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Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Saturday, June 28, 2025

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 6

सामांतर घड़ाईयाँ (Social Tales of Social Engineering) क्या हैं? 

ये राजनीतिक पार्टियाँ क्यों घड़ती हैं ये सामांतर घड़ाईयाँ? क्या फायदा है, इन्हें ऐसा करके?  

ये समाज को कंट्रोल करने का बहुत बड़ा हथियार है। कोई भी सामांतर घड़ाई तब तक नहीं घड़ी जा सकती है, जब तक उन लोगों या उस समाज या सिस्टम के बारे में अच्छी खासी जानकारी ना हो। जानकारी जितनी ज्यादा सही होगी, उतना ही किसी भी सामांतर घड़ाई को घड़ना आसान होगा। और उतना ही रोकना भी। निर्भर करता है, की आप घड़ने वालों में हैं या रोकने वालों में? 

सामांतर घड़ाई का मतलब जरुरी नहीं सच घड़ना ही हो। सच जैसा या हूबहू जैसा लगे, दिखाना या समझाना है। राजनीतिक पार्टियों की अपनी जरुरतों के अनुसार, घटा बढ़ा कर। अब वो कितना सच या झूठ है? या बिलकुल ही नया घड़ा (सिंथेसिस) गया है, ये कैसे पता चले? जैसे किसी आईने में अगर आप देखें, तो आपका प्रतिबिम्ब दिखाई दे। अब वो प्रतिबिम्ब बिलकुल वैसा दिखा रहा है, जैसे आप हैं या उसमें हेरफेर कर रहा है, ये कैसे पता चला? बहुत मुश्किल भी नहीं है शायद? अगर आप वो इंसान हैं, जिन्हें आईनों के प्रकार नहीं पता, तो भी ज्यादा हेरफेर होने पर तो ये फर्क पहचान ही सकते हैं। लेकिन, थोड़ा बेहतर जानने के लिए, ये पता होना चाहिए की आप किस प्रकार के आईने के सामने खड़े होकर अपना प्रतिबिम्ब देख रहे हैं। ऐसा-सा ही हमारे आज के सिंथेटिक जहाँ पे लागू होता है। जिसको समझना आम इंसान के लिए उतना आसान नहीं होगा, जितना उस synthesis के तौर-तरीकों को समझने वाले के लिए होगा। ऐसे ही जैसे, कोई भी हूबहू-सी दिखने वाली बीमारी या मौत कौन पैदा कर सकता है? वही, जिन्हें उस तरह की बीमारी या मौत के बारे में जितनी ज्यादा जानकारी होगी? कोरोना काल की बिमारियों और मौतों को और उनके तरीकों को अगर हम जानना, समझना शुरु कर दें, तो शायद बहुत कुछ समझ आएगा। और आपने खुद या आपके आसपास ने ऐसा कुछ झेला हो तो? ये सब समझना थोड़ा और आसान हो जाएगा। 

जानने की कोशिश करें थोड़ा, विटिलिगो (vitiligo) के उदहारण से ही? 

या शायद लकवा, हार्ट अटैक, बुखार, Diabetes, Multi organ failure, cancer, stone problem आदि से? क्यूँकि, इस दौरान ऐसा-सा कुछ मैंने या तो खुद कहीं न कहीं भुगता है या आसपास में किसी न किसी को भुगतते देखा है। क्या सच में ये बिमारियाँ थी या हैं इन लोगों को? या इन बिमारियों का या किसी भी बीमारी का सच क्या है? ये सिंथेसिस वाले बेहतर बता पाएँगे या डॉक्टर, वैज्ञानिक, प्रोफेसर आदि? या शायद खुद वो इंसान, जिसने ऐसा कुछ भुगता हो और थोड़ी-बहुत इन सबकी जानकारी भी हो?         

Stone Problem? नहीं थी मगर फिर भी so-called डॉक्टर की मानती तो? March 2020 

Blood Pressure Problem? ना थी, ना है। फिर वो swelling, headache, vomitting वाले symptoms क्या थे? Ram Rahim saga time और घर? H# 30, Type-4? कौन से वाले सिंथेटिक एक्सपेरिमेंट्स चल रहे थे वहाँ? 

Drugs M.Tech स्टूडेंट प्रॉब्लम या H#29 लेबर ड्रामे? 

या 5G या 6G Steroid problem? 

या शायद शिव-धतूरा? यूनिवर्सिटी के H#29 से H# 31 और फिर अंकल के घर गाँव में कैसे पहुँचा ये पौधा? कहाँ से आता है ये वाला माली? रोहतक? यूनिवर्सिटी? या? 

Office tea? या सोडा मिल्क? ये क्या होता है? है ना दुनिया अजब-गजब?  

Boss water pump? Cooler? 

या AC LG और vitiligo? 

पागल कुत्तों या गुंडों या हत्यारों की कौन-सी दुनियाँ है ये? 

चलो, ज्यादा बिमारियों पे नहीं जाते। क्यूँकि, हर एक बीमारी पे जाने कितनी सारी कहानियाँ हैं, यहाँ-वहाँ। और वो सब कहानियाँ या सामांतर घड़ाईयाँ मिलकर, कोई और ही तरह के कांडों की सैर करवाती हैं। अभी सिर्फ विटिलिगो (vitiligo) की सामांतर घड़ाई की सैर पर चलेंगे। 

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 5

 Border Issues or Neighbourly issues?

Or interactions or wars or hypes or underrated issues?

युद्ध और बीमारी ? एक ही बात हैं?

या किसी पर अचानक हमला या धीरे-धीरे छुपे रुस्तम से, बिना दिखे या समझ आए, खोखला करना?

या और भी कितने ही तरीके हो सकते हैं?    

Burn?

out?

Burnout? 

Acid Attacks?

Acidify?

Acidified?

और भी कितनी ही तरह के नाम हो सकते हैं, मिलते-जुलते से, किसी बीमारी को या उसके लक्षणों को पहचानने के? बताने के? और बचने के या बचाने के?  ये हर बीमारी पर, हर तरह के लड़ाई झगड़े पर और हर तरह के हमले पर लागू होता है। 

जब इस बीमारी से पहली बार आमना सामना हुआ या पता चला की ऐसा कुछ शुरु हो चुका है तो मैं यूनिवर्सिटी रही थी (2018?)। H#30, Type-4   शायद इसके इंगलिश version से हम थोड़ा बेहतर समझ पाएँ? 

H# 3 0     

T Y P E - 4 

रौचक लग रहा है?

M D U 

R O H  T A K 

124001 

at place 1?

1 =1 

2 =2 

3 =4 

4 =0 

5 =0 

6 =1 

शायद किसी पार्टी का कोढ़?

इस घर के एक तरफ H # 29, TYPE- 4 

और दूसरी तरफ? H # 31, TYPE- 4 

आगे? T - POINT  (one side small portion part only)

पीछे? Rose Garden

Type 29 खाली था, Professor Gulshan Taneja, Math ने किया था, मेरे जाने के कुछ महीनों बाद ही। जो बाद में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भी बने और अब शायद रिटायर हो चुके। 

H # 31, TYPE- 4 Professor Renu, Geography. उन्होंने भी मेरे Resignation के एक या 2 साल बाद खाली कर दिया था? शायद अपना खुद का घर कहीं आसपास ही बना लिया था। 

T - POINT के दोनों तरफ के मकानों में कौन-कौन थे? और T - POINT जहाँ खत्म हो रहा था, वहाँ 9 J- TYPE में? 

चलो इतना दूर नहीं जाते। सिर्फ, आजू, बाजू या आगे, पीछे को जाने? या शायद पीछे या आगे, आजू या बाजू के सिर्फ पेड़-पौधों को ?     

पेड़-पौधों को ही क्यों?

अगर आप MDU के उस खास पते पर हैं, तो पेड़-पौधे? खासकर, H #29 की आगे की दिवार के साथ उगाया हुआ ये पौधा?  

ये तो जैसे कोई केमिकल छिड़का हुआ है किसी ने? 

और मदीना आ गए, अपने पड़ दादा के खँडहर में तो?  

इंसानों, कुत्तों और बाकी जानवरों को भी?

इंसान, कुत्ते, गाएँ, गधे, साँड़ अभी आसपास दिखाई नहीं दे रहे। आएँगे तो फोटो लगेंगी उनकी।     


और इसके बाद जो पता बदलने वाला है, वहाँ गए तो? वैसे कौन सा पता होगा? अभी पता नहीं :) मगर इतना पता है अब और ज्यादा वक़्त इस खंडहर में तो नहीं रहना।  

एक पता बदलने से ही किसी भी बीमारी का क्या कुछ बदल जाता है?

वो कम हो जाती है? या बढ़ जाती है?

जहाँ है, वहीँ रुक जाती है या खत्म ही हो जाती है?

निर्भर करता है, की पता बदलने से उस बीमारी को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक या कारण बदल जाते हैं?

Break down the process or methodology in steps to that last point you can. And check the contributing factors or factors which act as hurdles or stoppers in those contributing factors. 

बस इतनी-सी बात? माहौल या सिस्टम बहुत कुछ बदलता है? तो शायद किसी भी बीमारी के ईलाज के लिए या रोकथाम के लिए, इस माहौल या सिस्टम और इनके राजनीतिक कोढों को जानना बहुत जरुरी है। और ये ना सिर्फ हर बीमारी पर लागू होता है, बल्की, आपके घर की खुशहाली या बदहाली पर भी। आपके रिश्तों में मिठास या कड़वाहट पर भी। आपके आगे बढ़ने या पीछे खदेड़े जाने की कोशिशों पर भी। 

Vitiligo पर आगे भी आपको काफी कुछ पढ़ने को मिलेगा। शायद कुछ लोगों को उसका थोड़ा बहुत फायदा भी हो।  

इसके साथ-साथ कुछ और बीमारियाँ हैं आसपास, जिन्होंने, इस कोढ़ सिस्टम के बारे में कहीं ज्यादा समझाया या बताया है शायद।  आएँगे आगे कहीं पोस्ट्स में, उनपर भी।   

Thursday, June 26, 2025

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 4

Types

हे बेबे 

आजकाल के बालक 

Hey 

Hey Babe 

तू भी के बोल्य सै 

These nonsense don't know their own fluidic or hard numbers. Can someone ask them to check their own IDs?  And can tell them their own तू भी के बोल्य सै टाइप?  

These holy cows don't know, when they come to their parents home, how long they stay and on which numbers these political gamblers let them go back with special effects. 

At place of cows, you can put any other species name or gender also. Interesting?

कितनी तरह की interactions और कितने तरह के आदमी आ गए ना? तो आप कहाँ फिट बैठते हैं, इन सबमें? और आपका आसपास या कहो आपकी interactions? ऑनलाइन या ऑफलाइन या इनकी खिचड़ी के बीच? ये तो सिर्फ कुछ-एक बताई हैं। और भी कितने प्रकार हो सकते हैं। आदम जमाने के लोगों से लेकर, आजकल के बच्चों तक? या बिलकुल अनपढ़, अनजान लोगों से लेकर, जिनके पास इस सबकी अच्छी खासी जानकारी है, उन तक? जितने ज्यादा ये प्रकार, शायद उतना ही मुश्किल होता होगा, ज़िंदगी का सामजस्य बिठाना? 

या शायद काफी हद तक आपने सीख लिया है, किससे कैसे बात करनी है या सामजस्य बिठाना है या निपटना है? या किसको, कितना पास या दूरी पे रखना है? किसके कहे या करे का आपके लिए कोई मतलब है या नहीं है? और किसको आप तवज्जो देते हैं? जैसे-जैसे बड़े होते हैं, ये तो हर कोई सीखता है, थोड़ा या ज्यादा। और इसमें जितनी ज्यादा बड़ी रेंज से आपकी interactions होती हैं, उतना ही ज्यादा आपको इनसे सामजस्य या दूरी बिठाना भी आ जाता है। निर्भर करता है की अपना कितना वक़्त कहाँ देना चाहता हैं?        

 "these political gamblers let them go back with special effects."     

ये बड़ा रौचक है। कैसे भला? वैसे तो ऐसा कुछ 2018 या 2019 में कहीं पढ़ने को मिला था, किसी आर्टिकल में। मगर तब इस कोढ़ वाली दुनियाँदारी की कोई खबर नहीं थी।   

उसके बाद कहीं पढ़ने को मिला, किसी आईपीएस की पोस्ट में, की दुनियाँ का ये कोढ़ वाला सिस्टम ऑफिसर्स की देन है और वही चला रहे हैं, दुनियाँ भर में। फिर वो चाहे सिविल ऑफिसर्स हों या डिफ़ेन्स। कोढ़ वाले इस सिस्टम की खबर तब भी कुछ खास नहीं थी। इसलिए, ज्यादा कुछ समझ नहीं आया। मगर कोरोना और उसके बाद के वक़्त ने जो दिखाया या समझाया, वो कोई और ही रोबॉटिक फाइट हैं। जिसमें जो कुछ आप देख, सुन रहे होते हैं, उसका रिमोट कंट्रोल जाने दुनियाँ के किस कोने से चल रहा होता है। ये सब आम लोगों की समझ से थोड़ा परे है। मगर, आपकी अपनी या आसपास की कहानियों से ही, इसे आसानी से समझाया जा सकता है।    

Social Tales of Social Engineering  या Interactions और किस्से कहानियाँ?  एक, अगर सामाजिक ताने-बाने की रुपरेखा है, तो दूसरा पॉइंट? उसे करने, बताने या समझाने का तरीका, Methodology, Process? इन Methodology के पॉइंट्स को जितना बारीकी से समझ पाएँगे, उतना ही कहीं से भी आफत-सी आई या फिट की गई, या छुपम-छुपाई सी जाने कब से चल रही interactions के बुरे प्रभावों से खुद भी बच पाएँगे और अपने आसपास को भी बचा पाएँगे।  

Wednesday, June 25, 2025

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 3

इन्हीं interactions को अगर हम हिसाब-किताब, कम्प्यूटर, साइकोलॉजी और interdisciplinary ज्ञान-विज्ञान के सन्दर्भ में समझने लगें तो? कोड की भाषा, हर तरफ अपना नज़ारा दिखाती और सुनाती नजर आएगी? कैसे? 

आपका नाम क्या है?

आपका जन्मदिन क्या है? 

आप कहाँ पैदा हुए हैं?

कहाँ रहते हैं? पता क्या है?

आपके माँ बाप, भाई बहन, चाचा चाची, ताऊ ताई, दादा दादी, बुआ फूफा और ऐसे ही कितने रिश्ते और उनके बच्चों की यही सब डिटेल?

आपके इधर वाले पड़ौसी, उधर वाले पड़ौसी, सामने वाले, पीछे वाले, एक घर, दो घर, तीन घर, एक गली, दूसरी गली? आपका ये घर, वो घर? यहाँ का घर या वहाँ का घर? या शायद आपके माँ बाप भाई बहन का घर या प्लाट या खेत या कोई और जमीन?

उन घरों में बने हुए कमरे, रसोई, बाथरूम या लॉन? आगे वाला या पीछे वाला? इधर वाला या उधर वाला? उनमें रखा सामान? जीव या निर्जीव सब? उन सबके नाम, कंपनी का नाम, नंबर या कोड? ये सब मिलकर आपका सिस्टम बनता है। आपका माहौल। आपकी जिंदगी की खुशियाँ या गम? आपके रिश्तों का मधुर होना या कड़वा? आपकी बढ़ोतरी या नुकसान? आपका स्वास्थ्य या बिमारियाँ? ये interactions, इन सबसे जुडी हैं। क्या आप इन सबका हिसाब-किताब करके अपना फायदा या स्वास्थ्य बढ़ा सकते हैं? और अपना नुकसान या बिमारियों से मुक्ती पा सकते हैं? शायद हाँ और शायद ना?

निर्भर करता है की आपको इन सबकी जानकारी कितनी है? ये वो जानकारी है, जो आपको नहीं है और इसका कुछ न कुछ या बहुत बड़ा हिस्सा, तकरीबन सब राजनितिक पार्टियों, आपके मोबाइल और लैपटॉप की कंपनियों और उनमें छिपी बैठी कितनी ही सरकारी और गैर सरकारी कंपनियों के पास है। क्यों? ये क्यों जानना बहुत अहम है। ये सब सामाजिक ताने-बाने को घड़ने में काम आता है। सामाजिक ताना-बाना, जिसमें सबकुछ आता है।  स्वास्थ्य, बिमारियाँ, जन्म-मर्त्यु, आपके रिश्तों का मिठास या कड़वाहट, आपकी बढ़ोतरी या नुकसान। जितना ज्यादा इसे समझने की कोशिश करोगे, उतना ही ज्यादा आप राजनीती और बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा अपने शोषण को समझ पाओगे। आगे जानने की कोशिश करते हैं, कुछ-कुछ ऐसा ही।       

Social Tales of Social Engineering                                    

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 2

पिछले कुछ वक़्त से कुछ खास नोटिस हो रहा था। कहीं न कहीं कुछ चल रहा है और वो आपके आसपास किसी न किसी रुप में आ रहा है। वो फिर बच्चे हों, बड़े या बुजुर्ग और उनके किस्से-कहानी। कहीं न कहीं वो सब पहले से चल रहा होता है और हम नोटिस नहीं करते। और कहीं न कहीं, अचानक जैसे कहीं से भी, किसी किस्से या कहानी का अवतार जैसे, उतार दिया हो सामने आपके?   

आप जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आते हो या रहते हो, चाहे आसपास ही, आपकी ज़िंदगी भी कुछ न कुछ, वैसे से ही किस्से-कहानी सुनाती नज़र आती है।  शायद इसीलिए जरुरी है, अपना माहौल अपने अनुसार चुनना? मगर, आम लोग कितना उसे चुन पाते हैं? बहुत से तो पूरी ज़िंदगी, किसी एक खास माहौल के हवाले होकर, उससे निकल ही नहीं पाते? 

निकलो उन माहौलों से और मौहल्लों से, जिन्हें आप पसंद तक नहीं करते। मगर इतना आसान होता है क्या? कहीं से भी निकल लेना? शायद ज्यादातर के लिए नहीं। कहीं न कहीं, कुछ न कुछ आ अड़ता है? और फिर जदोजहद होती है, उस माहौल को कुछ-कुछ अपने अनुसार ढालने की? और कुछ उस माहौल के अनुसार ढल जाने की? ऐसा ही होता है? आपका सामना कैसी कैसी Interactions से होता है? निर्भर करता है की आप कैसे माहौल और लोगों से घिरे हो? कुछ आपके विचारों से मिलते जुलते हो सकते हैं और कुछ उसके एकदम विपरीत भी? और कहीं कहीं या ज्यादातर शायद इन दोनों के बीच की खिचड़ी? एकदम विपरीत माहौल में सामजस्य बिठाना मुश्किल होता है? मिलते जुलते में आसान? और बीच वाले में सामजस्य बिठाने से काम चल जाता है? ऐसा ही?

इन्हीं interactions को अगर हम हिसाब-किताब, कम्प्यूटर, साइकोलॉजी और interdisciplinary ज्ञान-विज्ञान के सन्दर्भ में समझने लगें तो? कोड की भाषा, हर तरफ अपना नज़ारा दिखाती और सुनाती नजर आएगी? कैसे? जानते की कोशिश करते हैं आगे पोस्ट में।     

Friday, June 20, 2025

Interactions और किस्से-कहानियाँ? 1

गुंडे माहौल में आप खिसकते जाते हैं। थोड़े इधर, थोड़े उधर और थोड़े उधर? किसने सिखाया, ये सब आपको? माहौल ने? संस्कारों ने? यही हैं हमारे समाज के सँस्कार? गुंडों से थोड़ा बचके रहो, बचके चलो। गुंडों को कोई और मिलेगा, उनका भी कोई बाप? तुम क्यों ऐसे लोगों के साथ अपना दिमाग और भेझा खराब करते हो? ज्यादा होता है, तो अड़ भी जाते हैं? भला कब तक सहन करे कोई? और कभी-कभी, कहीं न कहीं धरे भी जाते हैं? ऐसी-सी ही और कैसी, कैसी-सी कहानियाँ, यहाँ-वहाँ, न जाने कहाँ-कहाँ मिल जाती हैं? 

बच्चे हों, बड़े या बुजुर्ग, ऐसा कहीं न कहीं हर किसी के साथ होता है? अब उस हर किसी में, कहीं न कहीं, कुछ न कुछ मिलता-जुलता भी है, शायद? कहीं थोड़ा कम, तो कहीं थोड़ा ज्यादा? जहाँ कहीं ज्यादा मिलता है, वहीं कुछ न कुछ भिड़ाने और बढ़ाने-चढाने की गुंजाईश होती है। जिन्हें सामान्तर घड़ाईयाँ बोलते हैं। शायद ये इस पर निर्भर करता है, की उस सामान्तर घड़ाई में आपकी पोजीशन क्या है? और शायद इसीलिए हिसाब-किताब, कंप्यूटर, साइकोलॉजी और आज का interdesciplinary ज्ञान, विज्ञान इस सबमें इतनी अहमियत रखता है? 

इस बीमारी का शक हुआ, तो ये बिमार इंसान आपके सामने? उस बिमारी का शक हुआ, तो वो? यहाँ जीने, मरने की बात हुई, तो ये इंसान सामने और वहाँ मरने जीने की बात हुई, तो वो इंसान सामने? यहाँ कोई फायदा हुआ, तो इनके फायदे के किस्से-कहानी? वहाँ कोई नुकसान हुआ, तो उसके नुकसान के किस्से-कहानी सामने। आप कोई भी विषय उठा लो, उसके तार कहीं न कहीं 

ऐसे मिलते-जुलते नजर आते हैं?


या ऐसे?   


या शायद ऐसे?

कौन-सी और कैसे वाली interactions में रहना पसंद करते हैं आप? 

और कभी-कभी, कैसे-कैसे लोगों से पाला पड़ जाता है? 
कहीं-कहीं तो ऐसे भी लगता होगा, की कैसे गुंडों के आसपास रहते हो तुम? क्या होगा ऐसे माहौल में ज़िंदगी का?
दोगले और हद दर्जे के हेराफेरी? अब जुबाँ इधर फिसली और अब जुबाँ उधर फिसली? और फिर गुल या ये हुए भगोड़े? जिनकी कोई ज़ुबाँ और स्टैंड ना हो। या शायद मुँह में राम-राम और बगल में छुरी?  

और कहीं-कहीं ऐसे भी लगता होगा शायद, हाँ, यहाँ सही है? दुनियाँ तो ऐसी भी है।   

कहीं सुलझे से और व्यवस्थित?
और कहीं? इतने मैस्सी, यूँ ही ना समझ आए, की ये तार किधर से आ रहा है और ये किधर जा रहा है? ये क्या बोल रहा है और ये क्या? ये अपनी जुबाँ बारबार क्यों बदल रहा है या रही है? गिरगिट के जैसे? 
दुनियाँ अजूबों का मेला?     

आप जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आते हो या रहते हो, चाहे आसपास ही, आपकी ज़िंदगी भी कुछ न कुछ, वैसे से ही किस्से-कहानी सुनाती नज़र आती है।  शायद इसीलिए जरुरी है, अपना माहौल अपने अनुसार चुनना? मगर, आम लोग कितना उसे चुन पाते हैं? बहुत से तो पूरी ज़िंदगी, किसी एक खास माहौल के हवाले होकर, उससे निकल ही नहीं पाते? निकलो उन माहौलों से और मौहल्लों से, जिन्हें आप पसंद तक नहीं करते।       

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 12

 गुंडे जो जबरदस्ती दूसरों के घरों में घुसें?

औकात है?

गुंडे जो जबरदस्ती या धोखाधड़ी से अर्थियों के ढेर लगाएँ?

औकात है?

गुंडे जो जबरदस्ती या धोखाधड़ी से,

दूसरों की जमीनों को हड़पने की कोशिश करें?   

औकात है?  

बड़ी औकात कांता भाभी तेरी?

या तेरे गुंडे की? ओह ! भतीजे। 

2-कनाल के लिए कितनी और अर्थियाँ उठाओगे?

भाभी को तो खा गए। 

जबरदस्ती या धोखाधड़ी से?

सुना है, स्कूल खोलने वाली थी वो अपना?

उसी ज़मीन पर?

जिस पर तुम्हारी गिद्ध-सी निगाहें,

कब से टिकी हैं? 

   

सुना है,

उसके बाद ये बहन 

वहीँ अपनी कोई छोटी-मोटी, पढ़ने-लिखने लायक 

झोपड़-पट्टी बनाने वाली थी?

क्या हुआ उसका?

भतीजे को बेचारे को, शायद नहीं पता 

की उस झोपड़-पट्टी की ऑफिसियल ईमेल तो 

और भी पहले चल चुकी। 


बहन, बेटियों को और कैसे-कैसे खंडहरों वाली 

जेलों में रखोगे?

जहाँ-जहाँ चलेगी तुम्हारी?

और तुम?

कब तक उनके अपनी कमाई के पैसे रोककर,

कोशिश में रहोगे, की वो तुम्हारी गुलामी में नौकरी करें?

चाहे वो तुम्हें धेला पसंद ना करती हों। 

कैसे भाई-बंध, भतीजे या चाचे-ताऊ या दादे हो तुम? 

किन कंसों, शकुनियों या रावणों के प्रतिनिधि?

या और कैसे-कैसे राक्षसराजों की कर्तियाँ?     

  

जबरदस्ती की औकात और भगोड़ा होना?

एक ही होता है क्या?

इतना सुनने के बाद तो, कोई भी इज्जत वाला पीछे हट जाए?

पर शिक्षा का धंधा करने वाले?

2 कनाल के लिए?

नहीं, नहीं, इरादा तो सबकुछ हड़पने का था। 

वो हो नहीं पाया?    

तो चालें और धोखाधड़ी का धंधा जारी है। 

बेटा, आज फिर सुना है, तेरा फोन बंध है?  

क्या कर रहा है, उस ज़मीन पर तू?  

उस ज़मीन से पीछे हटने के सिवा, तेरे पास रस्ता है क्या?

बहुत होंगे शायद? 


1 साल हो गया या 2?

वो दो बोतल देके फोटो करवाने का?

इस घर के हर इंसान के विरोध के बावजूद। 

बुआ के मैसेज कब-सी गए थे?

चाचे, भतीजे के पास?

आजकल में?

या उसी के आसपास? 

तब से भगोड़े ही हो शायद? 

कैसे-कैसे काम करते हो?

की भगोड़ा होना पड़े?   


कितना और गिरोगे?

शिक्षा के धंधे में?

2 कनाल के लिए?

सिर्फ 2 कनाल का लालच?

इतने अमीर लोगों के लिए?

कौन जगह है वो, जहाँ मिलती है ऐसी जमीन?

5-6 लाख में?  

या 30-35 लाख में?

कैसे-कैसे लालच देकर 

कैसा-कैसा रुंगा बाँटते हो?

वो भी अपनों को ही?   

ऐसे गंदे धंधे करने की बजाय, 

बेहतर ना हो, की दिमाग कहीं ढंग की जगह लगाओ। 


सुना है, किसी का यूनिवर्सिटी का पैसा आज तक रोकने की भी, बस इतनी-सी ही कहानी है? ये तार आपस में मिले हुए हैं? सुना है। हालाँकि, अपनी समझ से आज तक परे है। 

लोगों को और उनके संसाधनों पर काबू और कब्जे  करने की कोशिशें और कहानियाँ। जो मिलती, जुलती-सी लगेंगी, यहाँ भी, वहाँ भी और वहाँ भी। मगर ध्यान से देखने, पढ़ने लगोगे, तो कुछ नहीं मिलता, मकड़ी-से जालों के सिवाय। 

हमारे जैसे सोचते हैं, घर-कुन्बे की बात है, ऐसे ही निपट जाए। मगर, कुछ लोगों को शायद, मजा नहीं आता ऐसे?        

Monday, June 2, 2025

Psychological warfare, know the facts about narratives 11

आम इंसान बुरा नहीं है। जुआ खेलने वाली पार्टियाँ शिकारी हैं? जो आम इंसान की जानकारी के बिना उसका शिकार करती हैं? सर्विलांस एब्यूज इसमें बहुत बड़ी भूमिका में है। जितनी ज्यादा किसी के पास आपकी जानकारी, उतना ही आसान है, आपको रिमोट कण्ट्रोल करना। जितनी ज्यादा किसी भी परिवार या समाज की जानकारी, उतना ही आसान है, उस परिवार या समाज को कण्ट्रोल करना। 

इन पिछले कुछ सालों में ये सब इतना पास से होते हुए देखा है की यूँ लगता है, ये टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग, कुर्सियों की और बाजार की मारकाट, इंसान को और उसके इस समाज को कहाँ लेकर जाएँगे?  

Ghosting?

क्या बला है ये? शब्द सबसे पहले कहाँ पढ़ा था? 

कोई वेबसाइट बनाने का इरादा था शायद तब? नहीं, उससे भी पहले Ghost Writer या Ghost Writing क्या होती है? डेढ़ एक दशक पहले कहीं पढ़ा था शायद? ये शब्द Connecting Links Inbetween पर भी प्रयोग हो सकता है। और Political Tunnels पर भी। ये किसी या कुछ लोगों के आपकी ज़िंदगी या आसपास से एकदम से गुल हो जाना भी हो सकता है (Ghosting)। और? जो आप पर Surveillance कर रहे हैं और उसका किसी भी तरह का प्रयोग या दुरुपयोग उन पर भी। ऐसे लोग जो आपकी जानकारी के बिना साए से आपके आसपास मँडराते हैं? 

अब ये शायद थोड़ा और आगे हैं? अपने राजस्थानी (?) Cyber Dost?


कैसे? सुना है, वैसे तो ये पुलिस हैं और प्रहरी हैं, हम सबके। और ऐसे?   
जैसे बूझो तो जाने। आगे पोस्ट में। क्यूँकि, कुछ गड़बड़ घौटाला यहाँ भी है। भला क्या? थोड़ा बहुत भी अगर आप Cyber Crime के बारे में जानते हैं, तो इस वेबसाइट को ध्यान से पढ़ो और समझने की कोशिश करो। कुछ नहीं, बल्की, बहुत-कुछ समझ आएगा। और ये बहुत-कुछ हर सरकारी या गैर-सरकारी कांडों या निहित स्वार्थों या शायद मजबूरियों पे लागू होता है। और रौचक ये, की ये सब भी आपको यही पढ़ा या समझा देते हैं, कहीं न कहीं। है ना मजेदार :)

ये कुछ-कुछ ऐसे है जैसे, कोई नया-नया पुलिस अधिकारी आपकी फाइल लिए बैठा हो। नहीं, शायद उसके ऊपर बैठा हो। 8-9 महीने आपके खूब चक्कर कटवाए। क्यूँकि, उसके उप्पर भी कोई बैठा हो और उसके उप्पर भी कोई। और?
उनसे उप्पर भी कोई, जो कह रहा हो शायद आपसे या कह रहे हों, "ऐसे पिंड मत छोड़ो इनका, फँसे हुए हैं ये। मान के चलो, की हर बाप का और हर बॉस का एक बॉस होता है।" और आपको लगे, अरे यहाँ तो सुनने वाले भी हैं?  

और? कोई 8-9 महीने बाद आपको उसी अधिकारी का कोई जवाब मिले (RTI के बाद), की ये केस मैं नहीं देख सकता। ये तो मेरे सीनियर ऑफिसर के खिलाफ है। अरे? तो इतना-सा बोलने में इतने महीने क्यों खा गए? कोई तो मजबूरी रही ही होंगी? क्यूँकि, ये सब उस जूनियर अधिकारी ने अपने तबादले के बाद या आसपास लिखा। 2015 की बात है शायद ये। ऐसे ही कई और वाक्या हुए। 

जैसे कोई दोस्त (कमीना) बोले, हाँ। पता चल गया, तो क्या कर लिया? और आप हक़्क़े-बक्के से जैसे, देखते ही रह जाएँ, की इसे कोई गिल्ट या मलाल तक नहीं है, की इसने कुछ बुरा किया है या शायद बहुत बुरा किया है? और फिर कहीं पढ़ने को मिले। अभी आप जानते क्या हो? इससे आगे बहुत कुछ है। हाँ। उससे आगे भी बहुत कुछ देखा, सुना या समझने को मिला। कोरोना काल मौतें या हत्याएं? आम लोगों द्वारा आत्महत्याएँ या हत्याएँ? भेझे के बहुत से पूर्जे, बहुत तरह से हिल गए जैसे। ये दुनियाँ वो कहाँ है, जिसे मैं जानती थी? ये तो कोई और ही मशीनी युग है? या शायद इंसान और मशीनों के बीच कोई युद्ध है? 
  
कहाँ इस युद्ध के मारा-मारी के सैनिक और कहाँ बेचारे पानी की छोटी-मोटी बिमारियों से झुझते आम लोग? "गूँधनी हो गई। इक्क्ठ्ठी सात होती हैं ये।" ऐसे में बच्चों को पढ़ाना आसान होगा शायद, की Water या Bacterial या Microbial Infections कैसे होते हैं और कैसे उनसे बचा जा सकता है या होने पर उनका ईलाज घर पर ही किया जा सकता है। दादियों, चाची-ताइयों या शायद ऐसे कम पढ़े लिखे और कई पीढ़ियाँ जैसे पीछे रहने वाले दादों या चाचे-ताऊओं या बहनों की सुनने की बजाय, किसी गूगल बाबा या सर्च इंजन से पूछ लो, तो आपके झोला-छाप डॉक्टरों से बेहतर बताएँगे और समझायेंगे शायद।    


गूगल AI ज्ञान 

Human Computer interactions and ?

Human Computer interactions and ? Much cooking in between? 

Though, I don't know much about ........... It can be any institute or research lab or university or maybe even some other defence or civil organization.

Though, I don't know much about......... but human computer interaction and connecting points inbetween somewhere impact much around the world. These conncting points somewhere try to influence people in strange ways

In case, they are surveillance abusers then they have the capacity to make human robots. In creating these human robots, politics, system and big companies around the world use rather must say abuse, so much knowledge and technology. Wonder, at times, how higher education around the world is playing a part in that? By marking people? Like some guinea pigs? By testing people? Even without consent and knowledge? By abusing psychological manipulations and chemicals and drugs testing? Or even in synthesizing or creating some cases for forensic use or maybe abuse? Synthesis cannot necessarily be fact or some wrong or right. It depends, how it has been used or abused? For whom or what purpose? Who has the advantage or disadvantage to synthesize? And who even does not know if any such thing exists in world or can happen?

One side, there are people whose day by day lives are struggling for basic necessities of life. The other side, there are people who are fighting for empires or chairs or market control? And these the other side, hardly some percent of the world are remote controllers.

Connecting points inbetween

Political tunnels

Or there maybe some other such name or resources use and abuse?

Human Computer interactions and ? Much cooking in between? But how?

Maybe some other posts.