Thursday, November 6, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 33

Comment, Compliment and Politics 

तारीफ़, कटाक्ष और राजनीती?

उन दिनों नया-नया दिल्ली जाना शुरु किया था। हरियाणा की बस से ISBT (Inter State Bus Terminal), महाराणा प्रताप बस टर्मिनल, कश्मीरी गेट, पर उतरने के बाद, उस सिविल लाइन इंस्टिट्यूट तक शुरु-शुरु के कुछ दिन रिक्शा से जाती थी। मगर जब लगा की रस्ता बिलकुल सीधा-सा है और ज्यादा दूर भी नहीं, तो कई बार पैदल भी चल देती थी। वैसे भी इतना सा रस्ता तो MDU में हॉस्टल से डिपार्टमेंट तक रोज ही चलना होता था। मगर, इन दोनों रस्तों में कुछ नहीं, शायद काफी कुछ अलग था। कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, भारत में कुछ कदम चलते ही जुबाँ या बोली बदल जाती है। कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, एक गाँवोँ वाली हरियान्वी लठमार और एक किसी भी यूनिवर्सिटी में घुसते ही जुबाँ या बोली का फर्क। ये फर्क फिर एक यूनिवर्सिटी से दूसरी यूनिवर्सिटी के कैंपस का भी होता है। ऐसे ही जैसे, MDU और DU का फर्क। उसपर ये फर्क, एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट का भी होता है। एक डिपार्टमेंट में जो भाषा आम बोलचाल की भाषा हो सकती है, वही दूसरे डिपार्टमेंट में ओफ्फेंसीवे, आक्रामक, बद्जुबाँ या गँवार भी। कुछ-कुछ ऐसे, जैसे, Life Sciences और Engineering का फर्क। एक कैंपस में एक डिपार्टमेंट की भाषा और किसी दूसरे कैंपस में उस विषय के डिपार्टमेंट की भाषा, शायद फिर भी कहीं न कहीं मिलती-जुलती सी नज़र आती है। ऐसे ही जैसे, Soft Skills और Rudeness का फर्क? नहीं, इससे भी आगे, जहाँ यही पहचानना मुश्किल हो जाए, की ये तारीफ़  है या कटाक्ष?     

ऐसा ज्यादा rude और over soft or smartness, दोनों पर लागू होता है। पीछे किसी डिपार्टमेंट की किसी साइट पर कुछ पढ़ रही थी, जहाँ satire within programming क्या होता है, जैसा सा कुछ था। ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे, एक, लोगों के माहौल को बढ़ा-चढ़ा या तोड़ मरोड़ कर मार देना, Invisible Murders और दूसरा, सीधे-सीधे डंडे, चाकू या छुरी से मारना। 

कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, 

महारे बावली बूचाँ के अड्डे 

झाऊ मूसा अर सुणसणीया    

अब इसी को अगर संगीतमय राजनीतिक बिगाड़ करके राई के पहाड़ जैसे पेश करना हो तो?


ऐसे?

No comments: