About Me

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Sunday, August 4, 2024

मगर कैसे?

Rhythms of Life 4th अगस्त 2011 पोस्ट, ब्लॉग्स के organization, clutter, declutter में कहीं और गई।   
आज ही के दिन कोई इंसान इस घर से गया था। जो इस घर का न होकर भी, अपने घर से ज्यादा इस घर का था। कोई बात ही नहीं थी। मेरे पास आया , स्टडी टेबल और कुर्सी दे गया। उन दिनों मै सैक्टर-14 रहती थी। घर पे भी ऐसी ही कुछ, कहानियाँ थी। मगर, ऐसी कहानियों के पीछे छिपे रहस्यों को जानना, बहुत मुश्किल भी नहीं होता शायद।  

अरविंद केजरीवाल रैली और किसान हादसा : ऐसे केसों को जानना शायद थोड़ा बहुत मुश्किल हो ? शायद ?

ऐसा-सा ही कुछ ये भी शायद?

Generally, मैं स्पैम मेल्स नहीं खोलती। उसपे gmail तो वैसे भी yahoo से कम ही प्रयोग होता है। मगर जब भी खुलता है, तो ज्यादातर स्पैम बिना पढ़े डिलीट होती हैं। शायद यही होना भी चाहिए।

 
मगर, जाने क्यों कल जब कई दिन बाद चैक किया तो स्पैम मेल्स पे निगाह ठहर गई जैसे। इमेल्स भी पीछे की तारीख में होती हैं क्या, स्पैम ही सही? या महज coincidence जैसे? या कुछ नहीं मिलता-जुलता? या मिलता भी है और नहीं भी शायद? मगर कैसे? यहाँ-वहाँ , जाने कहाँ-कहाँ, सब जैसे साथ-साथ सा ही होता है? मगर कैसे? ये अहम है। 
Cleartax ने ?

Micromaagemet upto what level ?

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