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Sunday, July 14, 2024

Learn and Earn?

Hack The Fall ?

Hackthon ?

Paths Co Op?

SharkTanks?

Learn and Earn? 

और भी कितनी ही तरह के प्रोग्राम और नाम हो सकते हैं? अलग-अलग पार्टियों या देशों के हिसाब-किताब के। फिर वो अमेरका के गलियारों में हों, यूरोप के या खास-म-खास ब्रिटिश लेन में। बड़ी-बड़ी इमारतें और बड़े-बड़े प्रोग्राम, सिर्फ लोगों का शोषण या दोहन करके तो नहीं होंगे? कुछ तो खास होगा, इससे आगे भी? नहीं तो हमारे यहाँ क्यों नहीं है, ये सब? 21 वीं सदी में भी, हम कौन-सा रोना रो रहे हैं?   

शायद कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे गरीबी सदियों की, या शायद भेझे से लंजु-पंजू लोगों की? और देन? उनके सिस्टम की या कर्ता-धर्ताओं की? एक ऐसा सिस्टम या ऐसे कर्ता-धर्ता, जो चाहते हैं की लोग पढ़लिखकर भी उनके कशीदे पढ़ें? उनके गलत को गलत ना कहें? उनकी छत्र-छाया (आग उगलती धूप बेहतर शब्द होगा शायद?) से आगे कुछ भी ना देखें, सुनें या अनुभव करें?  

क्यूँकि, कभी-कभी कुछ लोगबाग जिसे गैप कहते हैं, वही शायद सबसे बड़ा आगे बढ़ने में रोड़ा दूर करने वाला, टर्निंग पॉइंट भी हो सकता है? क्यूँकि, जब so-called गैप नहीं था, तो कुछ भी छप ही नहीं रहा था। किसी ने बताया ही नहीं, की इसे कोढ़ वाला PhD गैप कहते हैं। जबकी कैसे-कैसे जोकर तक, कैसे-कैसे पेपर छापे बैठे हैं? और कैसे-कैसे लोग, कैसी-कैसी कुर्सियाँ लिए? कोविड-कोरोना के बाद किसी ने कहा, "मैडम अब कम से कम पेपर छापने में दिक्कत नहीं आएगी"। और किसी के लिए, "अब आपको USA ग्रीन कार्ड आसानी से मिल जाएगा"। शायद उन्हें मालूम नहीं था, की अब वो कौन से पेपर छापेगी? होता है शायद, कभी-कभी? या शायद अक्सर? खासकर, जब आप दूसरे की दुनियाँ या ज़िन्दगी को भी अपने अनुसार धकेलने लग जाओ? और सामने वाले को बिना जाने या सुने धकेलते चले जाओ? और बस धकेलते चले जाओ। सामने वाला चाहे, ऐसा-ऐसा भला चाहने वालों के भले को, दम घुटने की हद तक झेल रहा हो।  

हमारा सिस्टम और राजनीती आम लोगों के साथ यही कर रहा है। मुझे ऐसा लगा। उन सिस्टम बनाने वाले महानों, या राजनीती वालों को ऐसा क्यों नहीं लगता? सोचकर देखो की आप जितना कर रहे हैं, उससे कहीं कम में शायद, लोगों का ज्यादा भला कर सकते हों? और वो खुद आपके लिए भी, फायदे का सौदा हो? या हो सकता है, मैं अभी सिस्टम या राजनीती को उतना नहीं जानती? कुछ एक उदाहरण लें, आगे कुछ पोस्टस में?     

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