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Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Wednesday, February 19, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 29

ब्लाह भाई यो किसा खेल, "दिखाणा सै, बताना नहीं"? यो तो भुण्डा, अर फूहड़ सॉंग लाग्या। कोए बात होई, या गोली ले, अर बारिश सुरु? या ले, अर पीरियड शुरु? या ले, अर दर्द शुरु? दर्द होए पाछैय, आदमी कित जागा? जै डॉक्टर धोरै ना जागा तै? अर वें कसाई फेर कमई करो उह आदमी गेल? यो तो भोत भुँडी दुनियाँ। पहलयॉँ नूं कहा करते, अक साच वो हो सै, जो आपणी आँख्या देखा अर आपणे काना सुना। यूँ तै जो दिखअ सै, अर सुनै सै, वो भी के बेरा कितणा साच सै? 

महारे बावली बुचो, अक भोले आदमियों? ये तै ABCD सैं, इस खेल की, थारे जीसां नै समझाण खातर। घणे शयाणे, घणे पढ़े-लिखे, अर कढ़े आदमियाँ धौरे तै, आदमियाँ नै मानव रोबॉट क्यूकर बणाया करै, वा भी कला है। अर रोज दुनियाँ का कितना बड़ा हिस्सा बन रया सै। जिसमैं जरुरी ना कम पढ़े लिखे ए हों। आच्छे खासे पढ़े-लिखे भी रोज बणअ सैं। म्हारे सिस्टम का या समाज का कितना बड़ा हिस्सा ऑटोमेशन पे है। मतलब, एक बार जो मशीन में फीड कर दिया, उड़ै तहि का काम आपणै आप होवैगा। बस वो सेटिंग करणी सैं। अर वो भी दूर बैठे रिमोट कण्ट्रोल सी दुनिया के किसी हिस्से से कर दो। समाज को कण्ट्रोल करने का जो मैन्युअल हिस्सा है, उस खातर इन राजनितिक पार्टियों की सुरँगे हैं। 

जुकर कोए कह विजय मोदी का साला लाग्य सै। विजय भी भड़क जागी, अक बतमीज़ां नै बोलण की तमीज ना सै। उसने के बेरा इसा भी कोय मोदी उसके आसपास अ हो सकै सै। फेर बेरा पाट्य यो विजय तो लड़का था, ना की लड़की। और वो विजय काफी धार्मिक इंसान भी बताया। यूँ अ और भी विजय नाम गिणां जांगे, वो भी लड़के। या शायद एक आध लड़की भी। और उनकी अजीबोगरीब कहाणी भी सुणा देंगे। यहाँ तक कुछ नहीं समझ आता, की लोगबाग इतना क्यूँ खामखाँ फेंकम-फेंक लाग रे सैं? 

थोड़ा बहुत समझ आएगा, जब उन कहानियों को थोड़ा और जानने की कोशिश करोगे। ऐसे ही जैसे, किसी भी और नाम की कहानी। जैसे ये मंजू यहाँ, वो मंजू वहाँ और वो मंजू वहाँ। देस के इस कोने से दुनियाँ के उस कोने तक। कुछ भी नहीं मिलता और जैसे मिलता भी है? कोढों के अनुसार? और ऐसे ही उनकी ज़िंदगी की कहानियों के उतार-चढाव। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे किसी भी बीमारी के उतार-चढाव? अलग-अलग रंग की गोटियाँ जैसे? मगर, जिनके रंग और उनको चलाने के तरीके सिर्फ इन राजनितिक पार्टियों या डाटा इक्क्ठ्ठा करने वाली कंपनियों को पता हैं। मतलब, ये आपका डाटा आपकी जानकारी के बिना पैदाइशी ही इक्क्ठ्ठा करना शुरु कर देते हैं। और फिर उस डाटा को अपने बनाए प्रोग्राम्स के अनुसार चलाते हैं। वो सब भी आपकी जानकारी के बिना। इस सबमें आपकी IDs बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं। 

यूँ तै कब कोण पैदा कराणा सै अर कब बीमार, अर कब मारणा सै, वो भी इनके कब्जे मैं?

वही तो मैंने कहा। यही नहीं। कब किसी की शादी करवानी सै और किससे? और कब तुडवाणी सै? किसके, कितने बच्चे पैदा होने देने सैं और किसके किस तरह की बीमारी या एक्सीडेंट कहाँ-कहाँ करने सैं। फेर उनके सामान्तर भी घडणे सैं। अब ये सामान्तर अच्छे हैं, तो, तो सही। मगर अगर ये सामान्तर घढ़ाईयाँ बूरे वाली घडणी सैं तो? जिनके घड़ी जाएँगी, उनका नाश। और इससे इन राजनितिक पार्टियों को धेला फर्क नहीं पड़ता। इसलिए दुनियाँ के इस साँग या अजीबोगरीब रंगमंच और इसे चलाने वालों के बारे में थोड़ा बहुत तो जानना जरुरी सै। 

Saturday, February 15, 2025

Blog address for महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे?

New blog address for 

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 

Layman and Clever?

https://laymanandclever.blogspot.com/

Tried to organize some other series also but? Seems some blockage? 

E-state?

एक ज़माना था जब  

इलेक्शंस मारपिट , गुंडागर्दी का खेल होता था 

पैसा-दारु जमकर चलता था

कोई हिसाब-किताब ही नहीं होता था 

की ये गवाँरपठ्ठे बनने के बाद करेंगे क्या?

बदला है क्या कुछ? 

कैसे उठते हैं उम्मीदवार?

 कैसे काम करती है ये EVM?

E-state? 

कौन और कैसे जीतता है?

दे दारु, दे पैसा, मारपीट, लूटमार?

साम, दाम, दंड, भेद 

मुद्दा कोई कहाँ है?

वो जहाँ कहाँ है?

अब ये जो देश है तेरा, कुछ यूँ समझ आता है 

कौन-सा देश बावले, कौन-सी सीमायें?

ये झन्डुओं जैसी बातें तुम कहाँ से लाये?" 

जितने ज्यादा गवाँरपठ्ठे होंगे

उतने ज्यादा राजे-महाराजे और गुन्डे राज करेंगे 

बस यही दशा और दिशा है भारत जैसे देशों की?

या गुंजाइश है अभी भी कुछ बदलाव की?


Immersive practical training to living organisms via their life experiences?

Dynamic dance between science, arts, society and technology? 

Source Linkedin

Thursday, February 13, 2025

Decluttre?

Rhythms of Life needs some triming? Decluttre or organize a bit better, a regular process underway. Multipost series better to have their own separate address.

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 28

 शब्दों की महिमा 

हर शब्द कुछ कहता है। हर शब्द के पीछे कोई कोड है। जैसे?  

Late या Early या on time ? 

आपने अपने किसी घर के इंसान की फोटो लगाई हुई है, जो अब इस दुनियाँ में ही नहीं है? क्या लिखा है उस पर? कौन लेके आया था उसे? सोचो, वो "दिखाना है, बताना नहीं" के अनुसार क्या है? Late? और तारीख के नंबर? फोटो कौन-सी और किस वक़्त की है? कोई सुन्दर-सी है या? क्या पहना हुआ है? फोटो पे कोई माला या कुछ और भी पहनाया हुआ है? जानने की कोशिश करें?  

जाने वाला late था क्या? या आपकी ज़िंदगी में तो सही वक़्त पर आया था या थी? या शायद वक़्त से पहले ही? फिर ये late क्या है? ये जो अब उस घर में बच गए, उनको late बताना या बनाना तो नहीं? या उस घर में होने वाले किसी खास या अच्छे काम को या लाभ या शुभ को? जो नंबर उस पर लिखे हैं, उनके अनुसार? मगर कौन बता रहा है? जाने वाला तो है ही नहीं। उस फोटो को लेकर कौन आया था? वो फोटो, कहाँ और किसने बनाई? वो उसे लेट कर गया? या घर के बाकी सदस्यों को? या किसी अच्छे या शुभ या लाभ वाले काम को? क्या पता खुद लाने वाले को या बनाने वाले को भी कुछ नहीं पता? 

वो तो खुद जाने वाले के जाने से दुखी हो? और सोच रहे हों, की इतने जल्दी कैसे चले गए? मगर लाने वाले का मतलब ये है, की उसने उसे लेट बना दिया? किसी तरह की अड़चन खड़ी कर दी, उसके रस्ते में? या उस घर के रस्ते में? कैसे संभव है? कोई अपने ही इंसान को कैसे लेट बना सकता है? या दुनियाँ से ही ख़त्म कर सकता है? सोच भी नहीं सकता शायद?    

आपने उस फोटो को कहाँ रखा या किसी ने आपसे कहकर रखवाया? अभी तक वो फोटो उसी जगह रखी है या उसकी जगह यहाँ से वहाँ या कहाँ बदली हो गई? खुद की या किसी ने कहा? माला वाला भी चढ़ा दी उस पर या ऐसे ही है? माला है? तो किस रंग की या कैसी या क्या कुछ है उस माला में?

इसे Show, Don't Tell बोलते हैं। दिखाना है, बताना नहीं। और इसके पीछे कोई न कोई राजनितिक पार्टी होती है, गुप्त तरीके से, उसकी सुरंगें। काफी हद तक सिस्टम ऑटोमेशन (System Automation) काम करता है। जैसे कोई भी ट्रेंड चला देना या रीती रिवाज़ या प्रथा। और उसे सुविधानुसार वक़्त-वक़्त पर बदलते रहना। सुविधानुसार वक़्त-वक़्त पर बदलते रहना राजनितिक सुरँगो या तरह तरह के कितने ही तरीकों से manually होता है।       

बदल दो इन लेट वाली फोटो को। इनकी जगह उस इंसान की कोई अच्छी सी फोटो लगा लो। उसपे जाने वाले को लेट नहीं लिखना और ना ही उसका दुनियाँ छोड़ने का दिन। वो सिर्फ उसका दुनियाँ छोड़ने का दिन नहीं था, बल्की, शायद आपकी या आपके घर की राह में रोड़े या अवरोध खड़ा करने का दिन था। खासकर, जब वो इंसान दुनियाँ से बहुत जल्दी गया हो। बहुत होंगी शायद आपके पास, उससे बेहतर फोटो। अगर कहीं कोई अजीबोगरीब माला वाला पहनाई हुई है, तो उसे भी हटा दो। शायद कुछ बेहतर हो। 

ऐसी ही कितनी ही रोज होने वाली छोटी मोटी-सी बातें या चीज़ें राजनितिक Show, Don't Tell या दिखाना है, बताना नहीं, होती हैं। और दिखाना है बताना नहीं, सिर्फ दिखाना या बताना नहीं होता, वैसा सा कुछ करना भी होता है। उन्हें समझने की कोशिश करें। वो चाहे आपका किसी के पास आना या जाना हो या कोई भी, किसी भी तरह का काम करना। चाहे आपका कहीं किसी से बोलना हो या बोलना बंध करना। या झगड़ा करना या कहीं किसी के पास बैठना। या बीमारी या मौत ही क्यों ना हो। सारा संसार छुपे तरीके से इन राजनितिक पार्टियों ने रंगमच बनाया हुआ है। और आपको लगता है की आप खुद कर रहे हैं? धीरे-धीरे समझोगे की आप खुद कर रहे हैं या आपसे कोई छुपे तरीके से करवा रहे हैं।  

बुरे को भुलाकर अच्छे को याद रखना, मतलब, अच्छी ज़िंदगी की तरफ बढ़ना। किसी भी इंसान का जन्मदिन अच्छा होता है। मरण दिन? उसे याद रखो की उस दिन वो इंसान हमें छोड़ गया। यूँ नहीं की वो लेट हो गया। और यूँ किसी फोटो पर तो बिलकुल नहीं लिखना। ऐसी फोटो को किसी ऐसी जगह बिल्कुल नहीं लगाना, की आते जाते या दिन में कितनी ही बार आप उसे देखते हों। कभी जन्मदिन या शादी वगैरह की फोटो भी लगाई है ऐसे? 

किन घरों में जन्मदिन, शादी या खुशियों वाली फोटो मिलेंगी? और किन घरों में बिलकुल सामने ऐसे, गए हुए लोगों की? वो भी लेट और वो तारीख लिखकर? ये मुझे पहले कहीं हिंट मिला था और फिर आसपास के घरों में देखा तो? छोटे-छोटे से घर और सब सामने "लेट" कैसे सजाए हुए हैं? कई-कई घरों में तो कई-कई लेट? जैसे कोई शुभ-मुहरत लेट? या जाने वाला कहीं किसी और को भी लेट कर गया? वो भी खुद अपने किसी इंसान को? और आपने वो फोटो भी सजा दी? वही लेट और तारीख या शायद किसी खास माला के साथ?   

कुछ अजीबोगरीब से किस्से जानते हैं आगे। 

जैसे 

मोदी? बहु? साला?

बहु? अकबर? पुर?

क्या कोड है ये? 

या वीर? 

या AV? 

या नीलकंठ?

या F मिरर इमेज?  

या ??????????? कितने ही या ???????????

Tuesday, February 11, 2025

बच्चे जब आपको पहुँचा दें, अपने बचपन में?

वक़्त और अगली पीढ़ी के साथ-साथ बहुत कुछ बदलता है। काफी कुछ अच्छा और शायद कुछ ऐसा भी की लगे, अच्छा नहीं है। सूचनाओं का संसार, उनमें से एक है। 24 घंटे इंटरनेट की पहुँच और टीवी भी शायद। जब बच्चों को मजाक लगे, अच्छा आप जब छोटे थे, तो टीवी पे हर वक़्त प्रोग्राम नहीं आते थे? या इंटरनेट नहीं था? ये सीरियल्स भी नहीं थे? तो क्या था? 

जो भी हो, गुजरा वक़्त और बचपन हमेशा अच्छा होता है?




बड़े होकर जब आप अपने बच्चों को जाने क्यों वो खँडहर दिखाने आते हैं? और बताते हैं, ये रसोई थी। मैं यहाँ पढता था या यहाँ सोता था। और आप पूछें, भैया ये स्टूडेंट कौन है, आपके साथ? क्यूँकि, वो शायद स्कूल यूनिफार्म में ही है। अरे। ये नहीं पहचाना? यक्षशांश। क्या नाम बताया? यक्षसांश? ओह। ये इतना बड़ा हो गया? और ये अंदर कौन है भैयी?


 
या फिर आपके यहाँ कोई पूछे, बुआ ये आज दादी की छत पर कौन घुम रहे थे? कोई आया हुआ था, इनके यहाँ (साथ वाले खँडहर में)? क्यूँकि, आजकल यहाँ नाम मात्र-सी, मजेदार-सी मरम्त चल रही है।