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Thursday, April 17, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 66

 उग्र वाद के बटोड़े या शाँति के वाहक?

उतेजना, उग्र मानसिकता या जल्दी क्रोध आना कोई गुणवत्ता नहीं है। आज के वक़्त में तो बिलकुल ही नहीं। हमारे मौलड़, ये आज तक नहीं समझ पा रहे? वो मौलड़ अनपढ़ भी हो सकते हैं, कम पढ़े लिखे भी और अच्छे खासे पढ़े लिखे भी।   

आदमी को रोबॉट बनाने में ये क्रोध बड़े काम की चीज़ है, ऐसा मैंने पढ़ा है। आप जितने ज्यादा विचलित, असंतुलित या जल्दी क्रोध करने वाले हैं, उतना ही आसानी से आपको भावनात्मक और मानसिक स्तर पर तोड़ना, मरोड़ना आसान है। सुना है, रोबॉटिक एनफोर्समेंट की ट्रेनिंग में ये स्वभाव बड़ा कारगार है। 

भाभी की मौत हुई तो एक भाई का प्रश्न था, दीदी ये क्या हो रहा है? और मेरा उत्तर था, राजे महाराजों की सेनाओं में आखिरी पँक्ति के लोगों के साथ ऐसा ही होता है। वो ऐसे-ऐसे युद्धों में, मार की सबसे आगे वाली पँक्ति में खड़े होते हैं। वो भी ज्यादातर, बिना किन्हीं सुरक्षा कवचों के। और इसीलिए सबसे पहले ख़त्म भी।    

ये हर उस इंसान पर लागू होता है, जिसे आप आमने-सामने तू-तड़ाक करते या उससे थोड़ा आगे बढ़कर मार-पिटाई के वक़्त देखते हैं। ठीक ठाक कुर्सियों पर बैठे लोग वहाँ कब दिखते हैं? वो फिर कोई भी ठीक-ठाक पैसे वाला इंसान हो, कोई नेता या अफसर। ऐसी-ऐसी जगहों पर कौन दीखता है? या तो उनको सलाम ठोकने वाले, उनसे कुछ छोटी मोटी उम्मीद रखने वाले या वो भड़का हुआ इंसान जिसे कोई और रस्ता नहीं सुझता? जब तक उस स्तर से थोड़ा ऊपर नहीं उठोगे, वो तुम्हें ऐसे ही प्रयोग दुरुपयोग करते रहेंगे। 

आज की खतरनाक मारकाट भी उससे आगे ही है। वो गुप्त रुप से अपना काम कर जाते हैं और आप सामने तू-तड़ाक में दीखते हैं? या उससे भी आगे मार-पिटाई में? आपको पता तक नहीं होता, की आपसे गुप्त रुप से ये सब कौन करवा रहा या करवा रहे होते हैं? आप रोबॉट्स की दुनियाँ में हैं। जितना ज्यादा आप दुनियाँ का रोबॉटिकरण होते देख रहे हैं, मान के चलो की उतना ही वो सब बनाने वाले नियम कायदे इंसानों पर लागू हो रहे हैं। जो कुछ प्रयोग और उनके नियम कायदे एक क्षेत्र में लागू हो रहे हैं, वही प्रयोग या नियम कायदे किसी और क्षेत्र में भी। जैसे रोबॉट्स एक तरफ घर की सफाई के लिए हैं तो दूसरी तरफ? शिक्षा के क्षेत्र में, खेत-खलिहानों में, बच्चों के खिलौनों में, ऑटो ड्राइविंग कार, ड्रोन्स, हेलीकाप्टर, स्वास्थ्य और युद्धों में भी। 

Mind Control कोई जादू नहीं है, ज्ञान-विज्ञान है। जितना टेक्नोलॉजी का उस पर कब्ज़ा बढ़ रहा है, उतना ही आगे बढ़ने के लिए उसे जानना जरुरी है। जैसे कोई कहे, आपका बच्चा आपका नहीं, फलाना-धमकाना पार्टी या कंपनी का उत्पाद है, तो क्या कहेंगे उसे आप? या क्या आएगा आपके दिमाग में? कोई कहे, आपकी चाची, ताई, दादी या ऐसा ही कोई और रिस्ता, आपकी सास या नन्द है? या शायद आपके भाई, चाचा, ताऊ, दादा या भतीजे आपके बॉयफ्रेंड या पति हैं? भड़केंगे ना आप? ऐसा ही वो आपके घर की बहन बेटियों के बारे में बोलते नजर आएँ तो? दिमाग नहीं है लोगों में? कैसे बेहुदा या मानसिक दिवालिएपन के शिकार होंगे, ऐसा कहने वाले? अगर आप ऐसे बोलने वालों पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं, तो आप स्वस्थ हैं और ठीक-ठाक हैं। लेकिन, अगर आपने भी कहीं ऐसा कहने वालों की बातों में आना शुरु कर दिया तो? आप रोबॉटिकरण एनफोर्समेंट की ट्रेनिंग गुप्त रुप से करवाने वालों के जाल में हैं। कैसे? उसके लिए एक तरफ आपको ये सोचना है की आप ऐसा कैसे सोच भी सकते हैं? या ऐसे सोचवाने वाले कारण या कारक क्या है? और क्यों हैं? और उनसे निपटने के तरीके क्या हैं?

उसके लिए थोड़ा रोबॉटिक एनफोर्समेंट होती कैसे है? या ऐसे ट्रेनिंग के अहम भाग क्या हैं? उन्हें समझना जरुरी है। जानने की कोशिश करें थोड़ा बहुत इसे? महारे मोलड़ और गोबर के बटोड़े से ही शुरु करें?  

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