Monday, December 22, 2025

चाँद निकला है, की निकला है सूरज?

चाँद निकला है, की निकला है सूरज?

इतनी धुँध में, चलो कुछ तो निकला है। 

अरे! ये लिखते-लिखते ही कहाँ गया?

कह रहा है शायद,

लुकते-छुपते आया हूँ 

और एक तुम हो, 

जो लग जाते हो शब्दों में पिरोने। 

और जैसे कोई काम-धाम ही नहीं तुम्हें?   


 

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