तुम कब तक हो यहाँ?
जब तक रस्ते ना खुलें। रस्ते बंद हैं भी, और नहीं भी शायद?
तुम तो कहीं जा रहे थे ना? अप्लाई ही नहीं कर रहे, ऐसा क्यों?
2022 के आखिर या 2023 के शुरू में किया था। यूँ लगा, जैसे कोई खेल चल रहा हो। जिसे ये या वो पार्टी खेल रही है। उसपे विषय थोड़ा बदला हुआ था, तो शायद थोड़ा वक़्त लगता है। भाभी के जाने के बाद अप्लाई ही नहीं किया। काफी कुछ समझना बाकी था, शायद। वही किया है, इस पिछले एक साल में।
ये हवा का रुख क्या है?
मैं भी समझने की कोशिश कर रही हूँ :) कुछ कहते हैं मैपिंग है। तो कुछ लाइव स्ट्रीमिंग, स्क्रीन क्लोनिंग और लाइव स्क्रीन वॉच शायद। जिसमें जो कुछ भी आप ऑनलाइन देख, सुन या पढ़ रहे हैं, उसके हिसाब-किताब का एनालिसिस है शायद। मैपिंग-वैपिंग कुछ नहीं, फ्रॉड है। वो बच्चों और बुजर्गों के मैपिंग का बवंडर कैसे बनाते हैं? या बिन हुए को भी कभी-कभी, अपनी-अपनी पार्टी के हिसाब से जैसे पेलते नज़र आते हैं।
ज्यादा तो नहीं मालूम, मगर इलेक्शन के दौरान और काउंटिंग वाले दिन बहुत कुछ रोचक था। इधर-उधर से, पिछले कुछ सालों में थोड़ा-बहुत समझ आया, की दुनियाँ के किस हिस्से की तरफ रुख का मतलब क्या है? उसी समझ के अनुसार, अगर आप इलेक्शन के दौरान, इधर वाले रुख की तरफ जाते नज़र आ रहे हैं, तो नंबर्स का आँकड़ा देखो। और फिर उसकी सच्चाई जानने के लिए इलेक्शन के परिणाम वाले दिन वो रुख बदल दो। मतलब, दुनियाँ के दूसरे हिस्से को पढ़ने लग जाओ। या वहाँ का रुख करते नज़र आओ।
जैसे आप कोई लाइव डिबेट या इलेक्शन रिजल्ट देख रहे हों। और BJP की सीट्स, 300 पार देख गुस्से में बड़बड़ाएँ, "नीचे करो इन्हें, 270 से नीचे, 250 से भी नीचे"। बहुत हो गया 300-400 पार। और एक-दो मिंट बाद ही, एक एंकर कुछ-कुछ ऐसा बोले, लाइव खबर, BJP 300 से नीचे पहुँच गई है। नंबर और नीचे जा रहा है। और जादू-सा जैसे, सब चैनलो पे ऐसे ही चलने लगे। सिर्फ Coincidence? मगर कितने Coincidence? और नंबर, जादुई-सा जैसे 240 पे टिक जाए। तो दूसरी तरफ 99 या 100? मगर फिर कितने ही अगर-मगर हैं। ऐसे, कैसे संभव है?
ऐसे ही जैसे, कौन नेता, कितने नंबरों से जीत रहा है? वो आम आदमी का वोट नहीं, कुछ और ही बता रहा है? और हरियाणा की फाड़-फाड़ जैसे? आधी इधर, तो आधी किधर? दिल्ली और UP समझ से बाहर। इनसे बेहतर तो शायद, बाकी राज्य समझ आ रहे हैं। राजनीती से नफ़रत करने वाला इंसान, राजनीती, इलेक्शन और इलेक्शन परिणाम समझने की कोशिश कर रहा है? सट्टा बाजार, अभी भी दूर की कोड़ी है। शायद ही कभी समझने की कोशिश हो। अपने विषय से कुछ ज्यादा ही दूर हो गया।
मगर ये मीडिया में क्या चलता है या कैसे चलता है? कहाँ-कहाँ से चलता है? और कितना चलता है? आम जनता के लिए तो शायद, ये ज्यादा रोचक होगा जानना? Dissection of Media? या किसी भी सिस्टम में मीडिया की भूमिका? कहाँ जानने या पढ़ने को मिलेगा? References Please.
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