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Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, September 15, 2025

VY-Travelogue? A Time Machine? 21

आपको कोई काम करना है, तो पैसा तो चाहिए। अब पैसा कहाँ से आएगा? आपके पास अपना है, तो बढ़िया है। नहीं है, तो कहाँ से मिलेगा, ये पता होना चाहिए? ऐसा ही?

हकीकत ये है, की अगर कुछ करना चाहो, तो संसाधन तो बहुत हैं दुनियाँ में। तो पैसा भी कहीं न कहीं से आ ही जाएगा। हाँ। अगर आपने दुश्मन बहुत पाल रखे हों, जिस किसी वजह से, जैसे लोगों ने कोई छोटे-मोटे काँड किए हों और आपने ऐसी कोई फाइल बाहर निकाल दी हों? तो हो सकता है की आपके अपने पैसे पर भी ताला हो? वो भी illegal . अब ऐसा तो कोई काम आपने किया नहीं हुआ, की वो लीगल ताला लगा सकें। तो ऐसे में गुंडागर्दी अपने चरम पर हो सकती है। ये तो हुई किसी साधारण इंसान की बात। 

क्या हो, अगर कोई सरकार कहे, की फलाना-धमकाना काम के लिए पैसा नहीं है? तो उसे बोलो, जब पैसा ही नहीं है या कहीं से भी इक्कठा नहीं कर सकते, तो क्यों रस्ते के रोड़े से उन कुर्सियों पर जमे बैठे हो? ऐसे लोगों को रस्ता दो, जो इस काबिल हों। ऐसा ही?

या? कुछ पार्टियों की है मिलीभगत और वो आपस में बाँटकर खा रहे हैं? और जनता का फद्दू काट रहे हैं?

या? ये अम्बानी, अडानी, टाटे, बिरले कोई हों, बात एक ही है। इतना परसेंट तुम्हारा और इतना परसेंट हमारा। जनता जाए भाड़ में? जो ज्यादा चूँ चाँ करें, उनके पीछे गुंडे लगा दो। और ना माने, तो अच्छे से समझा दो, अंजाम क्या-क्या हो सकते हैं? तो ऐसे से विषयों पर अगला इंटरव्यू किसका आ रहा है? रस्ता दिखाने वाले कहाँ हैं वो? कौन कौन सी पार्टी में? अब नौटंकीबाज़ तो सारी ही पार्टियों में बैठे हैं :)                         

VY-Travelogue? A Time Machine? 20

शिक्षा के लिए या धर्म के लिए उगाही करने वाला समाज, कितना विकसित या पिछड़ा हो सकता है? ऐसा ही, कहीं की राजनीती या राजनितिक पार्टियों पर लागू होता है? इस प्रश्न का जवाब आने वाली पोस्ट्स  में अपने आप मिल सकता है। चाक या पैंसिल से शुरु करें? या पैन या मार्कर से? या स्टाइलस से (स्क्रीन पैन)?   

बच्चों वाले चाक या पैंसिल से शुरु करते हैं, सुना है की जिसमें गलत होने पर, गलती को आसानी से मिटाने की सुविधा भी होती है? ऐसा ही?

लेक्चर थिएटर से शुरु करें या new age स्टूडियो से? या फिर सीधा न्यूज़ रुम चलें? या न्यूज़बुक? अरे! ये न्यूज़ बुक क्या होता है? पीछे, NDTV पर एक बड़ा ही रौचक सा कॉन्सेप्ट सामने आया। जो अचानक से, मेरे यूट्यूब मीडिया को जैसे बदल रहा था। ऐसा क्या खास है इसमें? यूँ लगा जैसे, ये तो मेरे लिए ही personalise कर दिया हो? पर्सनल मेडिसिन जैसा सा कॉन्सेप्ट? नहीं, नहीं, कुछ तो गड़बड़ है। मगर क्या? बड़ाम, बड़ाम, बड़ाम? नहीं। भड़काने वाला है ये तो? वो भी बैकग्राउंड में म्यूजिक तड़के के साथ? वो जैसे भूतों का कोई मंदिर, जहाँ से बड़ी ही अज़ीब सी आवाज़ें आ रही हों? लोग मंदिर जैसी जगहों पर, शांति के लिए जाते हैं या डरने-डराने के लिए? कलटेशवर मायानगरी जैसे? 

आप भी सोच रहे होंगे, की ये शिक्षा की बात करते-करते कहाँ पहुँच गए हम? मैंने भी जब ऐसा-सा प्र्शन किया, तो मेरा यूट्यूब, NDTV के "कच हरी" पहुँचा मिला कहीं? जैसे कह रहा हो, अच्छा, तो वो कॉन्सेप्ट पसंद नहीं आया? तो लो, हम तो आप वाले शब्दों को बच्चों की तरह तोड़-तोड़ कर पढ़ने-पढ़ाने वाले कॉन्सेप्ट पर आ जाते हैं। प्रशांत किशोर और प्रीती चौधरी के India Today के पॉडकास्ट के बाद, चलें? 

NDTV की "कच हरी"?


आप सुनिए इसे। 
आगे कहीं इसके आँकलन पर भी आएँगे।

इसके आगे भी शिक्षा और इससे सम्बंधित विषयों पर चर्चा जारी रहेगी, अलग-अलग माध्यमों से, मीडिया से या उनके प्रोग्रामों के द्वारा, या कुछ नेताओं के खास ऐसे से ही विषयों पर, स्पेशल प्रोग्राम्स के द्वारा। पीछे कहीं पढ़ा की बिहार पे फ़ोकस क्यों, बिहारी हैं क्या आप? तो उसका जवाब है, मैं बिहारी ना सही, लेकिन कोई भी इंसान किसी भी बहाने, अगर ऐसे-ऐसे गरीब राज्यों की बात कर रहा है, तो सुनने में बुराई क्या है? मेट्रो सिटीज़ या उनके आसपास को तो हम रोज ही ना सुनते हैं। वैसे भी मुझे भीड़ से थोड़ा दूर दराज़ जगहों, लोगों, उनकी ज़िंदगियों और  उनके संघषों को जानना या समझना पसंद है।  बड़ाम, बड़ाम से दूर, शांती पसंद लोग हैं हम :)        

कुछ एक ने कहा की आप यूट्यूब के एल्गोरिथ्म्स के जाल में उलझ रहे हैं। पीछे मुझे भी ऐसा सा लगा, की ऐसा कोई खास तरह का प्रोपैगैंडा, मेरे यूट्यूब पर खासकर चल रहा है। अच्छा है इसी बहाने, आम जनता को भी नए युग के टेक्नोलॉजी के जंजालों से भी अवगत कराया जाए। ऐसी-ऐसी टेक्नोलॉजी का प्रचार-प्रसार, आम जनता को भी समझाने के काम आएगा की कैसे मानव रोबॉट बनाने की प्रकिर्या में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। वो मीडिया चाहे फिर ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। 

VY-Travelogue? A Time Machine? 19

शराब से या जुए से उगाही करने वाला समाज, कितना विकसित या विकृत हो सकता है?

कहाँ से आया ये प्र्शन? जब पाया की शराब "पीता नहीं, बल्की पीटा है"। आपको किसी को पीटना है या हराना है या ख़त्म करना है, तो कुछ नहीं करना, बस मुफ़्त की नशे की सप्लाई का बंदोबस्त कर दो। और ये किसी भी तरह के नशे पर लागू होता है। क्यूँकि, कोई भी नशा, एक बीमारी है। या कहो की किसी या किन्हीं तरह की कमियों की तरफ इशारा है। जैसे न्यूट्रिशन की कमी से उपजे विकार।  राजनितिक पार्टियाँ, अगर उस बीमारी का सही ईलाज करने की बजाय, उसको बढ़ावा देने लग जाएँ, तो क्या होगा? ऐसा शरीर, ऐसा इंसान या ऐसा समाज तो ख़त्म हो जाएगा। 

कोरोना के बाद जब आप पार्टी को जाना तो लगा ये कौन सी दुनियाँ है? ये पार्टियाँ ठेकों के भरोसे चलती हैं क्या? एक ऐसी पार्टी, जिन्हें अल्टरनेटिव राजनीती की चाहत वाले लोग, पुरानी राजनितिक पार्टियों की बजाय, विकल्प के रुप में देखने लगते हैं? इनके ठेकों के धंधों को देख जैसे ठिठक जाते हैं। कुछ-कुछ ऐसे ही, जैसे, अमेरिकन gun culture से नफ़रत करने लगते हैं? बच क्या गया? धर्मांध की अफ़ीम बाँटने और परोसने वाली पार्टियाँ? जो बँदर बाँट की तरह, दो बिल्लिओं को पास बिठाकर, उनका सबकुछ हड़प जाता है? तो राजनीती या कोई भी राजनितिक पार्टी समाधान नहीं है। बल्की, वो तो अपने आप में समस्या हैं। कुर्सी पाने के लिए कुछ भी करेंगे। 

मगर ऐसा भी नहीं, की किसी भी पार्टी में कुछ भी अच्छा ना हो। कुछ तो होगा ही, जो इतनी जनता इन्हें चाहती है? वैसे भीड़ तो इतनी पागल भी हो सकती है, की वो हिटलर और सद्दाम हुसैन जैसों को, दशकों कुर्सियों पर बिठा दें? शायद नहीं? इसका मतलब मीडिया प्रबंधन जबरदस्त है। क्यूँकि, ऐसे लोग या पार्टियाँ, जो दिखाना और सुनाना चाहते हैं, जनता तक सिर्फ उतना ही पहुँचने देते हैं। और अपने कांड़ों को छुपा जाते हैं। ऐसे में रस्ता क्या हो? वो भी शायद मीडिया और मीडिया प्रबंधन वालों से ही होकर गुजरता होगा?

आम लोगों को हर पार्टी से अपने मतलब का जो कुछ अच्छा है, उसे निकालने की कोशिश करना होना चाहिए। क्यों किसी की खामखाँ की भक्ती हो? क्यूँकि, यहाँ फ़ोकस शिक्षा है, तो जानने की कोशिश करते हैं, की कौन क्या और कितना कर रहा है? क्यूँकि, शिक्षा ही एकमात्र रस्ता है, किसी भी समाज की प्रगति का या पीछे रह जाने का। कहाँ से शुरु करें? पैन, पैंसिल, चाक, मार्कर, बोर्ड, किताब, लैपटॉप, नोटबुक, नैटबुक या न्यूज़बुक से? ये चर्चा का विषय होना चाहिए, हर पार्टी के लिए, हर छोटी-बड़ी कंपनी के लिए, हर तरह के मीडिया के लिए। किसी भी समाज का भविष्य यहीं से आगे बढ़ना है। 

VY-Travelogue? A Time Machine? 18

 Metaphor?

Alligory?

सामान्तर घड़ाईयाँ?

या और भी ऐसे कितने ही नाम हो सकते हैं?

हग-मूत के जाले में उलझे वैज्ञानिकों, राजनितिक पार्टियों और बड़ी-बड़ी अंतर्देशीय कंपनियों द्वारा, अलग-अलग तरह के हथकंडों से सिर्फ आपकी निजी ज़िंदगी में ही नहीं, बल्की inner wear और प्राइवेट पार्ट्स तक घुसी बेहूदगियों के इनके बाज़ारों से थोड़ा परे चलते हैं। मगर कहाँ?

वहाँ, जो जहाँ आपको कम से कम इतना सोचने समझने लायक तो बना ही दे, की आखिर इतना कुछ ये सब दूर बैठे कैसे कर सकते हैं? और क्यों कर रहे हैं? ये सब करके, इन्हें मिल क्या रहा है?    

उसके लिए हमें सिर्फ अपने यहाँ के ही नहीं, बल्की, दुनियाँ के अलग-अलग देशों के शिक्षा तंत्र को समझना होगा। जिससे पता चलेगा की आज भी कुछ देश इतने गरीब और कुछ अमीर क्यों हैं? कुछ इतने शांतिप्रिय और कुछ इतने अशांत या झगड़ालू क्यों हैं? उसकी वजह क्या है? शिक्षा, उसका सिस्टम और उसके तौर तरीके उसमें अहम हैं। दुनियाँ भर की यूनिवर्सिटी की सैर से शुरु किया ये सफर, ऐसा ही कुछ जानते-जानते, जाने क्यों अंग्रेजों के उस हिस्से पर अटक जाता है, जिसने हमें इतने सालों गुलाम रखा। उन्होंने हमें इतने सालों गुलाम क्यों रखा या हमारी ऐसी कौन सी कमजोरियाँ थी, की वो हमें इतने सालों गुलाम रख पाए? आज क्या हम आज़ाद हैं? या आज काले अंग्रेजों के गुलाम हो गए हैं? और ये सफ़ेद अंग्रेज या काले अंग्रेज क्या हैं? इन्हें जानना बहुत जरुरी है क्या?

Sun treated या radiation treated लोग काले हैं और snow treated लोग गोरे? Beyond cast or creed, even scientifically, it is a fact. Story of melanin or human pigment evolution?    

तो कहाँ से शुरु करें? पैन, पैंसिल, चाक, मार्कर, बोर्ड, किताब, लैपटॉप, नोटबुक, नैटबुक या न्यूज़बुक से? ये चर्चा का विषय होना चाहिए, हर पार्टी के लिए, हर छोटी-बड़ी कंपनी के लिए, हर तरह के मीडिया के लिए। किसी भी समाज का भविष्य यहीं से आगे बढ़ता है।    

Sunday, September 14, 2025

VY-Travelogue? A Time Machine? 17

 "Never judge others, you don't know their story." 

Or "Never judge a book by its cover. " 

जिस किसी ने कहा है ये, शायद सही ही कहा होगा?

और आज के वक़्त में तो बहुत जरुरी है, इसे मानना। इसीलिए मैं कहती हूँ की हर इंसान अलग है, और हर केस। पता नहीं कैसे लोग उन्हें "ठीक ऐसे है", कह देते हैं? हाँ, सामान्तर घड़ाई कहना सही है। राजनितिक पार्टियों द्वारा की गई सामान्तर घड़ाइयाँ, और भी सही रहेगा। राजनितिक पार्टियाँ जब सामन्तर घड़ाईयाँ घड़ती हैं, तो क्रूरता के कौन-कौन से दायरे या मानक लाँघ जाती हैं? कोई सीमा नहीं है?  

क्यूँकि, जब हम सामान्तर घड़ाईयोँ की बात करते हैं तो synthesis के componenets और तौर-तरीक़े जानना अपने आपमें बहुत से रहस्योँ से पर्दा उठा जाते हैं। और सतह से पर्दा उठते ही पता चलता है, की यहाँ तो कुछ भी नहीं मिल रहा। और उसके साथ-साथ कितने ही अंतर समझ आने लगते हैं। ठीक ऐसे जैसे, बच्चों को कोई दो तस्वीरें या किरदार पकड़ाकर बोलो, इनमें 10 अंतर या सामानताएँ बतायें। रावण के दस मुँह तक, अलग-अलग तरह के दस आदमी नज़र आएँगे? 

ठीक ऐसे जैसे?

बिमारियों के उदाहरण देकर समझाना, अपने आसपास से ही। चलो थोड़ा सा हिंट मैं दे देती हूँ। 

Skin diseases 

Cancer 

Fibrosis 

ईधर-उधर जब इन बिमारियों को जानने की कोशिश की गई, तो यूँ लगा, की ये सच में बिमारियाँ थी या हैं या घड़ी गई थी या घड़ी गई हैं? मगर कैसे? That process or abrupt or kinda instant doses are interesting factors to know.      

और भी कितनी ही बिमारियाँ, जिनकी कहानी कुछ-कुछ ऐसे ही लगती हैं। Paralysis, eyes infections, fever etc. कोई भी बीमारी का नाम लो और वो शक के दायरे में नज़र आएगी। अब वो शक का दायरा सिर्फ automatic system तक सिमित है या उससे आगे भी, ये जानना अहम हो सकता है।      

VY-Travelogue? A Time Machine? 16

Hey, who is this guy?   

ये तो? जाना पहचाना सा चेहरा लग रहा है ना?
AI धमाल?
या?
iCall on this number? 

Seriously?
नंबर कोई भी हो सकता है। ये ऐसे ही कोई random नंबर रख दिया है। 

ठीक ऐसे ही, चेहरा कोई भी हो सकता है। मगर आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से, उसे किसी जैसा या बिल्कुल हूबहू भी दिखाया जा सकता है। आज के दौर में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस जो कुछ कर रहा है, उसका अंदाजा तक आम इंसान को नहीं है। खासकर, भारत जैसे देशों में। और इससे भी गरीब देशों के तो फिर कहने ही क्या? 

आप जो देख रहे हैं, सुन रहे हैं, समझ रहे हैं, हो सकता है की उसका abc भी सच ना हो। या हो सकता है की हो भी? मगर कितना? ये अहम है। वो कहते हैं ना की information is important but correct information. AI ने कोई जानकारी कितनी सही या गलत है, उसके बीच की लाइन को ही ख़त्म कर दिया है। और वो सिर्फ फोटो या विडियो तक सिमित नहीं है। 

बल्की, उससे आगे एक बहुत बड़ा जहाँ सिंथेटिक बाजार का है। किसी भी या किन्हीं भी विशेषज्ञों के पास जो जानकारी है, उसको तोड़, मरोड़, जोड़ कर उसका कितना भी प्रयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी। 

जुए की राजनीती वाला ये संसार, उसका प्रयोग करके आपको रोबॉट बना रहा है और दूर, बहुत दूर बैठे आपको अपने निहित स्वार्थों के लिए प्रयोग या दुरुपयोग कर रहा है। कैसे? इसपे आगे काफी पोस्ट होंगी।  

VY-Travelogue? A Time Machine? 15

 How it happens?

हकीकत या सिर्फ जोड़तोड़ की कहानियाँ? ये आँकलन पढ़ने वालों पर छोड़ देते हैं। 

कहीं एक गोली आती है, किसी खाने-पानी में, धोखे से? और कहीं पीरियड्स शुरु?

दूर, बहुत दूर कहीं, एक गोली आती है, बन्दूक से, पिस्तौल से या किसी देशी कट्टे से, छुपे हुए से किसी स्थान से जैसे? और खून? 

क्या दोनों एक ही बात हैं?       

एक इंसान पढ़कर, मेहनत करके परीक्षा पास करता है और अपनी डिग्री लेता है। उस मेहनत के अनुसार उसके नंबर आते हैं या उसे ग्रेड मिलती है।  

एक इंसान किसी को पसंद करता है और वो उसे पाता है या नहीं, ये शायद बहुत से ऐसे तत्वों पर निर्भर करता है, की उसके आसपास और कितने उसे चाहने वाले हैं? और वो क्या चालें या घातें चलते हैं? या ऐसे लोगों के अपने? उसकी भी कोई ग्रेडिंग होती है क्या? जैसे ABCD? या cast जैसे ahir, baniya, brahman, chamar, jat, rarajput या Cristian, Hindu, Jain, Jew, Muslim etc?         

ऊप्पर वाले दोनों तथ्यों को एक ही नज़र से देखा जा सकता है क्या? क्या राजनीती किसी को चाहने या ना चाहने वाले के किस्से कहानियों की ना सिर्फ ग्रेडिंग बल्की उतार चढाव तक आपकी डिग्री की ग्रेडिंग में घुसेड़ सकती है? या तुलना कर सकती है?

या इस सबसे आगे जाके आपकी ग्रेडिंग को बढ़ा-चढ़ा भी सकती है या शायद तहस नहस भी?

डिग्री और रिश्तों के हेरफेरों की ग्रेडिंग? क्या दोनों एक ही बात हैं?  

सबसे बड़ी बात, राजनितिक पार्टियों को लोगों की ज़िंदगियों में ऐसे घुसने की ईजाजत किसने दी? 

सिर्फ राजनितिक पार्टियाँ या बड़ी बड़ी कंपनियों का भी इस सबमें बहुत बड़ा योगदान है?    

ऐसे ही सिर्फ पीरियड्स या किसी का खून तक नहीं बल्की ज्यादातर बीमारियाँ ऐसे ही आपके राजनीतिक सिस्टम की देन हैं। जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को abc तक नहीं पता। 


ऐसे ही जैसे दो इंसानो का आपस में चाहना?

या किसी छल कपट या रैगिंग या टैस्टिंग के नाम पर किसी से धोखा करना। 

क्या दोनों एक ही बात हैं? 

उस पर दूर, शायद बहुत दूर कहीं, किसी या किन्हीं को शराब या ड्रग्स पिलाना या पहुँचाना? और उन बच्चों या युवाओं की ज़िंदगियाँ बर्बाद करना? और ऐसे घरों को बर्बाद करना? 

कहीं और या शायद वहीँ, शराब के बहाने जमीन हथियाने की कोशिशें या ज़मीने हड़प जाना? 

क्या ये एक ही बात हैं? 

क्या प्रशांत किशोर एक बिहार जैसे गरीब राज्य में शराब की वकालत करते हैं?

या उसपर टैक्स लगाने या ना लगाने की? 

इससे बिहारियों को क्या फायदा होगा? उनका स्वास्थ्य बचेगा या उससे खिलवाड़ होगा? उनके घरों में शाँति या समृद्धि आएगी या वो और तबाह होंगे?  

ऐसा करने से उनकी ज़मीने (थोड़ी बहुत जो भी हैं), वो बचेंगी या रिलायंस जैसे बड़े-बड़े धंधेबाज़, 2 बोतलों में उनका हिसाब कर जाएँगे?      

कहीं आपने Thar की कहानी पढ़ी, किसी पोस्ट में? H R 000? उसके आगे? चौका, छक्का या अट्ठा? क्रिकेट में अट्ठा तो शायद होता नहीं ना?

Thar से पहले Swift? और Swift वाले के कारनामे भी पढ़े होंगे? Swift का नंबर क्या था? कहाँ से कहाँ बेचीं गई, वो? कालिख़ थार? अब कहाँ पहुँच रही है? और कैसे? कौन आने जाने लगा है उसमें?  

शराब के बदले ज़मीन हड़पने की कोशिश वाले कालीखों ने सफ़ेद swift के बाद काली Thar खरीदी और? उसके बाद? सफ़ेद i 20? वो भी स्पोर्ट्स। तो लड़कियों से खेलेंगे? वो लड़कियाँ फिर तुम्हें कहाँ बिठाएँगी, कालिखो? 

घपले पे घपला?

घपले पे घपला? 

जैसे?

नहले पे दहला?

या अठ्ठे पे नहला?  

मूवी सीरीज़ देखी है कोई? गोलमाल? है भई सब? गोलमाल है? i 20 से पहले तो i10 भी आई होगी? कहाँ? किसी की अपनी कमाई से खरीदी गई इकलौती सफ़ेद  i10, किसने धोखे से हड़प ली? किसी कंपनी ने शायद? और आज तक वही लिए बैठे हैं? क्यों? बड़ी बड़ी कंपनियों या शिक्षा के नाम पर धंधा करने वालों के लिए ये सब करना कितना मुश्किल है?      

राजनीतीक पार्टियों और चालबाजों के रचे गुँथे यही घपले, बीमारियाँ भी लाते हैं? और एक्सीडेंट और मौतें भी? और भी बहुत कुछ लाते हैं?

जैसे दो बोतलों के बदले ज़मीन हड़पने वाले या कोशिशें वाले, उससे आगे चलकर शराब के ठेकों के मालिक भी बनते हैं? शिक्षा और कहीं 70000 में घर बैठे BED करें? या शिक्षा और क्रिकेट के चक्कर? या शिक्षा और? शराब के ठेकों के मालिक? शिक्षा के नाम पर ऐसे-ऐसे धंधे करने वाले so called शिक्षा संस्थान बँध नहीं होने चाहिएँ? ऐसे-ऐसे शिक्षा संस्थान और शिक्षा मालिक क्या परोस रहे हैं इस समाज को? ऐसे-ऐसे गुंडे, अपने खुद के चाचा, ताऊओं या उनके बच्चों को नहीं बख्सते और किसे छोड़ेंगे वो?       

और कैसे? ये सब जानना बड़ा ही रौचक है। आगे आते हैं, किसी पोस्ट में। 

Friday, September 12, 2025

VY-Travelogue? A Time Machine? 14

 Interaction और किस्से कहानियाँ?

या ABCDs of Views and Counterviews?  

या VY-Travelogue? A Time Machine?

Vitiligo and Media (Culture? System? Politics?)

Earlier, it was right hand's dorsal part which first showed signs of vitiligo (?) in 2018. By now, it looks very prominant. But not even a single dot on any finger or thumb.

This year 2025, it was the turn of left hand, kind of same type of white dots started on dorsal part and within a month or two, except little finger, all three fingers and thumb also started showing prominent signs. Instead of months, I should say within 2-3 weeks or at one finger even within 2-3 days, this white patch developed so prominantly, that even I was surprised, what the hell is this? It starts with pain at some particular point like some burning sensation or prominent reddish dot and then that spread in the surrounding area like engulfing melanin or whole cells in that area. I literally noticed not just the initiation of burning like pain but then visual sign also in the form of whitish dot, then with time prominant patch.

Beyond this personal experience, the way some changes happened in the surrounding (still invisible to most) and politically, were also interesting to watch. Interesting to watch, at times can be painful with lots of questions, why? And how? To some extent, probably, I got the answers to these both why and how? 

Starting of cool weather means electricity, no electricity or too much flactuations in electricity, would not affect much. Rather full body cover by cloths and layerings would reduce tanning and to some extent heal this burning kinda damage too. That's how it seems happened with left hand above wrist which had some not so prominently visible white dots, in the last few years. And it was interesting to watch this whole process.

What is this too black skin, especially nearby these white patch area only? Just sun tan? Or much more than that? We used to see that kinda blackness in radiation treated people like in cancer cases. What is that? Kinda homelessness effect? Where you cannot care even for self properly? Salty water? Khandar's effect? You startred looking like not just the surrounding you are living, but the so-called home, you are residing in? Over sun tan effect? High humidity and high temperature effect? Surf, soap, shampoo or such chemicals also act as bad agents? This paragraph needs details to understand, how it is happening or happened? Some case studies from the surrounding can be interesting addition to this. Kinda telling, dont just talk about scientific symptoms, but talk about politics and system's effects of any place diseases. Why specific disease belongs to some specific code people? Specific codes of some specific party only? Am I trying to see too much beyond common visible eyes or that's a fact? I must leave that question's anwer with the readers. Knowledgeable people can share their points.

Would it stop here, at least this year? As humidity and temperature severity is slowly reducing with season change and autumn's cool is already there in the air. Till now experience says, that it's a severe weather or environment disease and don't stay in cool waether and clean environment rather seems fade away? But what about litteral burn patch area, probably, that would not go away? To some extent true about hair health also, especially pigment and colour? 

Thursday, September 11, 2025

VY-Travelogue? A Time Machine? 13

 ये कैसे जाले हैं?

Personal Vs Professional Zone?  

क्या आपकी डिग्री आपकी जाती का प्रमाण हो सकती है? या वो सिर्फ और सिर्फ आपकी पढ़ाई का या उसके स्तर का प्रमाण है?

क्या हो अगर कोई कहे की आपकी ये डिग्री स्वर्ण है, ये डायमंड, ये चमार, ये चूड़ा, ये धानक, ये हिन्दू, ये मुस्लिम, ये सिख, ये पंजाबी, ये देहाती, ये शहरी, ये स्लम वाले और ये पॉश इलाके के रईश?

जैसे कुछ भी? यही ना? अभी तक 10वीं, 12वीं, UG (undergraduates), PG (postgraduates), PhD (Doctorate), वैगरह तो आपने सुना होगा? हिंदी, English, इतिहास वैगरह में BA या MA, या किसी विज्ञान के विषय में MSc या MS, या कॉमर्स या इकोनॉमिक्स में MCom वैगरह तो सुना होगा? 

डिग्रियाँ जातियों के या धर्म-अधर्म के या किसी खास स्थान में भी प्रदान होती हैं क्या? सोचो अगर ऐसा हो तो क्या हो?

और अगर ऐसा हो रहा हो तो क्या हो? फिर तो नौकरियों में भी शायद ऐसा-सा ही कुछ होगा? या शायद इससे भी कुछ ख़तरनाक? उधोग धँधे भी ऐसे ही चलते होंगे? आपकी नौकरी में या उधोग धँधे ऐसा सा ही या ऐसे से ही कोई कोड होंगे? इन इन कोड के एक साथ आने पर ये बनता है और इन और इन कोड के एक साथ आने पर ये? कोई जाति प्रमाण पत्र जैसे? या कोई धर्म अधर्म जैसी मोहर? किसी खास स्थान जैसा सा वातावरण या माहौल, सिर्फ उन कोढों के अनुसार? सोचो ऐसा हो तो क्या हो?

और अगर ऐसा हो रहा हो तो क्या हो?

तो ये तो था, किसी भी राजनीतिक पार्टी या पार्टियों के उन नेताओं के लिए, जो ऐसे विषयोँ पर बात करना चाहते हैं।  या इससे आगे अपने समाज को बढ़ाना चाहते हैं। और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं तक ही ये बहस सिमित क्यों हो? इसके माध्यम तो फिर भी आप ही होंगे ना, मीडिया वाले, किसी भी फॉर्म में? तो हो जाओ शुरु। 

बिमारियों और सिस्टम के कोढ़ या शौध (Research?), इससे आगे की कड़ी है। आप कैसे अपनी डिग्रीयों के प्रमाण दे पाओगे? और कैसे रिसर्च पेपर या किताब निकाल पाओगे और किन जर्नल्स या पब्लिकेशन्स में, ये उससे भी आगे की कहानी है? अरे! आप तो ambitious हो रहे हैं? अच्छा नहीं है, खास भारतीय नारी या औरत के लिए ऐसी चाह रखना? या ऐसा कोई सँवाद भी करना? क्यों खामखाँ के झगड़ों और लफड़ों को न्यौता दे रहे हो? यही?

VY-Travelogue? A Time Machine? 12

 छोरे कौन सी जाती है तेरी?

कौन बोल रहा है ये? या बोल रही है? और किसे?

मान लो, अपने हरियाणा की कोई पत्रकार, किसी बिहारी बाबू का इंटरव्यू ले रही हैं। 

Inter view?   

Pod Cast?

या और क्या कुछ नाम या तरीका हो सकता है? चलो, ये blog को vlog कहने वालों से पूछते हैं। वैसे podcast, modcast या किसी और cast वाले अपने youtuber या कोई और तरह की tube या light वाले भी बता सकते हैं :)

इनका फर्क कुछ-कुछ ऐसा ही होता है, जैसे

आजकल का GenZ विवाद?

Gen Z?

क्या है ये Gen Z?

Gen = Generation?

और Z? A to Z, means all? Or whatever, to hell with such division? Cannot people focus on some better topics or issues?     

ऐसे ही जैसे, ABCDs of Views and Counterviews?    

आज की generation या पीढ़ी ? या युवा? जिन्हें वो Gen Z कह रहे हैं?

या कुछ और?

ये भी कुछ-कुछ ऐसे ही नहीं है, जैसे Cast या Religion या Region की अफ़ीम?   

एक घर में कई पीढ़ियाँ रह रही हों, एक साथ जैसे?

मतलब? ठिठक गए हैं, कहीं? आगे नहीं बढ़ रहे हैं? या शायद संसाधनों की कोई कमी है? या करने की कोशिशें हैं या ऐसी कोशिशें की गई हैं या की जा रही हैं? मतलब, विवाद पीढ़ियों के दरमियाँ का विवाद कम, संसाधनों की कमी का ज्यादा लग रहा है? तो हल क्या है? 

क्यूँकि, जहाँ संसाधनों की कमी हो, वहाँ शोषण भी बड़े ही मस्त तरीके के होते हैं। मगर, जहाँ संसाधनों की कमी ना हो और करने की हदमार कोशिशें हों? जहाँ तक हो सके, ऐसी राजनीती और लोगों से बचो। और खामखाँ के वाद विवादों में उलझने की बजाय, खुद को और आसपास को आगे बढ़ाने पर ध्यान दो।    

Save self and surrounding from out of context political hypes or manipulative twists and turns. जैसे?