गर्जन भी है
शोर भी है
चुप-सी खामोश भी
ताज़गी का अहसास भी
हवाएँ भी हैं
घटायें भी हैं
पंछी भी हैं
चहचाहट भी है
अठखेलियाँ करते-से
बादल भी हैं
छिपता-निकलता-सा
सूरज भी है
फूहारें भी
धूंधलका भी
रोशनी भी
अंधेरा भी
गोरे भी हैं
काले भी हैं
जाना-पहचाना-सा मौसम
विभिनता में एकता का वास
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