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Tuesday, February 18, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 37

Political infection in Science?

Or Research Politically infected?

वैसे तो इस इन्फेक्शन का रुप 2018 में ही दिखना शुरु हो गया था। उसके बाद जब भारती-उजला के केस की फाइल शुरु हुई, तो जैसे सबकुछ जबरदस्ती छीना-झपटी। तुम्हारा क्रेडिट गुंडागर्दी से किसी और के नाम कर देना। लेकिन क्रेडिट किसी और के नाम कर देना पहली बार नहीं था। उसकी तो जैसे आदत हो चली थी मुझे। मेहनत करो या करवाओ और दान कर दो? आदत भी ऐसे, की जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता। नफरत हो गई थी ऐसे चोरी करने वालों से या झूठ पे झूठ फेंकने वालों से। मगर उसमें भारती-उजला अकेला केस नहीं था। ये उससे भी ज्यादा विचलित करने वाला था।  

वीरभान का केस कुछ-कुछ, ऐसा-सा ही था। या कहना चाहिए एक कदम और आगे? जैसे कोई सरकारी सामान, जो सबके प्रयोग के लिए हो, उसे अपने यहाँ रखके और फिर शिकायत भी आपकी ही करे। अमेरिकन butterfly या fly? या drosophilla? कौन से वाली? आप शिकायत करें, चाहे वो कितने ही तथ्यों सहित हो, फर्क नहीं पड़ता। और वो भी सिर्फ आपने नहीं, बल्की, बाकी फैकल्टी ने भी की हुई हो, आपसे भी पहले? मगर, उसके बावजूद कोई committee उसकी झूठ-सच फेंकी हुई फाइल आगे चलता कर देगी। और आपकी? या शायद साथ में किसी और की भी?

और? वो खास वाला tea invitation? कमल, कमल?
और आपको कई और ऐसे-ऐसे केसों की फाइल झेलने के बाद समझ आता है, की ये सब चल क्या रहा था?

आप कोई भी dissertation, कोई भी thesis या कोई भी research पेपर उठाओ और पॉलिटिकल इंफेक्शन नज़र आएगा। हम क्या पढ़ते हैं? क्या सुनते हैं? या क्या देखते हैं? Review या literature भी वहीँ से आयेगा और रीसर्च प्रश्न भी। कैसे और क्या लिख रहे हैं, कहीं न कहीं वो सीरीज या पॉइंट्स भी वहीँ से निकल कर आते हैं। जरुरी नहीं, हर किसी को पॉलिटिकल इंफेक्शन का इस स्तर पर पता हो। मगर रिजल्ट तो उसी के आसपास मिलेंगे? वहाँ के सोशल मीडिया कल्चर के आसपास? और वो सोशल मीडिया कल्चर या सिस्टम, वहाँ की राजनीती बनाती है। अजीब लग रहा होगा बहुतों को सुनकर शायद? यहाँ भी राजनीती की पहुँच या पैठ इस कदर? फिर किसी layman को क्या बोला जाए? 

किस वक़्त किसने क्या रिसर्च की है या किसी डिपार्टमेंट या प्रोफेसर या साइंटिस्ट के रिसर्च का टॉपिक या प्रोजेक्ट क्या रहा? और क्यों? और रिजल्ट?   

उससे भी हैरान करने वाली बात, मान लो आपकी रिसर्च का या लैब का टॉपिक ही stones हैं। वो फिर चाहे kidney stone हो या gall bladder और आपको या आपके यहाँ किसी को ये समस्या या so called बीमारी हुई है या थी। मगर शायद वो बीमारी थी ही नहीं?

अब ऐसे ही आप किसी भी रिसर्च टॉपिक या बीमारी पर जा सकते हैं। किसी भी मतलब, मतलब किसी भी। वो फिर क्या कैंसर, क्या पैरालिसिस, क्या कोई भी बुखार या इन्फेक्शन। आपका कोड या आपकी जगह का कोड और उस वक़्त वहाँ की राजनीती का कोड, बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है इस सबमें।   

मगर कुछ है शायद, जो बहुत लोगों को पहले नहीं पता था? या शायद अब तक नहीं पता की उस कोड का पता कैसे लगे? और किस कोड वाली जगह जाने पर आप उस बीमारी से बच जाएँगे ? या संसाधन सम्पन हैं या जानकार हैं, तो जहाँ रह रहे हैं, वहाँ रहकर  भी निपट लेंगे या ठीक हो जाएँगे? कुछ केस लेते हैं आगे। 

और हमें ये राजनीती कहाँ, कैसे केसों में या फालतू की बकवास में उलझा रही है, अनपढ़ गँवारों की तरह? ये सब जानने या बताने पर पहरे हैं? अगर हाँ तो क्यों?                                   

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