एक शांत दिमाग़ कितना ज़रूरी है
शान्ति के लिए
आगे बढ़ने के लिए
अवरोधों से निपटने के लिए
धुंध के पार निकलने के लिए
जालसाज़ी ताक्तों से पार पाने के लिए
बड़े-बड़े षड्यंत्रकारियों के
राजे महाराजों के
जब जाले साकार नहीं होते
कभी-कभी तब भी
अशान्ति होती है
गुस्से फूटते हैं, गरीबों के मोहल्लों में
मगर तब भी अथाह शान्ति दिखती है
अमीरों के, राजे महाराजों के मोहल्लों में
और गरीबों को खबर तक नहीं होती
वो क्यूँ फुट रहे हैं?
किसपे फुट रहे हैं?
उनके दिमाग़ में उतारे गए विस्फ़ोटक
कहाँ-कहाँ से और कैसे, वहाँ तक पहुँच रहे हैं?
एक शान्त दिमाग़ ये सब देख सकता है
जान सकता है और बच भी सकता है
ख़ास गुफ़ाओं से होते हुए इस जाले को
क्यूँकि उसमें ताक़त है
शांति से सुनने की, समझने की
तर्क-वितर्क करने की
चीखने-चिलाने या भागने-भगाने की नहीं
विचलित न होकर, स्थिर रहने की
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