एक दिन ऐसे ही किसी ऑफिसियल काम से चंडीगढ़ जाना था? सालों पहले की बात है, रोहतक से चली ही थी तो सोचा क्यों ना पहले सोनीपत का रुख किया जाए? कई सारे प्रश्न थे दिमाग में, जिनके उत्तर चाहिएँ थे। अब मैं उनमें से नहीं, जो सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करे। या ईधर-उधर के लोगों से बात करे। यहाँ सीधा-स्पाट बात वहीँ होती है, जहाँ के प्र्शन होते हैं। खासकर, तब तो और जरुरी हो जाता है, जब इधर-उधर से विश्वास लायक जवाब नहीं मिलते। बल्की, कुछ ऐसे मिलते हैं, की कुछ और प्र्शन दे जाते हैं? जैसे, फिर ये शादी नाम का घपला क्या है? आजकल किसी चैनल ने सुना है, कोई सिँदूर बचाओ अभियान भी चलाया हुआ है? किसका सिँदूर? अहम बात हो सकती है, यहाँ पर? मेरे आसपास कई हैं, उनका? या सोनीपत में किसी का? और RAW का या FBI का, या ऐसी ही किसी और इंटेलिजेंस एजेंसी का, ऐसे किसी सिन्दूर से क्या लेना-देना? खैर। उन दिनों आसपास के सिंदूरोँ का कोई ज्ञान ही नहीं था। या कहो की Conflict of Interest की राजनीती के पैदा किए, वो सिँदूर पता नहीं कहाँ पढ़ रहे थे? या क्या कर रहे थे? हकीकत तो ये है, की उन दिनों Conflict of Interest की राजनीती क्या होती है, यही नहीं पता था।
अब जहाँ की तरफ गाडी मोड़ दी थी, मेरे हिसाब से वहाँ मैं एक नए इंसान को छोड़, बाकी सबसे मिल चुकी थी और थोड़ा बहुत शायद उन्हें जानती भी थी। तो पहुँच गई, उस घर? नहीं, उसके भाई के घर। क्यूँकि, अब वो अलग-अलग रह रहे थे, आसपास ही। थोड़ी बहुत बात हुई, और वो मुझे पास ही उस घर ले आए। पता नहीं क्यों लगा, की कुछ तो गड़बड़ है। जाने क्यों किसी ने मिलने में ही बहुत वक़्त लगा दिया। मगर क्या?
उसके बाद थोड़ा बहुत उस पर, इधर इधर सुनने-पढ़ने को मिला। और मेरा यूनिवर्सिटी में ही कहीं आना-जाना थोड़ा ज्यादा हो गया। वहाँ सब राज छिपे थे शायद।
यहाँ से एक अलग ही दुनियाँ की खबर होने लगी थी। इस दुनियाँ का दायरा थोड़ा और बढ़ने लगा था। और जितना ज्यादा जानना चाहा, वो बढ़ता ही गया। तो ये मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स क्या है? इसमें कौन-कौन हैं? और इसके मुद्दे कहाँ-कहाँ घुमते हैं?
Ministry of home affairs?
Psychological warfare?
Setting the narratives?
सिँदूर की राजनीती या कांडों पे पर्दा डालने की?
With all due respect to Ministry of home affairs?
जब गाँव आई, तो Conflict of Interest की राजनीती के पैदा किए, सिन्दूर-युद्ध के ड्रामों से आमना-सामना हुआ। शुरु-शुरु में तो समझ ही नहीं आया, की राजनीती भला इतने लोगों की ज़िंदगियों से कैसे खेल सकती है? जिनकी ज़िंदगी के युद्ध, बड़े ही छोटे-छोटे से रोजमर्रा की ज़िंदगी की, छोटी, छोटी-सी परेशानियों में दिखे।
किसी को इतनी-सी समस्या है की वो अपनी ससुराल, खाना-पीना तक अपनी मर्जी से नहीं खा-पी सकते? पता नहीं, सास कहाँ-कहाँ ताले जड़ देती है?
किसी को इतनी-सी समस्या है, की उसे घर में बंद कर सास-पति पता ही नहीं, कौन-से सत्संग चले जाते हैं। और कई-कई दिन तक घर नहीं आते और घर में कुछ खाने तक को नहीं?
किसी की इतनी-सी चाहत है, की उसको अपने घर का रोजमर्रा का प्रयोग होने वाला सामान इक्क्ठ्ठा करना है। वही नहीं है?
किसी के हालात ऐसे बना दिए गए, की आने-जाने तक के पैसे नहीं? किसी के पास पहनने को नहीं? किसी के पास मकान नहीं? किसी के पास ये नहीं, और किसी के पास वो?
तो वो है ना जो, जो लड़की अभी-अभी घर आई है, उसके पास ये सबकुछ है, छीन लो उससे? उसे इतना तंग करो, की या तो आत्महत्या कर ले या तंगी से मर जाए। नहीं तो निकालो उसे गाँव से भी।
ये खामियाज़ा भाभी ने भुगता? इससे भी बुरा कुछ गुड़िया के साथ करने की कोशिशें हुई, इसी Conflict of Interest की राजनीती द्वारा। फिर मैंने तो जो देखा, सुना या भुगता, ऐसे-ऐसे, रोज-रोज के ड्रामों की देन, वो कोई कहानी ही अलग कह गया शायद?
इन सब लड़कियों की दिक्कत क्या है?
Independent ना होना? Economic Independence आपको कितनी ही तरह के अनचाहे दुखों और Conflict of Interest की राजनीती के पैदा किए, अनचाहे युद्धों तक से काफी हद तक बचाती है। मुझे लगता है, की मेरे पास अपना पैसा या इधर-उधर अगर थोड़ा-बहुत सुप्पोर्ट सिस्टम ना होता, तो मैं क्या, ये Conflict of Interest की राजनीती मुझे ही नहीं, बल्की, पूरे घर को खा चुकी होती।
इन लड़कियों की और इन जैसी कितनी ही लड़कियों की समस्या, सिन्दूर का होना या ना होना नहीं है। हकीकत ये है, की अगर ये Economically Independept हों, तो ये तो कोई मुद्दा ही नहीं है। कुछ एक Economically Independept होते हुए भी इस जाल में फँसी हुई हैं, तो वो आसपास के Media Culture की वजह से। कमाते हुए भी, उन्हें नहीं मालूम, की वो पैसे उनके अपने हैं। अपनी और अपनों की ज़िंदगी को आसान बनाने के लिए हैं। किन्हीं लालची और बेवकूफ लोगों के शिकंजों में रहने के लिए नहीं।
आगे किन्हीं पोस्ट में बात होगी, आसपास द्वारा किए गए उन रोज-रोज के ड्रामों की भी। और कौन करवाता है वो सब उनसे? सबसे अहम कैसे? Emotional Fooling, Twisting and Manipulating Facts, Psychological warfare, Setting the narratives.