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Monday, June 2, 2025

Psychological warfare, know the facts about narratives 11

आम इंसान बुरा नहीं है। जुआ खेलने वाली पार्टियाँ शिकारी हैं? जो आम इंसान की जानकारी के बिना उसका शिकार करती हैं? सर्विलांस एब्यूज इसमें बहुत बड़ी भूमिका में है। जितनी ज्यादा किसी के पास आपकी जानकारी, उतना ही आसान है, आपको रिमोट कण्ट्रोल करना। जितनी ज्यादा किसी भी परिवार या समाज की जानकारी, उतना ही आसान है, उस परिवार या समाज को कण्ट्रोल करना। 

इन पिछले कुछ सालों में ये सब इतना पास से होते हुए देखा है की यूँ लगता है, ये टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग, कुर्सियों की और बाजार की मारकाट, इंसान को और उसके इस समाज को कहाँ लेकर जाएँगे?  

Ghosting?

क्या बला है ये? शब्द सबसे पहले कहाँ पढ़ा था? 

कोई वेबसाइट बनाने का इरादा था शायद तब? नहीं, उससे भी पहले Ghost Writer या Ghost Writing क्या होती है? डेढ़ एक दशक पहले कहीं पढ़ा था शायद? ये शब्द Connecting Links Inbetween पर भी प्रयोग हो सकता है। और Political Tunnels पर भी। ये किसी या कुछ लोगों के आपकी ज़िंदगी या आसपास से एकदम से गुल हो जाना भी हो सकता है (Ghosting)। और? जो आप पर Surveillance कर रहे हैं और उसका किसी भी तरह का प्रयोग या दुरुपयोग उन पर भी। ऐसे लोग जो आपकी जानकारी के बिना साए से आपके आसपास मँडराते हैं? 

अब ये शायद थोड़ा और आगे हैं? अपने राजस्थानी (?) Cyber Dost?


कैसे? सुना है, वैसे तो ये पुलिस हैं और प्रहरी हैं, हम सबके। और ऐसे?   
जैसे बूझो तो जाने। आगे पोस्ट में। क्यूँकि, कुछ गड़बड़ घौटाला यहाँ भी है। भला क्या? थोड़ा बहुत भी अगर आप Cyber Crime के बारे में जानते हैं, तो इस वेबसाइट को ध्यान से पढ़ो और समझने की कोशिश करो। कुछ नहीं, बल्की, बहुत-कुछ समझ आएगा। और ये बहुत-कुछ हर सरकारी या गैर-सरकारी कांडों या निहित स्वार्थों या शायद मजबूरियों पे लागू होता है। और रौचक ये, की ये सब भी आपको यही पढ़ा या समझा देते हैं, कहीं न कहीं। है ना मजेदार :)

ये कुछ-कुछ ऐसे है जैसे, कोई नया-नया पुलिस अधिकारी आपकी फाइल लिए बैठा हो। नहीं, शायद उसके ऊपर बैठा हो। 8-9 महीने आपके खूब चक्कर कटवाए। क्यूँकि, उसके उप्पर भी कोई बैठा हो और उसके उप्पर भी कोई। और?
उनसे उप्पर भी कोई, जो कह रहा हो शायद आपसे या कह रहे हों, "ऐसे पिंड मत छोड़ो इनका, फँसे हुए हैं ये। मान के चलो, की हर बाप का और हर बॉस का एक बॉस होता है।" और आपको लगे, अरे यहाँ तो सुनने वाले भी हैं?  

और? कोई 8-9 महीने बाद आपको उसी अधिकारी का कोई जवाब मिले (RTI के बाद), की ये केस मैं नहीं देख सकता। ये तो मेरे सीनियर ऑफिसर के खिलाफ है। अरे? तो इतना-सा बोलने में इतने महीने क्यों खा गए? कोई तो मजबूरी रही ही होंगी? क्यूँकि, ये सब उस जूनियर अधिकारी ने अपने तबादले के बाद या आसपास लिखा। 2015 की बात है शायद ये। ऐसे ही कई और वाक्या हुए। 

जैसे कोई दोस्त (कमीना) बोले, हाँ। पता चल गया, तो क्या कर लिया? और आप हक़्क़े-बक्के से जैसे, देखते ही रह जाएँ, की इसे कोई गिल्ट या मलाल तक नहीं है, की इसने कुछ बुरा किया है या शायद बहुत बुरा किया है? और फिर कहीं पढ़ने को मिले। अभी आप जानते क्या हो? इससे आगे बहुत कुछ है। हाँ। उससे आगे भी बहुत कुछ देखा, सुना या समझने को मिला। कोरोना काल मौतें या हत्याएं? आम लोगों द्वारा आत्महत्याएँ या हत्याएँ? भेझे के बहुत से पूर्जे, बहुत तरह से हिल गए जैसे। ये दुनियाँ वो कहाँ है, जिसे मैं जानती थी? ये तो कोई और ही मशीनी युग है? या शायद इंसान और मशीनों के बीच कोई युद्ध है? 
  
कहाँ इस युद्ध के मारा-मारी के सैनिक और कहाँ बेचारे पानी की छोटी-मोटी बिमारियों से झुझते आम लोग? "गूँधनी हो गई। इक्क्ठ्ठी सात होती हैं ये।" ऐसे में बच्चों को पढ़ाना आसान होगा शायद, की Water या Bacterial या Microbial Infections कैसे होते हैं और कैसे उनसे बचा जा सकता है या होने पर उनका ईलाज घर पर ही किया जा सकता है। दादियों, चाची-ताइयों या शायद ऐसे कम पढ़े लिखे और कई पीढ़ियाँ जैसे पीछे रहने वाले दादों या चाचे-ताऊओं या बहनों की सुनने की बजाय, किसी गूगल बाबा या सर्च इंजन से पूछ लो, तो आपके झोला-छाप डॉक्टरों से बेहतर बताएँगे और समझायेंगे शायद।    


गूगल AI ज्ञान 

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