कुछ तो गड़बड़ है, मगर क्या? से शुरु हुआ ये सफर जो बन गया suffer? भुगत?
इनके बालों के साथ दिक़्क़त है, मगर क्या?
जब पैदा हुई तो इस गुड़िया के बाल सीधे और सिल्की और उस गुड़िया के बाल घुँघराले थे? फिर 2-4 साल में ही ये क्या हो रहा है?
कुछ तो गड़बड़ है, मगर क्या? इस 16 का, उस 16 से और उस 16 का, उस 16 से क्या लेना-देना है? कहीं मौत है और कहीं शादी?
कुछ तो गड़बड़ है, मगर क्या? ये एलर्जी यहाँ और वो एलर्जी वहाँ, कहीं कुछ कह रहीं हैं जैसे? इनका किसी पिग्मेंट से कोई लेना-देना है? मगर कैसे? क्लिंटन और ओबामा जैसे? या कमला और ट्रम्प जैसे?
कुछ तो गड़बड़ है, मगर क्या? वन्दे मातरम और माता का कुछ तो लेना-देना है? जैसे चिंटियों और मकड़ियों का? मगर कैसे? झाड़ी पे माता धोकना जैसे?
कुछ तो गड़बड़ है, मगर क्या? इस सवाल ने न जाने क्या-क्या तो दिखा दिया। कहीं बिमारियों के जाले, तो कहीं मौतों के अँधेरे? कहीं कहानियाँ शादियों की, तो कहीं रिश्तों की दरारें और फिर कहीं उन रिश्तों के जैसे अजीबोगरीब से फैसले? कहीं पंचायती कहानियों में, तो कहीं कोर्टों के फैसलों में?
ऐसे ही जैसे घर खीर, तो बाहर खीर? घर रोटी, तो बाहर रोटी? घर सुरक्षा, तो बाहर सुरक्षा? शायद हाँ? शायद ना? क्यूँकि, जहाँ सुरक्षा होती है, वहाँ सबके लिए होती है। और जहाँ नहीं होती, वहाँ कम से कम, आम आदमी के लिए तो नहीं होती? ऐसा ही ज़िंदगी के हर पहलू के साथ है। और इन सबका सीधा-सा सम्बन्ध, जहाँ कहीं आप रह रहे हैं, वहाँ के Media Cultue से है। किन्हीं भी परिस्तिथियों में, ज़िंदगी या किसी भी समाज को सही दिशा देने के लिए, इस टॉक्सिक या बिमार मीडिया कल्चर को बदलना बहुत जरुरी है। या तो उसे बदलो या अगर आप उसे बदलने में सक्षम नहीं हैं, तो कहीं ऐसी जगह जाकर रहो, जहाँ वो आपके लिए सही हो।
क्या है ये Media Culture? बायोलॉजी का Media Culture ही ज़िंदगी का या किसी भी सिस्टम या इकोसिस्टम का मीडिया कल्चर है। जैसे पक्षियों को उड़ते देख जहाज बने होंगे, वैसे ही Cell Culture और Media Culture के नियम, कायदे किसी भी समाज के सिस्टम या इकोसिस्टम के लिए अहम हैं।
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