Wednesday, October 15, 2025

Modren Warfare, Pros and Cons 2

Enforced Version

जो आप बोलना चाह रहे हैं, आपको वो ना बोलने दिया जाए। जो आप लिखना चाह रहे हों, आपको वो ना लिखने दिया जाए। जो आप करना चाह रहे हों, आपको वो सब ना करने दिया, संवैधानिक हदों में होते हुए। संविधान जिसका आपको अधिकार देता है। 

रोकता कौन है?

तरह तरह के जुर्म करने वाले। 

कौन हैं ये जुर्म करने वाले? 

हमारी अपनी सरकार? राजनीतिक पार्टियाँ? या उनके गुंडे?   

जैसे पीछे वाली पोस्ट ही। क्या दिख रहा है आपको उसमें?

मुझे जो दिख रहा है, वो ये है 

पता नहीं ये तीन डॉट क्या हैं यहाँ? 
ये सब करने वाले कलाकारों को ज्यादा पता होगा? मैंने तो कुछ और ही लिखा था।  

ऐसे ही जैसे, जो काँड इन गुंडों ने किए हुए हैं, उनको यहाँ वहाँ मिटाने की कोशिशें। जैसे Campus Crime Series की कुछ एक पोस्ट मैंने काफी वक़्त बाद पढ़ी और पता चला, अरे, ये गुंडों ने क्या का क्या बना दिया? मैंने ऐसा तो नहीं लिखा।  
सोचो जहाँ ऑनलाइन जहाँ के ये हाल हैं, वहाँ ऑफलाइन क्या कुछ होता होगा? और ये सब ऐसा भी नहीं है की सिर्फ मेरे साथ ही ऐसा हो। जहाँ कहीं इन लोगों की पार पड़ती है, वहीं ये ऐसा ही करते हैं। जैसे दूसरों के मुँह में अपने शब्द डालने की कोशिश करना। जैसे दूसरे इंसान का खाना, पीना, पढ़ना, सुनना, देखना, पहनना, किसी के साथ होना या किसी से अलग, सब इस अनोखी दुनियाँ के अधीन है। ज्यादातर को ये सब होता संभव ही नहीं लग रहा होगा। क्यूँकि, ज्यादातर को इस दुनियाँ की खबर ही नहीं। फिर ये वाली गुप्त दुनियाँ काम कैसे करती है, उसके बारे में जानना तो बहुत आगे की कहानी है। जिस दिन वो सब समझ आना शुरु हो जाएगा, उस दिन आप खुद किए गए या कहे गए, खुद की पसंद या नापसंद, और अपने आसपास के बारे में भी काफी कुछ ऐसे सोचना शुरु कर दोगे, की आप कौन सी दुनियाँ में है। ये वो दुनियाँ तो नहीं, जिसे आप बचपन से जानते हैं या जिसके बारे में बचपन से पढ़ते या सुनते आए हैं। और ये दुनिया आपको अपनी आज की दुनिया से उतनी ही दूर लगेगी, जितना कम आपको इसके बारे में जानकारी है। 

जैसे पीछे एक केस स्टडी का छोटा सा हिस्सा लिखा। सिर्फ, उस सामान्तर घड़ाई के कुछ एक कोड। जैसे कट्टा, गाजियाबाद, किन्हीं बहन भाई की स्कूल में शादी और कट्टे का अलमीरा या ज़मीन में गाड़ने से भला क्या लेना देना? ये तो ऐसे नहीं हो गया जैसे कुछ भी कहीं से भी उठाकर जोड़ने की कोशिश? हाँ। अगर आपको हकीकत और सामान्तर घड़ाई वाली कहानी के abc तक ना पता हों तो। थोड़ा बहुत भी पता चलते ही आप दोनों कहानियों में सामंता देखने और समझने लगोगे। मगर जैसे ही उसको थोड़ा और आगे खँगालने लगोगे तो पता चलेगा की यहाँ तो काफी कुछ अलग है। जैसे कोई दो तस्वीरें देकर बोले, इनमें समानता और फर्क बताओ। फिर ये कोड क्या हैं यहाँ? ये कैसे मिलते जुलते से हैं? ये कोड गुप्त सुरँग वालों की देन हैं। जो इन कहानियों को या कहना चाहिए की इन लोगों को पता नहीं कबसे गुप्त तरीके से अपने अनुसार घड रहे होते हैं। ठीक ऐसे, जैसे, कोई कुम्हार घड़ा घडता है। मतलब, घड़ने वाले को पता है की उसे घड़ा कैसा चाहिए? और घड़ा ही चाहिए या फिर कुछ और। इसीलिए पीछे लिखा की कहाँ शांति होगी और कहाँ दंगे, इस सबका निर्णय वहाँ का गुप्त सिस्टम लेता है। 

अब प्र्शन तो ये भी हो सकता है की जब इतना कुछ गुप्त सिस्टम करता है, तो जुर्म करने वाले का कितना दोष? तभी तो कहते हैं, सब माहौल पर निर्भर करता है। आपके आसपास के सिस्टम पर निर्भर करता है। आपके अपने घर परिवार पर निर्भर करता है, की आपकी ज़िंदगी कैसी होगी। मुजरिम या गुनाहगार पैदा कौन होता है? किसके माथे पर कोई भी स्टीकर लगा आता है? उसे उसका परिवेश या माहौल बनाता या बिगाड़ता है। उस माहौल में किसी भी बच्चे के घर से बाहर के कितने तड़के लगते हैं, और किस तरह के तड़के लगते हैं, वो माहौल उसे वैसा ही बना देते हैं। जितना कम कोई भी घर अपने बच्चों पर वक़्त लगाता है, उतना ही ज्यादा बाहर का प्रभाव या दुष्प्रभाव रहता है। जितने ज्यादा पिछड़े इलाके होते हैं, दुष्प्रभाव भी उतना ही ज्यादा बुरा या ख़तरनाक होता है। ये गुप्त तंत्र और राजनीती अपने सबसे ज्यादा प्यादे या गुलाम यहीं से ढूँढ़ते हैं। क्यूँकि, वो इनके लिए कोई भी और किसी भी तरह का काम बड़ी आसानी से कर देते हैं। 

ऐसा नहीं है की अच्छे इलाकों में या देशों में गुनाह नहीं होते। वहाँ भी होते हैं। वहाँ और ऐसे इलाकों में फर्क इतना भर होता है की वहाँ अपनी ज़िंदगी चलाने या मात्र गुजारे के लिए गुनाह नहीं होते। वहाँ ज्यादातर गुनाह कंट्रोल के लिए होते है। पद और प्रतिष्ठा के लिए होते हैं। यहाँ तो लोगबाग ऐसे लगे होते हैं, जैसे कॉकरोच कुछ और ना मिलने पर, कॉकरोचों को ही खाने लग जाएँ। 

कहीं से आवाज़ आ रही हैं शायद? ओ फालतू दुनियादारी के किस्से कहानीयों पर इतना फेंकने वाले, फॉर्म क्यों नहीं भर रहे। फॉर्म? बताओ मुझे क्या किसी इलेक्शन में उठना है? यहाँ तो हर 6 महीने में इलेक्शन होते हैं। हर छह महीने में कोई न कोई फॉर्म भरो और फिर रिजल्ट के नाम पर तमासे देखो। तमासे? हाँ। जानते हैं आगे किसी पोस्ट में।       

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