Saturday, October 4, 2025

VY-Travelogue? A Time Machine? 25

Update Else "Goonism"?

अपडेट नहीं करोगे तो, वाले गुंडे?

पहले भी ऐसी सी कोई पोस्ट पढ़ी होगी आपने? हर अपडेट हर किसी के लिए जरुरी नहीं होता। कंपनियों या कहो की बाजार द्वारा किए गए कुछ अपडेट तो ऐसे जबरदस्ती थोंपे होते हैं की किसी भी प्रोडक्ट को प्रयोग करने से पहले आपको उन्हें डिलीट करना पड़ता है। जैसे कितने तो ऐसे Apps या अपडेट तो आपके मोबाइल या लैपटॉप पर ही होते हैं। 

आपने कोई भी सामान लिया हो, किसी भी ब्रांड का, उसके कितने ही अपडेट या नए उत्पाद साल दो साल के अंदर ही बाजार में आ जाते होंगे? तो क्या आप अपना खरीदा हुआ फ्रीज, ए.सी., माइक्रोवेव, वॉशिंग, कार, मकान आदि चलता कर नया ले आते हैं? नहीं ना? बाजार तो बाजार है। कंपनियाँ अगर, नए-नए उत्पाद बाजार में नहीं निकालेंगी, तो उनका मुनाफा कैसे बढ़ेगा? किसी भी बहाने, उन्हें तो नए उत्पाद बाजार में लाने हैं और उन्हें बेचने के लिए आपको ललचाना भी है। तो क्या आप कुछ भी नया आते ही बाजार की तरफ भाग लेंगे? नहीं ना? कुछ-कुछ ऐसा ही इस जुआरियों के खेल से समझ आया।  एक आध को छोड़कर ज्यादातर राजनितिक पार्टियाँ इस बाज़ारवाद को किसी न किसी रुप में बढाती चढाती भी मिलेंगी। क्यूँकि, इन पार्टियों को सुना है, पैसा ही ऐसे मिलता है। जिसके पास जितना ज्यादा पैसा, उसकी उतनी ही ज्यादा सीट? ऐसा ही है क्या?


यहाँ तक तो चलो, पैसे की बात है। क्या हो अगर ऐसा ही कुछ आदमियों पर भी लागू होने लग जाए? या हो ही रहा हो? बाजार में कोई उत्पाद आया और उसका कोड, किसी न किसी रुप में फलाना-धमकाना लोगों के कोडों से मिलता है।  वो उत्पाद चला जब तक खूब चला। मगर एक दिन?


एक दिन उसमें कुछ खराबी आ गई? तो क्या उससे मिलते-जुलते लोगों में भी कोई खराबी आ जाएगी? या उसमें खराबी आ गई और उसे आप रिपेयर सैन्टर ले गए और वो ठीक हो गया? ठीक ऐसे ही जैसे इंसान को कुछ हो जाता है तो हम उसे हॉस्पिटल ले जाते हैं और वो ठीक होकर घर आ जाता है? मगर?

मगर क्या हो की उस उत्पाद में खराबी अपने आप ना आई हो? बल्की, किसी ने चालाकी या धूर्तता से की हो? ऐसे ही जैसे, आपके लैपटॉप या मोबाइल में वायरस घुस जाते हैं? आप उसे सर्विस सैन्टर ले गए और? ठीक करने की बजाय उस सर्विस करने वाले ने रिपेयर की बजाय उसे और ख़राब कर दिया? क्या करेंगे? कोई मोबाइल, लैपटॉप, कार वॉशिंग ही तो है? नई ले लेंगे? अगर आपके पास पैसे होंगे तो? नहीं होंगे तो? शायद उसके बिना भी काम चल जाएगा? मगर?

क्या उससे सम्बंधित कोडों वाले इंसानों के बिना भी?

चला लेंगे आप काम? नहीं? वो इंसान आपका अपना भी हो सकता है? या शायद था या थी? और आपको मालूम ही नहीं की ये राजनीतिक पार्टियाँ इंसानों से भी ऐसे खेल रही हैं?

लैपटॉप 1 

मैडम, इसका तो motherboard काम नहीं कर रहा। अब ये नहीं चलेगा। 

लैपटॉप 2  

मैडम, इसका तो motherboard काम नहीं कर रहा। अब ये नहीं चलेगा। 

लैपटॉप 3  

मैडम, इसका तो motherboard काम नहीं कर रहा। अब ये नहीं चलेगा। 

ऐसे ही और भी सामान के साथ होता है। इसी दौरान कहीं किसी प्रोफेसर की सोशल साइट पर पढ़ने को मिलता है की यहाँ वहाँ दुनियाँ भर की छोटी मोटी दूकान हैं जो ये छोटा सा काम बड़े आराम से ठीक कर देते हैं। इन ब्रांड्स के सर्विस सैन्टर की बजाय वहाँ ले जाओ। 

इतनी सी बात? और उस पर कितना बड़ा बाजार?

और कितने सारे लोगों से खिलवाड़? Motherboard? इंसान में motherboard जैसा कुछ होता है क्या? आपके आसपास किस, किसका और कब-कब गया? कोई अंदाजा? अगर लैपटॉप का motherboard कोई छोटी-मोटी दुकान ठीक कर सकती है, उस ब्रांड का शौरूम नहीं। तो इंसानों के motherboard कहाँ ठीक होते होंगे?  

Motherboard की तरह ही और भी कितना कुछ होता है, जो जुर्म में रचे-बसे दिमाग ख़राब कर देते होंगे? उन्हें आप कहाँ ठीक करवाएँगे?    

और कुछ ऐसा बंदोबस्त क्यों ना हो की ठीक करवाने की नौबत ही ना आए? ख़राब ही ना हो?

Like prevention is better than cure?       

आगे पोस्ट्स में ऐसे से ही कुछ उदाहरण, आपके अपने ही आसपास से। 

वैसे आजकल मेरे ब्लॉग्स के साथ ये क्या और कैसी हेराफेरी चल रही है?                         

No comments: