Monday, December 1, 2025

Modern Warfare, Pros and Cons 34

Malmo lane of Rohtak?

दुनियाँ के दो अलग-अलग कोनों में दो अलग-अलग शहर। मगर, कहीं न कहीं, कुछ न कुछ तो मिलता जुलता सा है। क्या भला?   

Malmo Lane 

अब आप सोच रहे होंगे की ये क्या है? ये कंप्यूटर उद्योग की या कहो की डिजिटल जहाँ की दुनियाँ है। ये इन शहरों के डिजिटल या कंप्यूटर के शुरुआत और फैलाव की कहानी है। इनकी दुकानों पर ख़ास तरह के कोड हैं और हर दूकान के पास खास तरह के उत्पाद। 

यूरोप के ऐसे से शहरों की माल्मो लेन थोड़ी ज्यादा विकसित हैं। उनका, उनके शहर की यूनिवर्सिटी से थोड़ा ज्यादा लेन देन है। वो शायद इसलिए भी की वो देश ही हमसे ज्यादा विकसित हैं। ऐसे ही उनकी यूनिवर्सिटी भी। किसी भी शहर की ये लेन, अपने आपमें कोई नई यूनिवर्सिटी खड़ी करने का crude material रखती हैं। क्यूँकि, भविष्य का कोई भी क्षेत्र कम्प्यूटर से अछूत नहीं रहने वाला या कहो की जैसे संभव ही नहीं लगता । 

कुछ कुछ ऐसे ही और भी अनेकों पॉकेट्स हैं इन शहरों में, जो अपने आप में बहुत पुराने होते हुए भी, इन शहरों का भविष्य घड़ने का crude material हैं। ऐसे ही जैसे, रोहतक का पालिका बाजार या किल्ला बाजार। हाँ, इन्हें नई जगह शिफ्ट करने की जरुरत है। कहीं ऐसी जगहों पर जहाँ शिक्षा उद्योग को सीधा-सीधा इनसे जोड़ा जा सके। ये विचार कहाँ से आया? बिहार इलेक्शंस से ;) भला उस गरीबुद्दीन राज्य का इन सबसे क्या लेना देना? उसके लिए आपको एक छोटी सी, चोटिल सी कहानी सुननी पड़ेगी।  

I was looking for some pic of that lane, in some video of some channel shown recently, but forgot in which video I watched that planet lane? Can you show again please? 

Modern Cell, Pros and Cons 33

Trust in The Age of AI?

How intelligent are intelligent systems? Trust always remains an issue in any intelligent system? 

Matrix of trust issue?

किसी कम पढ़े लिखे और उस पर धर्म या रिति रिवाज़ों के जाल में उलझे इंसान को कितना मुश्किल है, बेवकूफ़ बनाना? और सारा ही आसपास ऐसा हो तो? सोने पे सुहागा जैसे?  

सोचो, omics को om या ओमी बता कर पढ़ा या समझा दें तो? सिस्टम का जाल बस इतना सा ही तो है? और इसके नाम पर कितना ही cult घड़ दें? मुझे तो ऐसी सी कई सारी कहानियाँ नज़र आ रही हैं आसपास। और आपको? जानने की कोशिश करो, शायद एक आध तो आपके पढ़े लिखे वातावरण में भी मिल ही जाएगी। अब एक आध अगर समझ आ गई, तो और ऐसी सी ही कितनी ही कहानियों की घढ़ाईयोँ को समझना कितना मुश्किल होगा?