Types
हे बेबे
आजकाल के बालक
Hey
Hey Babe
तू भी के बोल्य सै
These nonsense don't know their own fluidic or hard numbers. Can someone ask them to check their own IDs? And can tell them their own तू भी के बोल्य सै टाइप?
These holy cows don't know, when they come to their parents home, how long they stay and on which numbers these political gamblers let them go back with special effects.
At place of cows, you can put any other species name or gender also. Interesting?
कितनी तरह की interactions और कितने तरह के आदमी आ गए ना? तो आप कहाँ फिट बैठते हैं, इन सबमें? और आपका आसपास या कहो आपकी interactions? ऑनलाइन या ऑफलाइन या इनकी खिचड़ी के बीच? ये तो सिर्फ कुछ-एक बताई हैं। और भी कितने प्रकार हो सकते हैं। आदम जमाने के लोगों से लेकर, आजकल के बच्चों तक? या बिलकुल अनपढ़, अनजान लोगों से लेकर, जिनके पास इस सबकी अच्छी खासी जानकारी है, उन तक? जितने ज्यादा ये प्रकार, शायद उतना ही मुश्किल होता होगा, ज़िंदगी का सामजस्य बिठाना?
या शायद काफी हद तक आपने सीख लिया है, किससे कैसे बात करनी है या सामजस्य बिठाना है या निपटना है? या किसको, कितना पास या दूरी पे रखना है? किसके कहे या करे का आपके लिए कोई मतलब है या नहीं है? और किसको आप तवज्जो देते हैं? जैसे-जैसे बड़े होते हैं, ये तो हर कोई सीखता है, थोड़ा या ज्यादा। और इसमें जितनी ज्यादा बड़ी रेंज से आपकी interactions होती हैं, उतना ही ज्यादा आपको इनसे सामजस्य या दूरी बिठाना भी आ जाता है। निर्भर करता है की अपना कितना वक़्त कहाँ देना चाहता हैं?
"these political gamblers let them go back with special effects."
ये बड़ा रौचक है। कैसे भला? वैसे तो ऐसा कुछ 2018 या 2019 में कहीं पढ़ने को मिला था, किसी आर्टिकल में। मगर तब इस कोढ़ वाली दुनियाँदारी की कोई खबर नहीं थी।
उसके बाद कहीं पढ़ने को मिला, किसी आईपीएस की पोस्ट में, की दुनियाँ का ये कोढ़ वाला सिस्टम ऑफिसर्स की देन है और वही चला रहे हैं, दुनियाँ भर में। फिर वो चाहे सिविल ऑफिसर्स हों या डिफ़ेन्स। कोढ़ वाले इस सिस्टम की खबर तब भी कुछ खास नहीं थी। इसलिए, ज्यादा कुछ समझ नहीं आया। मगर कोरोना और उसके बाद के वक़्त ने जो दिखाया या समझाया, वो कोई और ही रोबॉटिक फाइट हैं। जिसमें जो कुछ आप देख, सुन रहे होते हैं, उसका रिमोट कंट्रोल जाने दुनियाँ के किस कोने से चल रहा होता है। ये सब आम लोगों की समझ से थोड़ा परे है। मगर, आपकी अपनी या आसपास की कहानियों से ही, इसे आसानी से समझाया जा सकता है।
Social Tales of Social Engineering या Interactions और किस्से कहानियाँ? एक, अगर सामाजिक ताने-बाने की रुपरेखा है, तो दूसरा पॉइंट? उसे करने, बताने या समझाने का तरीका, Methodology, Process? इन Methodology के पॉइंट्स को जितना बारीकी से समझ पाएँगे, उतना ही कहीं से भी आफत-सी आई या फिट की गई, या छुपम-छुपाई सी जाने कब से चल रही interactions के बुरे प्रभावों से खुद भी बच पाएँगे और अपने आसपास को भी बचा पाएँगे।
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