LA? या LX?
या एलेक्स? Alex
ऐसे ही जैसे
Rat?
Or
Rabbit?
Or
Mouse?
Buffalo या Cow?
बेन? Ben
या बहन? Bahan
ऐसे ही जैसे
माइक्रोसॉफ्ट? Microsoft
या
गुगल? Google
Hi5?
या
Orkut?
या
Facebook?
Friend?
या
Fan?
या
AC?
या
AD?
या
Co?
Coin?
Cold?
ऐसे ही जैसे
Maize?
Or
Corn?
Hydra?
Or
Hybrid?
Popcorn?
तो बच्चों वाली abcd पर हैं हम अभी?
यहाँ से आप हायर एजुकेशन या रिसर्च वाली जुबान या भाषा या बोली(?) पर भी शायद ऐसे ही जा सकते हैं, जैसे आपके फ़ोन में किसी गेम के पहले, दूसरे या किसी और स्तर पर।
मगर किताबों, पेपरों या मोबाइल या लैपटॉप पर वीडियो गेम्स से आगे, एक और जहाँ है। हमारा समाज, जहाँ हम रहते हैं और अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी जीते हैं। आपके आसपास की उस ज़िंदगी में क्या हो रहा है? कैसे और क्यों हो रहा है? आप खुद कर रहे हैं या कोई और? या कितना आपकी ज़िंदगी आपके अपने कंट्रोल में है और कितनी आपके सिस्टम के? मीडिया कल्चर आपके यहाँ का कैसे आपको या आपकी ज़िंदगी के हर पहलू को कंट्रोल कर रहा है?
3 Idiots देखी है? अगर हाँ तो कैसी मूवी है? उसमें एक बड़ा ही अजीबोगरीब-सा सीन है। पेपर हो रहे हैं और पपेरों की चोरी भी? बारिश हो रही है और किसी स्कूल के ऑफिस से पेपर चुराए जा रहे हैं? या फिर बच्चा पैदा करवाया जा रहा है? ऐसे भी कभी होता है? आजकल दिल्ली में कहीं कुछ ऐसा ही तो नहीं चल रहा? अरे नहीं, वहाँ तो कुछ और ही किस्म की मारकाट-सी चल रही है शायद? पीछे कुम्भ के मेले में भी ऐसा कुछ ही तो नहीं हुआ?
ये सब राजनीती के या मूवी के स्तर पे कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ा दिया शायद? तोड़मोड़, जोड़, घटा, भाग या गुना करके? कुछ का कुछ और ही बना दिया शायद? मगर, क्या हमारी अगली पीढ़ी सच में ऐसे ड्रामों के साए में पैदा हो रही है? उसकी पैदाइश पे भी मोहर ठुक कर आती है? और जन्म सर्टिफिकेट से लेकर, आगे की हर ID, ऐसे से ही कोढों के साथ मिलेगी? मिलेगी? नहीं, ऐसा तो कब से हो रहा है?
मगर क्यों?
अच्छा कौन-सी जनरेशन के मानव रोबॉट हैं आप? और कौन सी कंपनी के?
क्या हम मशीन हैं? जिन पर ये मशीनी युग, यूँ मोहरें ठोक रहा है? और फिर इन इंसान रुपी मशीनों की ज़िंदगियाँ, ऐसे ही उत्पादों की तरह चलेंगीं? चलेंगी? नहीं आपकी भी ऐसे ही चल रही हैं। जैसे पैदाइश वाली कंपनी का रिमोट, जुए के खेल-सा गोटियों को चलाता है? क्यूँकि, खेल के हर अगले स्तर पर वो अपनी मोहर ठोक रहा है, ID के कोढ़ के रुप में। पैदाइशी ही बच्चे को किसी खास तरह की कैटेगरी में रख देना जैसे।
No comments:
Post a Comment