Thursday, October 23, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 31

 ब्लाह जी फलाने-धमकाने पड़ोस मैं सीढ़ी लाग री सै। 

या तै लागी अ रह सै, भाई इसमैं भी के खास सै?

ब्लाह जी बालक तार दिए थारे घर मैं, अर बालक (?) के चुरा लेगे भला?

दिवाली गिफ़्ट लेगे बताए :)


Out, Out 

भाई यो out होया करै या get out होया करै?

Out, Out from my room 

थोड़ा ज्यादा नहीं हो रहा?

Ouuuuut 

आईयो तू, मैं बताऊँगी Ouuuuuuut क्या होता है। 


कहीं कर्मचारी सौन पापड़ी का गिफ़्ट नहीं लेते और कहीं बच्चे बर्फी, रसगुल्ले की बजाई सौन पापड़ी का डिब्बा ही साफ़ कर देते हैं :)

कैसे और कौन से बच्चे होंगे ये?

ये वो बच्चे हैं जो थोड़े और छोटे थे, तो, कुछ ऐसा-सा बोलने लगे थे, कार से ऑटो अच्छा होता है :)

मुझे तो ऑटो में जाना है :)

हम जो कहते या सोचते हैं, आख़िर हमें वो मिल ही जाता है :)

ऑटो मतलब स्वराज :) MDU का स्वराज सदन या अरविंद केजरीवाल की किताब स्वराज? उन दिनों वैसा कुछ चल रहा था बताया। 


मुझे रैड नहीं चाहिए, मुझे लाल रंग पसंद ही नहीं। 

अच्छा, कब से? मैंने तो सुना है की तुमपे रैड बड़ा अच्छा लगता है। 

नहीं। मुझे कभी पसंद नहीं रहा और ना ही अब पसंद। 

ओह हो। कब से? आपकी पसंद ड्रैस वाले फोटो दिखाऊँ?

अच्छा। हाँ। मुझे तो पसंद था। पर अब नहीं। वो पापा को पसंद नहीं है ना। 

कबसे?

पता नहीं। पर मैंने तो ऐसा ही सुना है। 

मम्मी को भी पसंद नहीं था रैड कलर। 

ये तो हद ही हो गई। 

छोड़ो। होगा। मुझे तो यही पता है। 


ये सब क्या है?  

आपकी कब क्या पसंद होगी और क्या नहीं, ये कौन बताता है? वो आपकी खुद की पसंद है या आपके अपनों की? या आपके आसपास की? या ये सब भी कहीं न कहीं गुप्त सुरँगे ही बताती हैं? कहीं सीधे-सीधे और कहीं गुप्त तरीके से आपके दिमाग में घुसेड़ देती हैं?  

अपनी पसंद या नापसंद की हर एक चीज़ पर गौर फरमाओ, अलग-अलग वक़्त या अलग-अलग स्थान पर और शायद जवाब आपको मिल जाए। आपका खाना, पहनावा, बोलना और काफी हद तक धार्मिक होना या फर्क नहीं पड़ता या किसी भगवान को मानना या ना मानना ये सब कौन घडता है, आपके दिमाग में? ये सब कहाँ से आता है? यही नहीं, आपसी रिश्तों में आप एक दूसरे को कैसे संबोधित करते हैं? ये कौन बताता है? या घडता है आपके दिमाग में? ये भी गुप्त तंत्र?          

Friday, October 17, 2025

Online Frauds

 yahoo!?

and spams?

और spam में कभी IG मिलेंगे और कभी?

Commissioner?


कमिशनर साहब, spam के हवाले से हवाला माँग रहे हैं?
गलत बात। 

वैसे ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी इमेल्स आती ही रहती हैं, जाने कब-कब खास मौकों पर? कभी लोकल सी लगने वाली और कभी इंटरनेशनल। ऐसे-ऐसे लोगों के पास कितना खाली-पिली वक़्त होता होगा? कुछ भी बनकर बैठ जाते हैं? डर गई साहब मैं तो :( या :)

Thursday, October 9, 2025

Social Tales of Social Engineering या राजनीती के तड़के?

या राजनीती के तड़के?

जैसे, ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर? कहाँ रखना चाहेंगे आप इस पोस्ट को? बताना पढ़ कर।  

तो आप सबकुछ बेचकर बाहर जा रहे हैं?

क्या?  

आप सबकुछ बेचकर बाहर जा रहे हैं?

क्या?

और जोर लगाकर, आप सबकुछ बेचकर बाहर जा रहे हैं?  

क्या?

कहीं से आवाज़, तेरअ जिसे फदवाँ की ना सुना करअ यो। तेनअ के लागय सै, यो बहरी सै? अक तू अ घणा स्याना सै आड़अ सी?

सही कह सै दादा। इन्ह जिसे स्याणे तै न्यूंअ चाहवें सै, अक सबकुछ इनकै नाम कर जावाँ। वा एक स्याणी सुणी पहल्यां किसै आशीष तै कहती बताई, "या स्कूल कै साथ आली जमीन म्हारे तै दैवा दे, तने पाँच लाख दे दूँगी" 

कौन सी स्याणी?

वाहये स्याणी और कौन?

हाँ बेबे सुणा तै मैंने भी था, अक दूसरा भी अपणी सारी इन्हें तै बेच कै कितै जा सै। 

दादा, दुनिया जा सै बाहर तै। इसे-इसे ज़लीला तै, वें आपणे घर-किले दे जाँ सैं के?    

ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे, किस्से कहानी, ऐसी-ऐसी जगहों पर चलते ही रहते हैं? क्या खास है?

ऐसे-ऐसे स्कूल, हॉस्पिटल या दो धेले के धन्ना सेठ, सिर्फ गरीबों को ही नहीं, अपने आसपास वालों को भी लूटते या लूटने की कोशिश करते ही रहते हैं? खतरे बहुत बार बाहर वालों से कम और शायद अपनों से ज्यादा होते हैं?

राजनीती वालों का या बड़ी-बड़ी कंपनियों का गठजोड़ ऐसे ही नहीं है। ये धेले के धन्ना सेठ, जहाँ 2 कौड़ियों के लिए आसपास को खाते मिलेंगे। वहीँ so called बड़े लोग? जिस पार्टी में और जिधर देखो, उधर लंका लगी पड़ी है। इसलिए ये सामान्तर घड़ाईयाँ घडते हैं और so called बड़े लोग, उन बड़ी कुर्सियों पर बैठकर या तो खुद भी ऐसा कुछ ईनाम में पाते रहते हैं या खुद ही ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे कांडों के रचयिता होते हैं। इसलिए हर सामान्तर घड़ाई को एक और नए केस के रुप में देखना चाहिए। क्यूँकि, वहाँ ऊपरी सतह से आगे बड़े ही रौचक राज छुपे होते हैं, ऊपर वालों की साँठ-गाँठ के। कैसे? कभी जानकार देखिए की असली केस और सामान्तर घड़ाई में फर्क क्या है?

कुछ एक ऐसे केस आगे पोस्ट्स में आ सकते हैं। पीछे तो पोस्ट्स में कहीं न कहीं पढ़े ही होंगे? जैसे Campus Crime Series या Political Diseases. ठीक ऐसे जैसे, राई के पहाड़ कैसे बनते हैं। 

हलाल और झटके का फर्क?

हलाल और झटके का फर्क 

जैसे तिहाड़ी और चौथ का फर्क?

कौथ का फर्क? चौथ का फर्क?   

जब आप लोग यहाँ मर रहे थे तो? भगवान मथुरा रोड़ पर 2 BHK खरीद रहे थे। कलयुग के भगवानों की जय हो?

हलाल होता है, जैसे वृन्दा वन? जिनका अपना कुछ नहीं होता, ज़िंदगी भर लूटने, पीटने और शोषित होने के सिवाय? ना ज़मीन और ना आसमान। वो उस आसमान से गिरे और 9 नंबरी खजूर पे अटके जैसे होते हैं, जिनका शरीर तक अपना नहीं होता। उस बारे में निर्णय भी उन 9 नंबरी खजूर वाले महलो के मालिक लेते हैं? क्या हैं ये 9 नंबरी खजूर मालिक? और कहाँ-कहाँ रहते हैं? ये MDU के VC का मकान के बाहर लगा खास तमगा ही नहीं, बल्की, ऐसे-ऐसे अलॉटेड मकानों में रहने वाला हर वो अधिकारी है, जो उस वक़्त के गवर्मेंट या राजनितिक पार्टी या पार्टियों के बिठाए खास-म-खास कर्ता-धर्ता हैं। वो लोग वो काम नहीं करते, जिनके लिए उन्हें उन कुर्सियों पर जनता की निगाहों में या जानकारी के अनुसार बिठाया गया है। बल्की, वो, वो कर्ता धर्ता हैं जो उससे बहुत परे वाले कोढों के अनुसार चलते हैं। वो सिर्फ किसी यूनिवर्सिटी के VC नहीं हैं, बल्की, Dean, Head, Director और? और भी बहुत कुछ हैं। बहुत बड़ा संसार यूनिवर्सिटी से बाहर भी बसता है। और इनसे बड़े, छोटे अधिकारी भी। और वो सिर्फ सिविल में ही नहीं हैं, डिफेंस में भी हैं। ये हलाल और झटके से कहाँ पहुँच गए हम? कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे वो क्या कहते हैं? ये कहाँ से कहाँ आ गए हम? 

सुना है की सबसे बढ़िया वाला हलाल, वृन्दा वन वाली जगहों पे देखने को मिलता है? और सबसे बढ़िया वाला झटका? Night before fight वाली जगहों पर? ऐसा ही? हरियाणा जैसे प्रदेश अभी तक ज्यादातर हलाल वाले इलाके माने जाते हैं? और मेट्रो, गुज्जु या मुम्बईया? झटके वाले?  

तो फिल्मी वार-2 शुरु हो गया? हमने जाने कहाँ सुना, कहीं वार-3 और कहीं शायद वार-4 भी चल रहा है? सच में ऐसा ही है? वैसे ये वार क्यों होते हैं? कौन और किस तरह की लॉबी ये सब करवाती हैं और इनसे पैसे कमाती हैं? सरकारें भी इन्हीं लॉबी का हिस्सा होती हैं क्या?

ऐसे ही शायद ये भी जानना सही रहेगा की कुछ देशों में हमेशा कलेश क्यों रहता हैं? और कुछ इतने शाँत कैसे रहते हैं?

और ये करवा चौथ खास वालों के लिए 

कभी सोचा की "करवा चौथ" एक अर्थ है या अनर्थ? ये मैं नहीं कहती। ये तो शब्दों में छिपे अर्थ और अनर्थों वाले कहते हैं। वही कोढ़ वाले। बोले तो? Culture वाला ज्ञान और विज्ञान और? सबका तड़का और उसकी राजनीती? तो जब माताएँ, बहने, चाची, ताईयाँ या दादियाँ, जब उस 70, 100, 150 या 200 छेद वाली छलनी से निहारें ? बोले तो कुछ भी :)   

वैसे ही जैसे, सत (7) संग वाला कल्चर (रीती रिवाज़)? और उसके पीछे छिपा ज्ञान, विज्ञान और राजनीतिक तड़के? मतलब, अगर गाँव वाली इस खास जेल की सैर नहीं होती, तो ऐसे-ऐसे तड़कों की ख़बरें कहाँ मिलती? 

वैसे हर ज़िंदगी में अपनी-अपनी तरह के हलाल और झटके होते हैं। आपकी ज़िंदगी कहाँ-कहाँ हलाल हुई है और कहाँ-कहाँ इसने झटके खाए हैं?