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Sunday, April 21, 2024

कैसे युद्धों की दास्ताँ हैं ये?

कितने ही निशान कहाँ जाते हैं? 

वो तो रह जाते हैं अक्सर,

वो सुन्दर-सी मैम, 

जिन्हें देखा एक दिन कहीं 

और जाने क्यों,

देखती ही रह गई 

कुछ और कैंसर याद आ गए थे 

शायद ईधर-उधर। 


ऐसे ही जैसे, 

वो जबरदस्ती जैसे, 

बालों को उड़ाने का प्रोग्राम चला था 

"आप पे छोटे बाल सुन्दर लगेंगे" 

मगर कितना कुछ जानकर भी 

मैंने वहाँ जाना कहाँ छोड़ा था?

जिज्ञाषा थी शायद, कुछ और जानने की 

की ये चल क्या रहा है?

ये जानते हुए भी, 

की यहाँ कुछ भी हो सकता है। 


बीजेपी का आना, और किसी का, 

PGI जाना। 

जैसे समझाया हो किसी ने, बातों ही बातों में 

दिल नहीं कर रहा था, यकीं करने पर, 

मगर,

उसी PGI के दाँत के ईलाज (?) ने 

2018 में कितना कुछ गाया था ?   


बीमारी और राजनीती की खिचड़ी?

या मौतों पे, मसखरों या मख़ौलियों के झुँड?

शायद किसी भी इंसान के दिमाग से परे,  

किन्हीं अजीबोग़रीब भेड़ियों की कहानियाँ जैसे। 

बुद्धिजीवी? पढ़े-लिखे लोगों के कारनामे? 

या ज्ञान-विज्ञान के दुरुपयोग के भद्दे ठप्पे?

कुढ़े हुए लोगों द्वारा जैसे?  


कैसे युद्धों की दास्ताँ हैं, ये? 

और कैसी राजनीती का ये ताँडव?

कैसी ये स्याही (Ink) होगी? 

लोगों को सतर्क करने की ज़रुरत है, शायद? 

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