राजनीती के गुंडों ने शायद? वैसे भी दूसरों के बनाए या खरीदे घर में कौन रहता है? बेचारे गरीब लोग? सच में? या शायद बहुत से केसों में ज़मीन खोरों के धकाए हुए? चाहे वो फिर सीधा-सीधा दिख रहा हो या गुप्त तरीकों से धकाया गया हो?
अपना घर होने के साथ काफी कुछ और भी है जो अपने आप आपकी ज़िंदगी को प्रभावित करता है। जैसे घर का नंबर? वो तो है ही। जैसे मीटर? बिजली का वो छोटा-सा मीटर क्या सच में इतनी अहमियत रखता है? यकीं नहीं हो रहा, मगर मुझे तो ऐसे ही लगा। मीटर जो इलेक्शन तक का अहम मुद्दा हो? कब लगा? किसके नाम है? या बिल कौन भर रहा है? या बिल कितना आ रहा है? ये सब भी किसी की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकता है क्या? मीटर आपके नाम है या किन्हीं पुरखों के नाम? बिल आप भर रहे हैं या पुरखे? या शायद पुरखों के नाम भी नहीं? वहाँ भी नाम बदल दिया? अरे भई अगर बिल आप भर रहे हैं तो मीटर भी अपने नाम ही क्यों नहीं करवा लेते? किस राम का या कुमार का मंदिर या मस्जिद बनवा रहे हैं आप? जो पुरखे अब दुनियाँ में नहीं हैं, उनका भी बिल आप भर रहे हैं? क्यों? वो अपना तो अपने ज़िंदा रहते ही नहीं भर गए? कहीं आपका शिकार तो नहीं हो रहा है? कोई गुप्त-गुप्त पार्टी, अपने कांडों को आपके पुरखों जैसे से लगने वाले नाम पर आपको बहलाकर या किसी भी ID में रखकर, आपका फद्दू तो नहीं काट रही? इसीलिए वहाँ अनिल कपूर की deep sleep advertisement वाला मैट्रेस्स और ऐसे ही किसी वक़्त बना बैड भी पहुँच गया? और माँ को किनकी खाटू-लीला वाले तिपहिये पे टाँग रखा है? तिपहिया? लगता है गाड़ियों के पहिए पंचर या बदलने का काम भी तो नहीं दे दिया किसी ने किसी को? चौथा पहिया कुछ अलग है क्या? खाट का या गाडी का? क्यों? गाडी कैसे चलेगी? इसे बीमारी बाँटना या प्रोशना भी तो नहीं बोलते?
अपना नाम हर जगह एक ही रखें। ऐसे ही अपने बच्चों का। कहीं ऐसा तो नहीं, की इस ID में ये है और उस ID में कुछ और? आज के वक़्त में कोई खास प्रिंट गलती नहीं होती। ज्यादातर ऐसी-ऐसी गलतियाँ, राजनितिक पार्टियाँ अपने फायदे के लिए करती हैं।
जैसे दमयंती की जगह दयावंती?
जैसे पूनम की जगह रवीना?
जैसे विजय की जगह? विजया?
जैसे दांगी की जगह सिंह?
या सिंह की जगह कुमार या कुमारी?
चौधरी की बजाय चो या चो.?
कहीं गुप्त-गुप्त गालियाँ? और कहीं? और भी कितने ही उदाहरण भरे पड़े हैं आसपास। अब इतना भी कौन ध्यान देता है?
सुना है, जहाँ-जहाँ इन्होंने बहनों को घर बिठाया, वहाँ-वहाँ भाईयों के बिगड़े सँवारने थे या हैं? ऐसे भी होता है क्या? चलो वो तो सही। मगर कुछ केसों में उल्टा भी हुआ। मतलब, राजनितिक पार्टी के फायदे पर निर्भर करता है की उसका फायदा किसमें है? ऐसे ही भाइयों को या बुआ वगैरह को? और ऐसे ही उनकी ज़मीन वगरैह के साथ किया? जिनको फायदा होने वाला था, वहाँ बीवी ही उड़ा दी। और जिसका बसने वाला था, उसकी ज़मीन ही छीन ली, जो भी छोटा मोटा ज़मीन का टुकड़ा उसके नाम था? ये एक और दो प्रधान नंबर हैं और ये सब किया है 3 प्रधान वालों ने? कहीं कुछ उल्टा तो नहीं कर दिया? या शायद कहना चाहिए R और A प्रधान वालों ने? थोड़ा उलझ-पुलझ हो गया ये तो? शायद A U R? इसे कैसे समझें? या शायद थोड़ा जटिल है, इतना सीधा नहीं?
कुछ एक केसों में ऐसा कुछ भी हुआ क्या, की किसी बहन को कहा गया हो की तू वो जमीन अपने नाम करवा ले। चाहे उसे वहाँ दो दिन रहना हो? जबरदस्ती जैसे? और अगर वो ऐसा करने से मना कर दे तो? काँड रचो? आपसी फूट रचो? या उस जमीन के जितने हिस्से को हड़प सको, हड़प लो?
या फिर बोलो, बाहर भाग? बाहर? घर से बाहर? देश से भी बाहर? आईडिया तो अच्छा है?
सुना है, यूनिवर्सिटी में वापसी हो रही है? Interesting? बुलडोज़र जी, वो साइको वाले किधर हैं? बुलाओ उन्हें? वापसी? जैसे रेखा गुप्ता, दिल्ली CM? कुछ सही बोल लो?
बोले तो ये लड़की पागल है, पागल है? या?
फेंकम फेंक? या तर्कसंगत?