How it happens?
हकीकत या सिर्फ जोड़तोड़ की कहानियाँ? ये आँकलन पढ़ने वालों पर छोड़ देते हैं।
कहीं एक गोली आती है, किसी खाने-पानी में, धोखे से? और कहीं पीरियड्स शुरु?
दूर, बहुत दूर कहीं, एक गोली आती है, बन्दूक से, पिस्तौल से या किसी देशी कट्टे से, छुपे हुए से किसी स्थान से जैसे? और खून?
क्या दोनों एक ही बात हैं?
एक इंसान पढ़कर, मेहनत करके परीक्षा पास करता है और अपनी डिग्री लेता है। उस मेहनत के अनुसार उसके नंबर आते हैं या उसे ग्रेड मिलती है।
एक इंसान किसी को पसंद करता है और वो उसे पाता है या नहीं, ये शायद बहुत से ऐसे तत्वों पर निर्भर करता है, की उसके आसपास और कितने उसे चाहने वाले हैं? और वो क्या चालें या घातें चलते हैं? या ऐसे लोगों के अपने? उसकी भी कोई ग्रेडिंग होती है क्या? जैसे ABCD? या cast जैसे ahir, baniya, brahman, chamar, jat, rarajput या Cristian, Hindu, Jain, Jew, Muslim etc?
ऊप्पर वाले दोनों तथ्यों को एक ही नज़र से देखा जा सकता है क्या? क्या राजनीती किसी को चाहने या ना चाहने वाले के किस्से कहानियों की ना सिर्फ ग्रेडिंग बल्की उतार चढाव तक आपकी डिग्री की ग्रेडिंग में घुसेड़ सकती है? या तुलना कर सकती है?
या इस सबसे आगे जाके आपकी ग्रेडिंग को बढ़ा-चढ़ा भी सकती है या शायद तहस नहस भी?
डिग्री और रिश्तों के हेरफेरों की ग्रेडिंग? क्या दोनों एक ही बात हैं?
सबसे बड़ी बात, राजनितिक पार्टियों को लोगों की ज़िंदगियों में ऐसे घुसने की ईजाजत किसने दी?
सिर्फ राजनितिक पार्टियाँ या बड़ी बड़ी कंपनियों का भी इस सबमें बहुत बड़ा योगदान है?
ऐसे ही सिर्फ पीरियड्स या किसी का खून तक नहीं बल्की ज्यादातर बीमारियाँ ऐसे ही आपके राजनीतिक सिस्टम की देन हैं। जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को abc तक नहीं पता।
ऐसे ही जैसे दो इंसानो का आपस में चाहना?
या किसी छल कपट या रैगिंग या टैस्टिंग के नाम पर किसी से धोखा करना।
क्या दोनों एक ही बात हैं?
उस पर दूर, शायद बहुत दूर कहीं, किसी या किन्हीं को शराब या ड्रग्स पिलाना या पहुँचाना? और उन बच्चों या युवाओं की ज़िंदगियाँ बर्बाद करना? और ऐसे घरों को बर्बाद करना?
कहीं और या शायद वहीँ, शराब के बहाने जमीन हथियाने की कोशिशें या ज़मीने हड़प जाना?
क्या ये एक ही बात हैं?
क्या प्रशांत किशोर एक बिहार जैसे गरीब राज्य में शराब की वकालत करते हैं?
या उसपर टैक्स लगाने या ना लगाने की?
इससे बिहारियों को क्या फायदा होगा? उनका स्वास्थ्य बचेगा या उससे खिलवाड़ होगा? उनके घरों में शाँति या समृद्धि आएगी या वो और तबाह होंगे?
ऐसा करने से उनकी ज़मीने (थोड़ी बहुत जो भी हैं), वो बचेंगी या रिलायंस जैसे बड़े-बड़े धंधेबाज़, 2 बोतलों में उनका हिसाब कर जाएँगे?
कहीं आपने Thar की कहानी पढ़ी, किसी पोस्ट में? H R 000? उसके आगे? चौका, छक्का या अट्ठा? क्रिकेट में अट्ठा तो शायद होता नहीं ना?
Thar से पहले Swift? और Swift वाले के कारनामे भी पढ़े होंगे? Swift का नंबर क्या था? कहाँ से कहाँ बेचीं गई, वो? कालिख़ थार? अब कहाँ पहुँच रही है? और कैसे? कौन आने जाने लगा है उसमें?
शराब के बदले ज़मीन हड़पने की कोशिश वाले कालीखों ने सफ़ेद swift के बाद काली Thar खरीदी और? उसके बाद? सफ़ेद i 20? वो भी स्पोर्ट्स। तो लड़कियों से खेलेंगे? वो लड़कियाँ फिर तुम्हें कहाँ बिठाएँगी, कालिखो?
घपले पे घपला?
घपले पे घपला?
जैसे?
नहले पे दहला?
या अठ्ठे पे नहला?
मूवी सीरीज़ देखी है कोई? गोलमाल? है भई सब? गोलमाल है? i 20 से पहले तो i10 भी आई होगी? कहाँ? किसी की अपनी कमाई से खरीदी गई इकलौती सफ़ेद i10, किसने धोखे से हड़प ली? किसी कंपनी ने शायद? और आज तक वही लिए बैठे हैं? क्यों? बड़ी बड़ी कंपनियों या शिक्षा के नाम पर धंधा करने वालों के लिए ये सब करना कितना मुश्किल है?
राजनीतीक पार्टियों और चालबाजों के रचे गुँथे यही घपले, बीमारियाँ भी लाते हैं? और एक्सीडेंट और मौतें भी? और भी बहुत कुछ लाते हैं?
जैसे दो बोतलों के बदले ज़मीन हड़पने वाले या कोशिशें वाले, उससे आगे चलकर शराब के ठेकों के मालिक भी बनते हैं? शिक्षा और कहीं 70000 में घर बैठे BED करें? या शिक्षा और क्रिकेट के चक्कर? या शिक्षा और? शराब के ठेकों के मालिक? शिक्षा के नाम पर ऐसे-ऐसे धंधे करने वाले so called शिक्षा संस्थान बँध नहीं होने चाहिएँ? ऐसे-ऐसे शिक्षा संस्थान और शिक्षा मालिक क्या परोस रहे हैं इस समाज को? ऐसे-ऐसे गुंडे, अपने खुद के चाचा ताऊओं या उनके बच्चों को नहीं बख्सते और किसे छोड़ेंगे वो?
और कैसे? ये सब जानना बड़ा ही रौचक है। आगे आते हैं, किसी पोस्ट में।
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