A try to create real life copies? Parallel creations? Mirrors which show either thick or thin or distorted version of yours? They don't just show but create. They convert theory into practical via tested scientific ways.
या दिमागी दौरे?
या?
दिमागी गड़बड़ घोटाले? Role Play?
फ्रीज नौटंकी
ताई, सास?
तो भाई क्या हुआ?
और बहन क्या हुई?
जग नौटंकी, या 50-50?
बहन? साली आधी घर वाली?
या बाहर जाके तेरे पति को पूरा का पूरा ही खिसका ले जाने वाली?
तो तेरे घर का साँग क्या हुआ?
भतीजा या भांजा ??
और माँ? कुत्ती?
आशीष नगर या आनंद नगर?
सुख?
Hybrid Modelling?
Or Blocking Zone?
पूरा चौक !
मतलब आप सच के पागलखाने में हैं? चारों तरफ पागल ही पागल?
Social Simulations? And? Role play?
एक ऐसा जहाँ, जहाँ पर आपको रिश्ते-नातों में मिलावट करने को बोला जाता है? और आप तैयार भी हो जाते हैं? वो भी एक बार नहीं, रोज रोज? या पता ही नहीं कितनी बार? आपको अपने रिश्तों या उनकी समस्याओं के समाधान पर फ़ोकस करने की बजाय, दुनियाँ भर के रिश्ते सुलझाने या उलझाने में लगा दिया गया है।
आपका बच्चा आपका है या किसी कंपनी का या राजनीतिक पार्टी का? कंपनियों और राजनीतिक पार्टियों के उत्पाद मात्र हैं शायद आप? कम से कम आपकी IDs और सरकारी या प्राइवेट संस्थान और उनके Rule Regulations या नीतियाँ, ऐसा सा ही कुछ कर रहे हैं या कह रहे हैं।
वो उसे माँ के जाने के बाद जहाँ भेझने की बोलते हैं, क्या वहाँ, यहाँ से बेहतर माहौल था? या है? या वहाँ कोई और ही तरह का प्रोग्राम रचना था?
आपको अपनी सास के साथ मिल बैठकर बात करने की बजाए, किसी ताई, चाची या दादी को आपकी सास बता दिया गया है? और आप उनमें अपनी सास देखने लगे? परिणाम क्या होंगे? ना ससुराल में सही ना यहाँ अड़ोस पड़ोस में बोलचाल सही? चाची, ताईयों को तो आप मारणी गाएँ या भैंस जैसी कोई सास समझने लगे हैं? और असली सास से बोलचाल ही बंद? आपसे ऐसा करवाने वाले क्या अपने यहाँ भी ऐसा कुछ कर रहे हैं? या वहाँ खेल इसके बिलकुल विपरीत चल रहा है? क्यूँकि, वहाँ बिगड़े काँड को ठीक करना है। और यहाँ, थोड़ी बहुत तू-तू, मैं-मैं को प्रयोग कर काँड रचने हैं।
तो भाईयों या बहनों को क्या समझने लगे हैं? पति, देवर, जेठ, नणद? फ़िल्मी दुनियाँ के कलाकारों का किया नाश है ये? और साथ में राजनीतिक पार्टियों का? Mind matters, जहाँ आपके भेझे के पेंचों को ढीला करना अहम है। उसके बाद ऐसे दिमागों को किधर भी खिसकाना आसान होता है, ढीला करने वालों के लिए। ऐसे-ऐसे भेझे तैयार कर रहे हैं ये mind matters वाले, जहाँ बहन, भाई को; भाई, भाई को; चाचा, भतीजे को; भतीजा, चाचा को; और भी कोई भी रिस्ता ले लो, जैसे जड़ से ख़त्म करने को तैयार हों। हाँ। ये भाई या बहन, चाचे, ताऊओं या मामा, बुआ के हो सकते हैं। पास के भी और दूर के भी। आज के समाज की ज्यादातर समस्याओं की जड़ यही mind matter matrix craetion है। इसे आप जितना असलियत के आसपास रखेँगे, ज़िंदगी उतनी ही ज्यादा आसान होगी। कोशिश करने वाले तो कोशिश करेंगे, ये जाले बनाने की, क्यूँकि, ऐसे-ऐसे उलझे जाले बुनकर ही वे कुर्सियाँ पाते हैं और अपना बाज़ार सजाते हैं। बाजरू रिश्तों के मालिक? जब वो आपको इन जालों में गूँथते हैं तो अभी या शॉर्ट टर्म का फ़ायदा तो दिखाते हैं, मगर दूर, शायद थोड़ी बहुत दूरी पर ही खड़ा किया गया नुकसान, खाई या समस्याएँ नहीं दिखाते। जो इन्हें बड़े साफ़ साफ़ पता होते हैं।
सोचो ये तुम्हें बिमारियों के बारे में क्यों नहीं बताते?
ये आपके आदमी मार रहे हैं, आपका अपना बनकर, वो क्यों नहीं बता रहे?
ये कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे आपको 24 घंटे रिकॉर्ड कर रहे हैं, वो क्यों नहीं बताते?
और भी बहुत कुछ ऐसा, जो आपके सही फायदे में है, वो क्यों नहीं बताते?
यही नहीं, जो कोई बताते हैं, उन्हें तरह-तरह के केसों में उलझा देते हैं या दुनियाँ से चलता कर देते हैं। ज्यादतर ऐसा बताने वाले कोड में बताते हैं, क्यूँकि, उन्हें खतरे पता होते हैं, इस खुंखाऱ कोडेड सिस्टम के। कोड्स में कुछ समझ आता है, कुछ नहीं आता। या शायद कभी-कभी उल्टा भी समझ जाते हैं, या इधर-उधर से समझा दिए जाते हैं।
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