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Saturday, February 22, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 40

The art and craft or graft (?) of making parallel cases in society

समाज में सामान्तर घड़ाईयोँ की कला 

22 02 2025 (सुबह)

DL 1C .. W .... सफ़ेद रंग ब्लाह ब्लाह कंपनी 

एक दिन पीछे चलते हैं 

21 02 2025 

ये डॉक्युमेंट्स चैक करो और ये ये करो 

ये क्या है? भेझा फ्राई जैसे? ये तो मैं कर चुकी, एक्सपेरिमेंटल।  Scale up वालों ने विज्ञापन दे दे के जैसे भेझा ख़राब कर रखा था। सोचा, ऐसा है तो try ही कर ले। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? ऑनलाइन क्या हो सकता है? हाँ! ऑफलाइन तो बहुत कुछ हो सकता है। 

ऑनलाइन क्या हो सकता है? 

ऑनलाइन बहुत कुछ हो सकता है। आप हकीकत की दुनियाँ के मंदिर को मस्जिद और फिर डालमियाँ विभाग तक पहुँचा सकते हैं। सिर्फ आप? या?

या बहुत बड़ा प्र्शन है।  

चलो पहुँच गए मंदिर से डालमियाँ विभाग। रिवर्स इंजीनियरिंग फिर से करने में कितना वक़्त लगेगा? करके देखें?

हो तो जाएगी, मगर वक़्त और संसाधनों का कितना प्रयोग या दुरुपयोग होगा? खासकर, एक ऐसे जहाँ में जहाँ कितनी ही ज़िंदगियाँ आसपास ही नहीं, बल्की दुनियाँ के दूसरे कोने में भी लटके-झटके खाती हैं। दुनियाँ के दूसरे कोने पे किसी और पोस्ट में, आसपास क्या चला इस दौरान? या चल रहा है?

कहीं एक नन्हा-मुन्ना सा आया दुनियाँ में। इतने कम वक़्त में सिस्टम ने अगर उस घर से वक़्त से पहले दो लोगों को खाकर, एक दे दिया, तो क्या अहसान है? अगर सिस्टम की जानकारी होती तो वो दो भी ना जाते? जैसे बाकी और घरों में। कहीं-कहीं थोड़ी बहुत भरपाई होती है, मगर कहीं-कहीं? ये भी सिस्टम बताता है? वैसे हम इसे भरपाई कह सकते हैं क्या? No offence to female brigade. क्यूँकि, हमारे यहाँ उनकी गिनती ही नहीं होती शायद? मगर इस सबसे दूर क्या चला, वो शायद यहाँ लोगो को मालूम नहीं होता। कौन-सी पीढ़ी के, कौन से रोबॉट वाली, किस कँपनी की मोहर ठोक चुका ये सिस्टम? क्या खास है, दुनियाँ की हर पैदाइश ऐसे ही है। ऐसे ही और भी सामान्तर किस्से-कहानियाँ हैं, जहाँ पता ही नहीं, क्या-क्या खा गया ये सिस्टम। इसलिए बार-बार कहा जा रहा है, की सिस्टम को जानना और समझना जरुरी है।  

ऐसे ही आसपास कुछ और हेरफेर या बदलाव हुए। सिस्टम के धकाए बिना जो संभव ही नहीं। उनपे आएँगे किसी और पोस्ट में। 

एक तरफ कुछ और भी चल रहा है। ये क्या है? P. S.  ब्लाह ब्लाह इनफोर्स्मेंट? एक तरफ कहीं कोई नई सरकार, उनकी कैबिनेट मीटींग, कुछ फैसले और कहीं कोई ऑफिसियल डॉक्युमेंट्स। और दूसरी तरफ? कहीं कोई खास-म-खास फ़ोन? Court और Divorce? इससे पहले भी आसपास जितने रिश्तों की सिलाई, बुनाई, या तोड़फोड़ चली, उनकी भी कहानी यही है। उसके साथ-साथ, रोज-रोज के छोटे-मोटे ड्रामे तो चलते ही रहते हैं।

इन सबकी खबर ज्यादातर पत्रकारों को रहती है। राजनितिक पार्टियों को नहीं? वो तो ये सब दाँव खेलते हैं, डाटा कलेक्टर्स और डाटा और सर्विलांस अबूसेर्स के साथ मिलकर। बीच की सुरँगे छोटी-मोटी नौटंकियोँ का हिस्सा होती हैं, बिना ये जाने की इसमें तुम्हारा कितना नुकसान या फायदा है। राजनितिक पार्टियों को पता होता है, की ये सामान्तर घड़ाई वाले पीसेंगे बीच में। जैसे दो पाटों के बीच गेहूँ या दो सांड़ों के बीच झाड़। मगर, उन्हें इससे क्या फर्क पड़ता है? और वो इसकी जानकारी इन लोगों को क्यों होने देंगे? ऐसा हो गया तो उनका ये भद्दा, बेहुदा और खूँखार खेल ख़त्म। इस खेल का बहुत बड़ा हिस्सा आपके दिमाग से जुड़ा है। आप अपने दिमाग को कितना चला रहे हैं या सुला रहे हैं? और बाहर से वो कितना और कैसे-कैसे कंट्रोल हो रहा है? राजनीती और इन बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा? आज के समाज का सारा खेल यही है। 

रिवर्स इंजीनियरिंग बड़ा ही रौचक विषय है। जानने की कोशिश करें, थोड़ा इसके बारे में? 

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