About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Wednesday, April 30, 2025

कुछ हल्का-फुल्का हो जाए?

बहुत वक़्त हो गया ना सीरियस-सीरियस, पढ़ते-लिखते? कई बार इधर-उधर के short vidoes बड़े ही रौचक होते हैं। जैसे ये   

अरे, ये विडियो कहाँ गया? अभी यहाँ था और अभी नहीं? शायद ऐसे ही जैसे, अभी-अभी कुछ ईमेल में पढ़ा और अब नहीं है। विडियो तो चलो इधर-उधर हो गया होगा या फ्रॉड होगा। मगर ये किसी आई हुई ईमेल में कुछ पढ़ना और दूबारा पढ़ो तो वो दिखाई ही ना दे? कैसे? ASP?  

Assistant Superintendent of Police?  

नहीं, Annuity Service Provider, NSDL? 

और ये?


भारत के प्रधानमंत्री कह रहे हैं, ये विपक्ष की साज़िश है। 
है क्या?
विपक्ष से पूछों, आगे की कहानी फिर सुनाएँगे। 


या आपने मदीना चौक आले भाई-बँध सुनाएँगे? 
ज्योति, पानी लाईये बेबे 

जी, क्या लेना है?

एक? 

या दो? 

Myntra कह रहा है, एक आर्डर डिले है, रोहतक अटक गया शायद?

और दूसरा?

Save Mosquitoes एडवोकेट्स को बुलाओ। 

आगे की कहानी, आगे पोस्ट में। Conflict of Interests and घपले ही घपले? 

Tuesday, April 29, 2025

Observable Changes?

 Observable Changes?

आपके लिखते-लिखते ही वो शब्द या वाक्य बदल दें? अटैचमेंट बदल दें? या नया या पुराना रख दें? या वाक्य का बिलकुल मतलब ही बदल दें? ये आपको कब समझ आता है? जब प्राइवेट पोस्ट, पब्लिक दिखने लगें? या शायद, पब्लिक पोस्ट प्राइवेट दिखने लगें? या ऐसे तो मैंने नहीं लिखा, वैगरह? कुछ नया नहीं है। 

सोशल साइट्स हैंडलर्स? काफी पुरानी पोस्ट है?   

Social Sites Handlers?     

https://worldmazical.blogspot.com/2014/11/fb-social-sites-handlers.html

Sunday, April 13, 2025

कहाँ गुल हूँ मैं ?

कहाँ गुल हूँ मैं ?

When health becomes most urgent issue, all other issues take a back seat? और ये स्वास्थ्य वो स्वास्थ्य नहीं है, जो राजनीती में छाया रहता है। वहाँ तो शायद कोई अंग-प्रतयन्ग निकालने वाली, संजय एमर्जेन्सी जैसी-सी बात हो रही होती है? उसपे भी आएँगे आगे पोस्ट में। कभी-कभी ये शायद वो स्वास्थ्य बन जाता है, जब आपको लगने लगता है would you survive this or it's really over? जब आप अपने सिर को बजते हुए सुनते हो, कड़क! कड़क! जैसे कुछ टूट रहा हो? मगर फिर भी हॉस्पिटल के नाम पर डरना शुरू कर दिया हो? ऑपरेशन थिएटर की बजाय घर मरना बेहतर है, जैसे दिमाग में बैठ गया हो? मार्च कुछ-कुछ ऐसा ही रहा। 16 के बाद अचानक से पोस्ट बंद हो गई? या शायद हो गया था कुछ? कुछ? इधर उधर लिखा जा रहा था उस पर भी। और किसी खास तारीख के आसपास वो ठीक भी होने लगा? Sometimes, journaling helps in tracking down something strange also? Or maybe, sometimes we overthink?           

क्या ये सिर की कड़क-कड़क सच में चोटों की देन है? या उससे आगे कहीं कुछ और भी? या शायद दोनों ही? System or say ecosystem is the culprit? 

कोरोना के समय जो समझ आया, वो कह रहा था की पानी-खाना और हवा, जीने के लिए, खासकर स्वस्थ जीने के लिए इनपर कंट्रोल बहुत जरुरी है। ये तय करना, की जो कुछ आप खा या पी रहे हैं या जिस हवा में आप साँस ले रहे हैं, उसका जीवनदायी होना बहुत जरुरी है। अगर वही प्रदूषित है, तो क्या तो दवाईयाँ करेंगी और क्या डॉक्टर? और जहाँ तक हो सके, वहाँ तक हॉस्पिटल या डॉक्टर से परहेज़ करना। ये भी अपने आप में स्वस्थ होने का संकेत है। 

कभी-कभी ऐसा होता है ना, की अचानक से आप कोई चीज़ खाना या पीना बंद कर देते हैं? या शायद वो अचानक से आपको अच्छी लगनी बंद हो जाती है? शरीर शायद बहुत-सी चीज़ों को खुद ही रिजेक्ट करने लगता है? ये उसका अपना डिफेंसिव सिस्टम है, जो उसे किसी आभाषी खतरे से बचाता है शायद? वो जो आप कब से खाते-पीते आ रहे हैं और अचानक से उसका टेस्ट थोड़ा अजीब लगने लगे? और आप पीते-पीते ही या खाते-खाते ही छोड़ दें? बहुत बार जरुरी भी नहीं की उसमें कुछ मिला ही हो, सिर्फ मौसम बदलने से भी बहुत बार ऐसा होने लगता है। जैसे सर्दी के शुरु होते ही गर्म खाना-पीना और गर्मी के शुरु होते ही ठंडा खाना-पीना पसंद आने लगता है। टेस्ट और खाने-पीने से परहेज़, और उसका बिमारियों से लेन-देन कहीं और।             

 एक Rude and Crude Joke? 

मेरा तुममें interest बढ़ता जा रहा है। कहीं तुमने मुझसे लॉन तो नहीं लिया हुआ? आगे किसी पोस्ट में आते हैं इस पर भी।