Report card?
Hustle culture?
Balanced culture?
Or sometimes?
Happy go Lucky kinda stuff. Lilbit curious, lilbit adventurous, lilbit rebel, nature lover. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct. Sometimes feel like to read and travel. Profession revolves around academics, science communication, media culture and education technology. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.
Report card?
Hustle culture?
Balanced culture?
Or sometimes?
मान लो आपने कहीं लिखा या कहा की इस विषय पर जानकारी चाहिए।
पैसा तो बहुत कमा लेते हैं, ठीक-ठाक गुजारे लायक,
मगर, मेरे जैसे निक्क्मों के पास वो टिकता नहीं।
और आपको कोई विडियो देखकर लगता है, अरे वाह !
ये सलाह तो ठीक-ठाक लग रही है।?
बिलकुल Personalized Medicine के जैसी सी?
जैसे?
ये?
और ये क्या?
वो, विडियो कहाँ गया?
मैं जब उसे देख रही थी, तभी कुछ गड़बड़ घौटाला-सा लग रहा था। वैसा सा ही कोई मैसेज, जैसा वो "You are not alone. iCall on this number ..... "
ये मैसेज, अबकी बार आपको किसी वेबसाइट पर ले जाता है, जो ना सिर्फ बहुत ज्यादा biased है, बल्की cybersecurity के नाम पर direct-indirect आपको भी target कर रही है। अब ये जिसका विडियो है, वो इंसान या चैनल और वो मैसेज क्या एक ही हैं? या अलग-अलग? ऑनलाइन दुनियाँ के हेरफेर?
वैसे ये इस तरह के पर्सनलाइज्ड मैडिसन जैसे से ज्ञान, कई चैनल्स पर चलते मिलेंगे। जिनमें कुछ आपको अपने काम का लगेगा और कुछ नहीं नहीं भी। और बहुत कुछ टारगेटेड भी। मगर, ऐसे पहले कोई विडियो दिखाना और फिर उस लिंक को मेरे ही लैपटॉप की हिस्ट्री तक से उड़ा देना, दूर, बहुत दूर बैठे? ये थोड़ा ज्यादा ही हो गया। कम से कम हिस्ट्री को तो हिस्ट्री ही रहने दो। ये जिसका लैपटॉप है उसपे छोड़ दो, की वो कब तक कोई हिस्ट्री रखे और कब डिलीट करे।
ये तो वही वाला सिंथैटिक जहाँ नहीं हो गया की, "मैं चाहु ये यादास्त लाऊँ और ये यादास्त मिटाऊँ, मेरी मर्जी?" Human Robotics में आपका स्वागत है।
पर्सनलाइज्ड मैडिसन क्या है?
ये ऐसे है, जैसे किसी टेलर का आपका सूट सिलना। आपके स्टाइल और सुविधानुसार।
ठीक ऐसे, जैसे आपका घर डिज़ाइन करना, आपकी जरुरत और सुविधानुसार।
और आपकी औकात के अनुसार भी?
जैसे?
आ चलके तुम्हें मैं ले के चलूँ, एक ऐसे जहाँ में,
जहाँ कोई बेघर ना हो?
इत्ता सा घर तो हर किसी का अधिकार हो?
जैसे टेस्ला का ये गाड़ीनुमा घर
Human Computer Interactions and ? Inbetween connecting links?
आदमी, मशीन और इनके बीच के तत्व (खुरापाती?)
या आदमी-आदमी और इनके बीच के तत्व (मशीनें)
या?
और भी कई तरह के कॉम्बिनेशन हो सकते हैं?
चलो कुछ-एक, ईधर-उधर के उदाहरणों से जानने की कोशिश करें?
मान लो आपको कोई दिक्कत है या आपका कोई जानबूझकर कहीं कोई काम अटका रहा है या अटका रहे हैं? आपके पास उसके या उनके खिलाफ सबूत हैं, खुद उनके दिए हुए? मान लो ऑफिसियल मेल्स या नोटिस? आपको उसको जगजाहिर करना है, अपने ब्लॉग पर रखना है या उसकी किताब निकालनी है। निकाल दो, दिक़्क़त क्या है? जिन्होंने गड़बड़ की हुई है, वो इतनी आसानी से ऐसा करने देंगे क्या? वो आपको रोकने की कोशिश करेंगे, जहाँ तक हो सके। ये रोकने की कोशिश कितनी या कितने तरह की होगी ये इस पर निर्भर करता है की ऐसे लोगों का गुनाह या के गुनाह कितने बड़े या संगीन हैं? और उनके खिलाफ सबूत कितने मजबूत हैं?
मान लो आपने सब सबूत इक्क्ठ्ठे कर लिए और उन्हें कोई किताब की सूरत देने की कोशिश कर रहे हैं। वो आपके लैपटॉप या मोबाइल में छुपे बैठे हैं और डाक्यूमेंट्स को या तो उड़ा रहे हैं या उनमें गड़बड़ कर रहे हैं। आप ऐसे-ऐसे उनके कारनामों को पहले भी काफी भुगत चुके हैं। और ऐसे-ऐसे अवरोधों के बावजूद उनके काले कारनामों की फाइल्स ऑनलाइन रख चुके हैं। या किन्हीं सुरक्षित जगह पहुँचा चुके हैं। तो ये फाइल नहीं गई होगी क्या?
अब ये सब रोकना उनके बस की बात ही नहीं। हर बाप का बाप होता है? और हर बॉस का बॉस? तो ये लोग वो सब रोकेंगे, जो उनके बस की बात है। वहाँ भी कितना वश चल पाता है, वो अलग बात है? ऐसे खतरनाक युद्धों में, ऐसे लोग बड़ी मार, इंसानों या ज़िंदगियों पर करते हैं। और इनका सबसे बड़ा भुगतान समाज का सबसे कमजोर वर्ग करता आया है और करता रहेगा। क्यूँकि, वो सबसे आसानी से खिसकाई जाने वाली कड़ी होते हैं। साइकोलॉजी, inbetween links या बिचौलियों की यहाँ हमेशा से अहम भूमिका रही है। जितना ज्यादा ऐसे लोगों को अपने बीच से हटाया जा सके, उतना ही आसान ऐसे-ऐसे लोगों के जालों से बचना होता है।
"पीलिया बाज़ार
"ए हैप्पी, हैप्पी
उह्की गाड़ी कड़े सै? आशीष की?
उह्की गाड़ी मैं बैठ जाईए।"
ये किसकी गाडी की बात हो रही है?
आप तो शायद ऐसी किसी गाडी में कभी नहीं बैठे?
ये गाड़ियों के रहस्य, आम जनता को जैसे समझाए जाते हैं या समझ आते हैं, अक्सर वो वैसे नहीं होते।
शायद ऐसा कुछ?
Quality of life and quality of environment or system, एक ही चीज़ हैं। जितना किसी भी सिस्टम के कोढों को और अलग-अलग पार्टियों के किरदारों को समझा जाएगा, उतना ही ज्यादा वहाँ की खामियों या समस्यायों को। जब तक किसी भी सिस्टम को जानने की कोशिश ही नहीं करोगे, तो समाधान कहाँ से निकलेंगे? जब तक किसी भी समस्या को aknowledge तक नहीं करोगे, उसके हल कैसे निकलेंगे? राजनीतिज्ञ जुआ और उस पर बाज़ारवाद का तड़का, आज की दुनियाँ की सबसे बड़ी समस्या है। समाधान, उसको जानने, समझने और जहाँ तक हो सके उसे उजागर करने में है। उसका ख़ात्मा चाहे इतना आसान ना हो, मगर, उसे उधेड़ आम लोगों की जानकारी में रखना, उस तरफ एक कदम जरुर है।
धन्यवाद उन सब लोगों का जिन्होंने इस घिनौने कोढ़ वाले जुए के सिस्टम से अवगत कराया। जिसकी कुर्बानी, कुछ ने अपनी जान खोकर दी, तो कुछ ने कहीं सलाखों को भुगत कर और कहीं आर्थिक, सामाजिक पड़ताड़ना के रुप में। तो कितनों को ऐसे क्रूर सिस्टम से बचाव का रास्ता सिर्फ और सिर्फ माइग्रेशन नज़र आया।
मेरा गाँव, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ गाँव?
मेरा मौहल्ला, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ मौहल्ला?
मेरा शहर, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ शहर?
मेरा देश, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ देश?
मेरा संसार, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ संसार?
आप एक ऐसे गाँव में हैं, जहाँ की सरपँच भी पढ़ी लिखी है, और जिस गाँव का MLA भी। जी हाँ MLA भी अक्सर इसी गाँव से रहे हैं। अब भी यहीं से हैं। मगर, लगता है या तो वो गाँव रहते ही नहीं या उनका गाँव से लेना देना कम है। खासकर गाँव की कुछ जगहों से। कुछ गलियों में वो सिर्फ मौतों के ऊप्पर कुछ ड्रामों के हिस्सों तक दिखते हैं? उससे ज्यादा नहीं? अब हो सकता है मुझे खबर कम हो, इसलिए प्रश्नचिन्ह है। ये आज आज़ाद दिवस (?) के दिन गाँव की एक गली का सुन्दर स्वस्थ सा द्रश्य है। आप भी देखिए
जैसा की पीछे पोस्ट में पढ़ा, माइग्रेशन के कारण अपनी मर्जी से हों या जबरदस्ती, वजहें तक़रीबन वही होती हैं। सुरक्षा, आगे बढ़ने के अवसर और भेदभाव रहित वातावरण या जबरदस्ती कुछ भी थोंपने की कोशिशें। अगर आपमें पोटेंशियल है, तो आप अपने रस्ते खोज ही लेंगे।
इतने सालों बाद गाँव में वापस आकर रहने के कुछ फायदे भी हुए। उसमें एक चीज़ जो खासकर समझ आई वो ये, की आगे बढ़ते हुए लोग या परिवार, गाँव या उसी शहर में, अपनी अगली पीढ़ी में क्यों नहीं दिखते? आगे बढ़ते हुए लोग या परिवार भला इतना वक़्त एक ही जगह शिथिल कैसे रह सकते हैं? और शायद इसीलिए, इन आगे बढ़ने वाले लोगों में और पीछे रह जाने वाले लोगों में फर्क भी साफ़ नजर आता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मुझे अपने ही घर में भाभी की मौत के बाद नज़र आया। जब माँ और भाई की insecurity का दोहन करते हुए, कुछ लोगों ने उनके दिमाग में भरा की काम वाली चाहिए। काम वाली? या घर वाली? काम वाली वो जो कुछ पैसे के बदले आपके घर के काम करे या घर वाली जो आपके घर और परिवार को आगे बढ़ाए? खैर। वो काम वाली या घर वाली तो आई और आई गई भी हुई। मगर यहाँ के लोगों को आज भी काम वाली ही चाहिए। आसपास कई बुजुर्गों से खासकर जब कुछ विषयों पे बात हुई तो यूँ लगा, ये आज भी किसी और ही सदी में रह रहे हैं। क्यूँकि, ये काम वाली सिर्फ लड़कों को नहीं, बल्की, लड़कियों को भी चाहिए, खासकर नौकरी करने वालों को। भारत में तो खासकर? या शायद काफी कुछ बदल चुका है और तेजी से बदल रहा है?
ये उन बहन, भाइयों, माँ, चाची, ताइयों, दादियों या शायद चाचा, ताऊओं और दादाओं के लिए भी? जिनके लिए एक दो लाख बहुत बड़ी बात नहीं है और काम वाली आपके अनुसार और आपके वक़्त पर काम करने के लिए हाज़िर है। है? नहीं हैं? मशीने, जो झाडू, पोचा, बर्तन, कपड़े तो साफ़ करती ही हैं, वो भी ज्यादातर काम वालियों से बेहतर। खाना बनाने में भी काफी सहायक हैं। आपके बच्चों को पढ़ाने में भी। और भी कितने ही काम, इंसानों से ज्यादा अच्छे से करती हैं। तो मिलते हैं अगली पोस्ट में ऐसी ही कुछ आधुनिक काम वालियों से।
ये पोस्ट 28 December 2019 को लिखी हुई है।
(Journaling helps to know and solve many unknown puzzles.)
Part of Bio-Physio-Chem Warfare: Pros and Cons
लिखना शुरु कर चुकी थी। उसके बाद इसमें Psycho और Electric Warfare भी लिखना शुरु किया, खासकर गाँव आने के बाद और यहाँ के किस्से कहानियाँ और सामान्तर घड़ाईयोँ के तरीके जानने के बाद।
Word of the day?
Infantilize