कुछ के लिए अच्छा शायद? कुछ उलझ गए कहीं थोड़ा और ज्यादा शायद? कुछ के लिए बुरा, शायद बहुत बुरा?
मेरे लिए ये एक साल नहीं था, बल्की एक चल रहा दौर है। Kinda some continuity, since 2021 or 2019 or maybe since that joining back in 2017? जिसको बुरा, बुरा और बहुत बुरा होते भी देखा है। तो कहीं, कहीं न कहीं, न सिर्फ संभलते, बल्की वापस शायद, थोड़े बहुत अच्छे की तरफ मुड़ते भी। या शायद कहना चाहिए, की सिस्टम की चालों और घातों को, अपने और अपने आसपास के ऊपर से गुजरते, बहुत करीब से देखा है। गुप्त तरीके से शातिर इंसानों द्वारा, अनभिग-अंजान लोगों का शिकार करते देखा है। वो भी मानव रोबोट बनाकर। वो राजनीती जिससे नफरत करती थी, उसे थोड़ा और ज्यादा नफरत के करीब देखा है। मगर दूर होकर नहीं। बल्की उसका हिस्सा ना होकर भी, कहीं न कहीं उसे, शायद आम-आदमी से भी झुझते देखा है। थोड़े अजीबोगरीब रूप में। जिससे लगा की मुश्किल तो है, मगर असंभव नहीं, अगर आम इंसान भी ठान ले तो। इस खुंखार, बेरहम और आदमखोर सिस्टम को भी कोई दशा या दिशा देना। थोड़ा ज्यादा हो रहा है ना? हाँ। ये साल थोड़ा ज्यादा ही था।
जब ज्यादा कुछ होता है तो शायद सीखने को भी काफी होता है। और बड़बड़ाने को भी, मतलब लिखने को भी। ऑनलाइन ट्रैवेल का शौक थोड़ा और आगे बढ़ा, खासकर दुनिया भर की यूनिवर्सिटीज का। यूनिवर्सिटीज के बारे में या किन्हीं भी ऐसे संस्थानों के बारे में एक खास जानकारी जो हासिल हुई, वो ये की शायद ज्यादातर ये संस्थान, जो सही में किसी भी समाज को कोई भी दशा या दिशा देते हैं, खुद को ज्यादातर एक अलग ही वातावरण में रखते हैं। silos type environment. समाज और इनके अंदर का पर्यावरण या माहौल जितना अलग होता है, बाहर का समाज उतना ही ज्यादा इनके लिए फैसलों को भुगतता है। इनके लिए फैसले? या सही शब्द, इनके ना लिए फैसले? या सही शब्द, शायद, ज्यादा समझदार लोग बेहतर बता सकते हैं?
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