"State Mirrors"? That was the only interesting thing to hear via that speaker?
Kinda
D...?
Y...?
P...?
SPY?
Conclusion: The more you will try to understand, the more you will be confused.
BDW, where is V in these codes? My name starts with V, not D or Y or P or S P Y. Since when name or its letters become so important? Hindi people are feeling bad? She is obliging, Let's talk in English. आपका नाम अहम है। उसका हर अक्सर, हर शब्द अहम है। ऐसे ही जैसे आपका जन्म दिन। ऐसे ही जैसे आपका पता। आप किसी के भी भक्त बने, मगर, अपनी इन कुछ IDs की अहमियत ना भूलें। सुना है, कोई भी नेता अहम ही तब तक है, जब तक उसके कोड का बोला बाला है। नेता की बजाय शायद कुर्सी भी कह सकते हैं। सुना है राजनीती वाले खेल बहुत तरह के खेलते हैं। सच में? ऐसा कुछ MNCs या Higher Education के बारे में भी सुना है? जैसे डॉक्टर, प्रोफ़ेसर या वैज्ञानिक? और फ़ौज तो फिर फ़ौज है, वो तो पता ही नहीं कैसे कैसे खेल खेलती ही रहती हैं। Defence वाले भी खेल खेलते हैं? लगता है D ऐसे से ही किसी शब्द से आया होगा? जैसे DL 9C? कोड तो कोड हैं, कितनी ही तरह के हो सकते हैं। और खेल भी।
हमें जो खेलों से ध्यान आता है, वो है क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी, तैराकी, दौड़? शूटिंग और गोल्फ़ भी आता है क्या? ऐसे ही विडियो गेम्स? और दिमाग के खेल भी तो होते हैं? तो सुना है की सारी दुनियाँ खेलों में व्यस्त है। इन सबके द्वारा ख़ास तरह की ट्रैनिंग होती हैं। और इनके साथ-साथ खास तरह के कोड चलते हैं।
जैसे लैब का उदाहरण लेते हैं
उससे पहले कल का ही एक वाक्या बताती हूँ। कहीं से मैं काफी सालों से बेकरी का सामान लेती हूँ। कल भी वहाँ से निकलना हुआ, तो सोचा कुछ तो ले ही लूँ। और मैंने गुड़िया के लिए कुछ लिया, जो उसे जब वो छोटी सी थी तब से ही बहुत पसंद है, ख़ासकर उसकी शेप की वज़ह से। RABBIT जैसा सा कुछ। मगर जाने क्यों मुझे लगा की मेरे डिब्बे वाला और उस शॉप में रखा हुआ थोड़ा अलग है। मेरे डिब्बे वाले का शायद रंग? पहले तो ऐसा कभी नहीं देखा। कोरोना के बाद से कहीं से भी खाने के लिए कुछ भी लेना, थोड़ा आफ़त का काम ही लगता है। ख़ासकर बात जब बच्चे के खाने की हो तो, शायद हम ऐसे में ज्यादा सचेत हो जाते हैं। खैर, रंग अलग था और मेरी शिकायत के बाद वो उसने थोड़ी ना नुकुर के बाद, की नहीं ऐसा नहीं है, बदल दिया। ये मैसेज उन सब खाने-पीने का सामान रखने वालों के लिए भी, की अपने सामान और अपने वर्कर्स पर भी शायद थोड़ी निग़ाह रखें। हालाँकि, थोड़ा मुश्किल है ऐसे वातावरण में, मगर फिर भी जहाँ तक हो सके सावधानी रखें। वैसे तो आजकल हर जगह कैमरा हैं, ज्यादातर ऐसी शॉप्स में भी। सोचो हम कैसी दुनियाँ में रह रहे हैं? जहाँ खाने-पीने के सामान तक को शक की नज़र से देखने लगें?
जितना मुझे समझ आ रहा है की ज्यादातर अचानक होने वाली बिमारियों में ही नहीं, बल्की, वक़्त के साथ धीरे-धीरे होने वाली बिमारियों में भी अटैक इस तरह से हो सकते हैं। हो सकते हैं Proof नहीं है, तो बेहतर है की एक्सपर्ट्स पे छोड़ दिया जाए। ये भला लैब का उदहारण कैसे है? किसी खाने पीने की चीज़ का सिर्फ़ रंग बदल देना तो कोई खास केमिकल की presence या कमी या अधिकता को तो नहीं दर्शाता। और Human Robotics या Social Engineering से इसका या ऐसे से उदाहरणों का भला क्या लेना देना?
कुछ-कुछ ऐसे, जैसे बिहार इलेक्शंस के आसपास के ड्रामे और उस ड्रामे के आसपास किसी को पैरालिटिक अटैक? यहाँ भी state mirrors? कोडधारी प्रतिबिम्ब, किसी राजनितिक पार्टी के ताने बाने के अनुसार? हालाँकि, screen mirrors से थोड़ा अलग है। किसी भी बहाने भोले-भाले लोगों को अपने अनुसार चलाना और फिर उन्हें ही या उनके किसी अपने को ऐसे अटैक भी करना? इसको थोड़ा और ज्यादा समझना हो तो इन लोगों की IDs चाहिएँ। आपके पास नहीं है ना? और माँगोगे तो मिलनी भी मुश्किल होंगी? मगर, राजनीतिक पार्टियों और गुप्त तंत्र के पास सबकी हैं। जो Human Robotics और Social Engineering में काम आती हैं।
जाने क्यों कई लैब्स की सैर का मन है, ऑनलाइन ही सही। कई ऐसी सी लैब्स, जहाँ मैं कभी नहीं गई। मगर उनके कोड? जैसे बुलावा दे रहे हों। हमें पढ़ना चाहते हो? पढ़ लो, बिल्कुल खुली क़िताब से आपके सामने हैं। वो भी फ्री में। हमें पढ़ने के कोई पैसे भी नहीं लगते।
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