Quality of life and quality of environment or system, एक ही चीज़ हैं। जितना किसी भी सिस्टम के कोढों को और अलग-अलग पार्टियों के किरदारों को समझा जाएगा, उतना ही ज्यादा वहाँ की खामियों या समस्यायों को। जब तक किसी भी सिस्टम को जानने की कोशिश ही नहीं करोगे, तो समाधान कहाँ से निकलेंगे? जब तक किसी भी समस्या को aknowledge तक नहीं करोगे, उसके हल कैसे निकलेंगे? राजनीतिज्ञ जुआ और उस पर बाज़ारवाद का तड़का, आज की दुनियाँ की सबसे बड़ी समस्या है। समाधान, उसको जानने, समझने और जहाँ तक हो सके उसे उजागर करने में है। उसका ख़ात्मा चाहे इतना आसान ना हो, मगर, उसे उधेड़ आम लोगों की जानकारी में रखना, उस तरफ एक कदम जरुर है।
धन्यवाद उन सब लोगों का जिन्होंने इस घिनौने कोढ़ वाले जुए के सिस्टम से अवगत कराया। जिसकी कुर्बानी, कुछ ने अपनी जान खोकर दी, तो कुछ ने कहीं सलाखों को भुगत कर और कहीं आर्थिक, सामाजिक पड़ताड़ना के रुप में। तो कितनों को ऐसे क्रूर सिस्टम से बचाव का रास्ता सिर्फ और सिर्फ माइग्रेशन नज़र आया।
मेरा गाँव, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ गाँव?
मेरा मौहल्ला, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ मौहल्ला?
मेरा शहर, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ शहर?
मेरा देश, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ देश?
मेरा संसार, साफ़ सुन्दर
और स्वस्थ संसार?
आप एक ऐसे गाँव में हैं, जहाँ की सरपँच भी पढ़ी लिखी है, और जिस गाँव का MLA भी। जी हाँ MLA भी अक्सर इसी गाँव से रहे हैं। अब भी यहीं से हैं। मगर, लगता है या तो वो गाँव रहते ही नहीं या उनका गाँव से लेना देना कम है। खासकर गाँव की कुछ जगहों से। कुछ गलियों में वो सिर्फ मौतों के ऊप्पर कुछ ड्रामों के हिस्सों तक दिखते हैं? उससे ज्यादा नहीं? अब हो सकता है मुझे खबर कम हो, इसलिए प्रश्नचिन्ह है। ये आज आज़ाद दिवस (?) के दिन गाँव की एक गली का सुन्दर स्वस्थ सा द्रश्य है। आप भी देखिए
No comments:
Post a Comment