About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Thursday, March 6, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 50

जब online NSDL Protean पे कुछ updates की जा रही थी तो संदीप गुप्ता कई ऑफिसियल IDs का प्रयोग कर रहा था। और OTP लेने के लिए, Finance Officer को कॉल भी। NSDL, Protean कब और क्यों हो गया? NSDL की दो अलग-अलग वेबसाइट क्यों हैं? CRA और NSDL? इसका ऑफिस मुंबई ही क्यों है? उसके कस्टमर नंबर में क्या खास है? मुंबई और सिविल लाइन्स, दिल्ली का आपस में क्या लेना देना है? दिल्ली CM का ऑफिस हमेशा सिविल लाइन्स दिल्ली ही होता है? या निर्भर करता है की CM कौन है? और कोई CM वहीँ अपना ऑफिसियल घर क्यों लेता है? और ये मनीष सिसोदिया और मनीष ब्लाह, ब्लाह एक ही हैं क्या? क्यूँकि, यूनिवर्सिटी की किसी नौटंकी में भी कोई मनीष था? खैर। इस सबका IGIB, Delhi वाले संदीप शर्मा से क्या लेना-देना है? या किसी गाडी के पिछे ये Dad's gift, Airforce में क्या खास था? ये भारती-उजाला केस से भी कोई-लेना देना है? 

खैर। संदीप शर्मा वहाँ से Ram Jas College और वहाँ से Switzerland पहुँचते हैं। Ram Jas? J S और मुंबई? A K और मुंबई? या शायद Na ra और मुंबई?

और ये मोदी जी, 15 लाख हर किसी के खाते में पहुँचाने की बात करते हैं? खैर। संदीप को तो इसका ईनाम मिलता है, PhD स्मृति के रुप में? मगर, इन सबका IIT Delhi और दिल्ली की फिलहाल CM रेखा गुप्ता से क्या लेना-देना? बोले तो कुछ नहीं। आप आगे बढ़ो और जानने की कोशिश करो, की ये NSDL का आज तक Address Update क्यों नहीं हुआ? बोले तो कोई 15 नंबर और कोई पहुँचा 16 नंबर? जहाँ से पानी में जहर आना शुरु हुआ? Slow Poision? यूनिवर्सिटी की वाटर सप्लाई में किचड़? या JNU के जबरदस्ती वाले काले TANK? और किसी ने बोला, ये जहर 15 से आता है? कोई जगत जननी पहुँचा रही है? आज तक ये जगत जननी साँग समझ नहीं आया। 

CRA में तो पता वही है, जो आपने लिखवाया है। मगर NSDL Update नहीं कर रहा? ये कब तक 16 में बैठा रहेगा? नाम मेरा और पता? किसी Sajjan Dahiya का? घपला है जी ये तो। ऐसे जैसे, कोई बिहार के छठ वाला बिहारी कहे, मैं ही Shiv, मैं ही Shankar और मैं ही Khatu? पता नहीं, अब इससे बीमारी कौन-कौन सी ईजाद होती हैं? AI DS? H IV? या So? NIA? या Son? IA?

जैसे US के नाम पे या पहुँचते ही Yahoo .com की बजाय co.in हो जाए? और कोई गौरव सैनी Co m pass में अकाउंट खुलवा दे? बजाय की बैंक ऑफ़ अमेरिका के? ऐसे ही जैसे, किसी के भाई की चौधरी से शादी हो और सालों बाद पता चले, ये कादयान हैं? ऐसे ही शायद, किसी की बहन की राठी से? कैसे-कैसे नाथुला पास हैं ये? 

Strange world of political gambling.   

जिसका कब्ज़ा आपके रिश्ते बनवाने पर, तुड़वाने पर। बच्चों को इस जहाँ में लाने पर, तो कहीं पैदाइश से पहले ही  अबो्र्ट करवाने पर। ना हुई बिमारियाँ पैदा करने पर, ना होने वाले ऑपरेशन या एक्सीडेंट करने पर। और? आप कब कहाँ रहेंगे और कहाँ नहीं, ऐसे-ऐसे एनफोर्समेंट पर भी। और जानने वाले कहते हैं, की इस सिस्टम को जानने-समझने के लिए Astrology को समझो। Astrology? इसका, इन सबसे क्या लेना-देना? अब ये कैसा कोड है? Astrology और कहीं का भी सिस्टम, जानने की कोशिश करें इसे आगे? जैसे Social Programming?    

ABCDs of Views and Counterviews? 49

 क्या NSDL Protean एक गौरख-धंधा है?

मुझे ऐसा लगा। क्यों?  
जानने की कोशिश करें? 

ये पोस्ट उन सबके लिए, जो अपने आप को समाज का हितैषी मानते हैं। 
मुझे Resignation के तक़रीबन साढ़े तीन साल बाद, एक खास काम के लिए यूनिवर्सिटी जाने का मौका मिला। मैं Resignation 29, June या July, 2021 को दे चुकी? मैंने अपनी मर्जी से दिया या माहौल ने दिलाया, अलग ही मामला है। 

4, March 2025 

खैर। गाडी 2024 से ही है नहीं, तो मदीना बस स्टॉप से, सफेद रंग की एक वैन ली और ड्राइवर को चलने को बोला। ड्राइवर के नाम से लेकर, उस विकल्प में जो कुछ होगा, वो भी वहाँ का राजनितिक कोड होगा। आपके पास कहाँ, कौन-से ट्रांसपोर्ट के साधन उपलभ्ध होंगे, ये काफी हद तक सिस्टम ऑटोमेशन पे होता है। और बाकी मैन्युअल राजनितिक पार्टियों का धकाया हुआ। ड्राइवर ने बोला, मैडम भरने के बाद ही चलेगी। मैंने कहा, बाकी सवारियों के पैसे भी आप मेरे से ले लेना। कुछ सवारी उसमें पहले से ही बैठी थी, वो चल पड़ा। मदीना से वैन? अजीब-सा ऑप्शन है ना? एक ऐसा गाँव, जहाँ से इतनी सारी बसें, ऑटो और जीप वगरैह भी जाती हैं। ऐसा कुछ था ही नहीं या ठसा-ठस भरा आ रहा था। खैर। ये मुद्दा किसी और पोस्ट के लिए। किसी भी जगह हमारे पास जो विकल्प होते हैं, वही क्यों होते हैं? ये वहाँ का राजनितिक कोड बताता है। ये खाने-पीने, पहनने, रहने के स्थानों से लेकर, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवागमन के संसाधन और मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, गिरजाघर या लाइब्रेरी, इन सब पर लागू होता है। जैसे, जितनी ज्यादा पढ़ी-लिखी जनता होगी, वहाँ उतने ही ज्यादा भगवानों को मानने या ऐसे स्थानों पर जाने वाले कम और पढ़ने-लिखने या प्र्शन या वाद-विवाद करने वाले या लाइब्रेरी जाने वाले ज्यादा होंगे। ऐसा कहाँ होता है? जिन देशों की जनता ज्यादा पढ़ी लिखी है या तो वहाँ? या स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी या रिसर्च इंस्टीटूट्स में? 

चलो, पुराने बस स्टॉप से एक ऑटो लेकर यूनिवर्सिटी पहुँच गई। यहाँ पे मेरी फाइल को डील करने वाला बंदा संदीप गुप्ता मिला। उसने मुझसे कुछ एक डॉक्युमेंट्स माँगे, जो मैं पहले ही मेल कर चुकी थी। मेल Finance Officer की थी और वो किसी मीटिंग में। तो गुप्ता जी ने बोला, मैडम तब तक बाकी फॉर्म भर लेते हैं। मैंने कहा ठीक है। फॉर्म ऑनलाइन ही था और उसमें कुछ खास था नहीं। एक आध updates करनी थी, जैसे मेरा address । जो शायद अपडेट हुआ ही नहीं। क्यों? पता नहीं। मुझे लगा की किया ही नहीं गया। मुझे ऐसा लगा, यहाँ अहम है। क्यूँकि, आप किसी बच्चे को तो अपने पास बिठाय नहीं हुए, की उसे समझ ना आए की ये चल क्या रहा है? अब इसमें वहाँ बैठे इंसान की गलती कितनी है या नहीं है, ये तो कहना मुश्किल है। क्यूँकि, अकसर ऊप्पर के फैसलों को यहाँ बैठे लोगों को सिर्फ या जैसे-तैसे मानना होता है। आखिर उन्हें भी नौकरी करनी है। ऐसा पहले भी कई फाइल्स के साथ हो चुका, इसलिए अनुभव से बता रही हूँ। जैसे नाम बदलना और उसे ठीक करवाने के लिए 8-9 महीने अपनी ही यूनिवर्सिटी के धक्के। जब सामने वाला पीछा ना छोड़े, तो उस कुर्सी पर बैठे इंसान की ही बदली। जबकि वो सब वहाँ भी ऊप्पर के आदेशों से ही हो रहा था। 

खैर। फाइनेंस अफसर भी आ गए और मेल किए गए डॉक्यूमेंट भी गुप्ता जी को मिल गए? प्र्शन क्यों? सुना है, 2004 या 2005 में (?) एक Illegal Human Experiment हुआ था और किसी संदीप को कोई किताब तक नहीं मिली, फिर आधार मिलना तो बहुत दूर की बात हो गई? खैर। यहाँ कौन-सा कोई IGIB, Delhi का संदीप शर्मा बैठा था। यहाँ तो, MDU के कर्मचारी कोई संदीप गुप्ता जी थे। और उन्हें वहाँ जिस काम के लिए बिठाया गया था, वो ऑफिस का वो काम कर रहे थे। तो दुनियाँ के किसी भी हिस्से में, किसी भी जगह, कोई भी इंसान या कोई भी जीव या निर्जीव ऐसे ही नहीं है। वो वहाँ, उस वक़्त वहाँ की राजनीती का कोढ़ है।

ऐसे ही जैसे किसी भी मीडिया पर कोई आर्टिकल या बहस या मुद्दा या खबर। 

जैसे ये  

ये क्या है? 
ऐसा कुछ चल रहा था क्या?
 जब online NSDL Protean पे कुछ updates की जा रही थी?
और Address Update क्यों नहीं हुआ? 
और ये कब से Update नहीं हो रहा?  

और ये MDU Finance Department को पता है क्या?


चलो इस सबको थोड़ा और आगे जानने की कोशिश करें? 

ABCDs of Views and Counterviews? 48

 Fraud? गौरख धंधा, किसे कहते हैं?


क्या NSDL Protean एक गौरख धंधा है?
मुझे ऐसा लगा। क्यों?  
जानने की कोशिश करें, आगे पोस्ट में ? 

Sunday, March 2, 2025

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 30

कई बै नोटिस बोर्ड भी नरे-ए होवैं सैं, जुकर  

मूत्र युद्ध विभाग नोटिस बोर्ड

मल युद्ध विभाग नोटिस बोर्ड

विचार कन्ट्रोल सैंटर नोटिस बोर्ड 

खगोल शास्त्र और ज्योतिष विभाग नोटिस बोर्ड 

अजीब से विभाग और सैंटर जैसे? 

Thought pollicing and making of robots? ब्लाह भाई यो के बला? 

बालको sci-fi देखा अर पढ़ा करो। यो वो दुनियाँ हो सै, जहाँ रोबॉट्स ने आदमियों को खत्म किया या दूसरे ग्रह पर कॉलोनी बसाई। रोबॉट्स की जेल में पृथ्वी या आपके दिमाग को कंट्रोल करते दूसरे ग्रह के प्राणी। अलग-अलग ग्रहों की नभीय प्रजातियों के युद्ध और भी बहुत कुछ जानने और समझने को। सोचण नै, के जा सै, किमे सोच लो?

इसी सोच के पँख लगाकै, कुछ ये सब लिखैं सैं। अर कुछ, उस पै सीरियल अर मूवी बणावें सैं। और कुछ उससे थोड़ा और आग्य नै चाल कै हकीकत घड़ै सैं। वो हकीकत कुछ लैब मैं घड़ै सैं, अर कुछ समाज मैं। ईब थाम कोणसे समाज का हिस्सा सो, वो थामनै बेरा? या शायद ना भी बेरा?

चलो एक छोटे-से हकीकत के आईने से देखने की कोशिश करें?

 रिफ्फल री थी, कर थी ठायैं-ठायैं 

ABCDs of Views and Counterviews? 47

कुछ छोटे-छोटे शैतान बच्चे, कई बार हमारे घर के बाहर खेलते हैं। और कई बार इधर-उधर के पड़ोसियों के। 
एक दिन एक पड़ौसी के घर के बाहर दो छोटी-छोटी लड़कियों को चेतावनी देते हुए कह रहे, "घर के अंदर क्यों घुस गए? डरपोक कहीं के। दम है तो निकलो बाहर।" वो लड़कियाँ तो घर के अंदर जा चुकी थी। मगर, जैसे ही मैंने इन शैतान बच्चों की तरफ देखा, देखते-देखते ही पता नहीं किधर छुप गए? 
आजकल ऐसा ही कुछ सुना है, दिल्ली के बड़े बच्चे खेल रहे हैं और उस खेल का नाम है, "पार्लियामेंट-पार्लियामेंट"। झगड़ालू कहीं के। क्या मचा रखा है ये?

Parliament is what you make it? 
Oh, Life is .. पता ही नहीं था, जैसे IS Elements?
   

Go your home now?
Hannah Montana?
Miley Cyrus home is in Montana?  
US kids and their songs?

       

ABCDs of Views and Counterviews? 46

 स्वस्थ जिंदगी (Healthy Life)

स्वस्थ ज़िंदगी के लिए आपको बहुत कुछ नहीं चाहिए। मगर बहुत कुछ जो हमारे वातावरण से या आसपास से हमें जाने-अंजाने मिलता है, उससे बचने की जरुरत जरुर होती है। उससे आगे काफी कुछ हमारी अपनी दिनचर्या या खान पान को सही करने की जरुरत होती है। जैसे की कहा गया है की "Precaution or prevention is better than cure", सावधानी या ऐतिहात, ईलाज से बेहतर है।  

आप अपने स्वास्थ्य का चाहे कितना ही ऐतिहात बरतने वाले हों, फिर भी कभी न कभी तो जरुर, किसी न किसी बीमारी से सामना करना ही पड़ा होगा? वो फिर कोई छोटी-मोटी ज़ुकाम या सिर दर्द जैसी समस्या हो या कोई आते जाते मौसम-सा बुखार, जिसमें आपको कुछ खास नहीं करना पड़ता, अपने आप ही ठीक हो जाता है। मगर कभी-कभी शायद बहुत कुछ अपने आप ठीक नहीं होता, उसके लिए थोड़ी सी मेहनत चाहिए होती है। कभी-कभी शायद थोड़ी ज्यादा? जैसे किसी एक्सीडेंट के बाद? या किसी थोड़ी बड़ी बीमारी या ऑपरेशन के बाद?         

चलो पहले थोड़ा ऐतिहात या सावधानी की बात करें?

Attitute is Everything

मन के माने हार है और मन के माने जीत? आपने मान लिया की आप जीत रहे हैं, तो जीत रहे हैं। आपने मान लिया की आप हार रहे हैं, तो हार रहे हैं? आपने मान लिया की आप बीमार हैं, तो बिमार हैं। आपने मान लिया की ठीक हैं, तो ठीक हैं? संभव है क्या? ज़िंदगी संभानाओं का ही नाम है? आपके मानने या ना मानने से ही बहुत कुछ छू-मंत्र हो जाता है और बहुत कुछ पनप भी जाता है। बिमारियों का या स्वास्थ्य का भी काफी हद तक ऐसे ही है। काफी हद तक, बिलकुल नहीं। इसलिए     

Own Your Mind and Own Your Life 

Own Your Body 

ये Own Your Body पे क्या आ गया?


Own your body का ज्यादा तो नहीं पता, पर इतना-सा जरुर पता है, की वजन कम करना या बढ़ाना कोई बहुत बड़ा मुद्दा नहीं है। जिनके लिए है, उनको लग रहा होगा की ये क्या फेंक रही है? सच में। एक बार ये सोच लो, की खाना आपके लिए जहर है। खाना एक ऐसी जेल की सैर है, जिसके खाते ही आपके मरने की पूरी-पूरी सम्भावनाएँ हैं। उसके बाद खाना तो क्या खाओगे? बेचैन होकर पागलों की तरह घूमने (walk) जरुर लग जाओगे। जैसे कह रहे हो, निकालो मुझे इस जेल से। खैर। ये थोड़ा ज्यादा हो गया ? वैसे, मेरे साथ ऐसा हो चूका, जब साढ़े तीन दिन की खास सैर पर ही आप 3-4 किलो वजन घटा आएँ।  

वैसे, खुद को खाने का परहेज कर अरेस्ट करना और जितना हो सके उतने घंटे घूमना, वजन घटाने का अचूक तरीका है। अब क्यूँकि, आप खुद ही खुद को अरेस्ट कर रहे हैं, अपने लिए कुछ अच्छा करने के लिए, तो ये वो अरेस्ट तो है नहीं, की जहाँ पानी या जूस तक पर भी पाबंदी लगे। जहाँ तक हो सके जूस या तरल पदार्थों पर रह कर भी ऐसा संभव है। कुछ एक उदाहरण ऐसे मैंने देखे हैं। जैसे किसी बहुत ही मोटी लड़की की शादी हो और वो 2-महीने में ही slim-trim हो जाए? सिर्फ जूस पर रहकर और थोड़ा बहुत एक्सरसाइज कर? ऐसा किसी गाँधी ने M.Sc के दौरान या उसके बाद शायद बताया था, जब उसे देख कर यकीन करना मुश्किल हो रहा था। और भी कई इस तरह के उदाहरण देखे-सुने हैं। वजन पे फोकस इसलिए, क्यूँकि वजन अपने आप सिर्फ एक बीमारी नहीं है, बल्की, और भी कितनी ही बिमारियों को न्यौता देने जैसा है।

ज्यादातर जो लोग मोटे होते हैं, वो घूमते-फिरते बहुत कम हैं। वजह चाहे जो भी हों। क्यूँकि मैंने देखा है, की जो रैगुलर सिर्फ घूमने का भी रूटीन रखते हैं, मोटे वो भी नहीं होते। यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर, जहाँ घूमने के लिए अच्छी खासी जगहें होती हैं, ऐसे कितने ही उदाहरण मिल जाएँगे। 

इस किताब में writing पर भी कुछ है। तो मुझे तो लगता है की writing ज्यादातर ऐसे लोग करते हैं, जो शायद थोड़ा-सा ज्यादा महसूस करते हैं, किसी भी विषय पर। जिस किसी विषय पर आप जितना ज्यादा महसूस करते हैं, वो उतना ही ज्यादा आपको लिखने की तरफ खिंचता है। और अगर आपको रात को उठकर लिखने के दौरे पड़ रहे हैं, तो एक लेखक के तौर पर आप किन्हीं बेचैनी वाले विषयों पर पहुँच चुके हैं, जो आपको सोने तक नहीं देते। कई बार शायद ऐसे विषय, जिनके बारे में आपने शायद ही कभी सोचा होता है। जैसे कोरोना? और उस दौरान घटी घटनाएँ या दुर्घटनाएँ। 
Social Tales of Social Engineering जब आपको लोगों के साधारण से ज़िंदगी के रोज-रोज के घटनाक्रम कुछ और ही नज़र आने लगें। जैसे मानव रोबॉट कैसे बनते हैं या उनकी ट्रैनिंग गुप्त रुप से दुनियाँ भर में कैसे चल रही है? 
या शायद Bio Chem Physio Psycho and Electronic Warfare: Pros and Cons और आपको लगे, इंसान टेक्नोलॉजी के साथ-साथ किस हद तक निर्दयी और लालची हो रहा है।         

Saturday, March 1, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 45

 How ecosystem of any place develops with politics of that place? 

किसी भी जगह का इकोसिस्टम राजनीती के घटनाक्रमों या बदलावों के साथ कैसे बदलता है? आप जहाँ कहीं हैं, वहीँ से समझने की कोशिश करें, खासकर अगर उस जगह को थोड़ा बहुत समझते या जानते हैं तो। जैसे मैं अगर अपने गाँव की बात करूँ तो ये M प्रधान Madina दो पंचायतों का गाँव है। Madina A, Kaursan, K प्रधान है। और Madina-B, Gindhran, G प्रधान है। मगर M, K और G सिर्फ पहले अकसर हैं। इनके आगे जटिल कोड है। Madina हाईवे पर है और चारों तरफ अप्प्रोच रोड़ या कहो की गाँवों से घिरा है। ये अप्रोच रोड़ या गाँव उस तरफ की अलग सी कहानी या कोड हैं। जैसे हाईवे पर एक तरफ Kharkara और दूसरी तरफ Bahu Akbarpur. 

ऐसे ही जैसे अप्प्रोच रोड़, हाईवे के एक तरफ Bharan, Ajaib, तो दूसरी तरफ Mokhra. और भी अलग अलग दिशा में अलग अलग अप्रोच रोड़ या गाँव। किस गाँव की Proximity किस गाँव के किस हिस्से के करीब है? वो वहाँ का जटिल कोड है। उसी कोड में वहाँ की समस्याएँ या समाधान भी हैं। जैसे, आपके गाँव में हॉस्पिटल कहाँ-कहाँ हैं? प्राइवेट या सरकारी? किस तरफ हैं? किन गाँवों की तरफ या आसपास? आदमियों के या जानवरों के? वहाँ डॉक्टरों के नाम क्या हैं? या बाकी स्टाफ के? वहाँ आसपास दवाईयों की दुकानों के क्या नाम हैं और उन्हें चलाने वालों के? प्राइवेट डॉक्टर, डॉक्टर हैं या झोला छाप? ये जाते ही इंजेक्शन ठोकने वाले कौन हैं? और दवाई देने वाले कौन? या नाम मात्र दवाई दे काम चलाने वाले?

किसी खास बीमारी के डॉक्टर भी बैठते हैं आपके गाँव के किसी हिस्से में? या खास स्पेशलिटी के हॉस्पिटल? उस बीमारी के या स्पेसलिटी के डॉक्टर या हॉस्पिटल जहाँ वो हैं, वहीँ क्यों हैं? क्या खास है, उस जगह में? या कहो की वहाँ के कोड में? ये डॉक्टर या हॉस्पिटल कोई खास सर्टिफिकेट भी रखते हैं या कहाँ से सर्टिफाइड हैं? ये सब कोड है। ऐसे ही दवाईयों का कोड होता है। अलग-अलग जगह और अलग-अलग हॉस्पिटल या डॉक्टर का अलग-अलग कोड। ये कोड उनके किसी भी बीमारी के ईलाज के बारे में भी काफी कुछ बताते हैं। 

जैसे मान लो आपने कहीं कोई ईलाज करवाया और उस हॉस्पिटल का सरकारी सर्टिफिकेशन नंबर है 1234abcd और जिस जगह वो है, उस जगह का नंबर जाट प्लॉट या राज प्लॉट या बनिया प्लॉट। उस हॉस्पिटल को घुम कर और कोड पढ़ने की कोशिश करो। पता चलेगा, पानी के गिलास पे ही चेन बंधी है। मतलब, पानी तक पर भारी भरकम टैक्स जैसे? ऐसे ही और भी कितनी ही मजेदार चीज़ें दिख सकती हैं। जैसे किसी मूवी में किन्हीं नर्स ने मरीज के साथ वालों को कॉउंटर से ढेर सारी दवाईयाँ या इंजेक्शन वगरैह लाने को बोला। और फिर उनमें से कुछ एक वो मरीज को देकर, बाकी आपकी जानकारी के बिना वहीँ कॉउंटर पर पहुँचा दें। सोचो, और कहीं कोई मीडिया आपको दिखा रहा हो, ऐसे होते हुए? फिर कहीं कोई खास कंपनी और नंबर वाली एम्बुलैंस, किसी खास डायग्नोस्टिक सेंटर तक पहुँचाए, क्यूँकि, उन टेस्टों की सुविधा उस अस्पताल में नहीं है। फिर वहाँ देखो छत पे चमकते चाँद सितारे, कह रहे हों जैसे, यहाँ सब मंगल-मंगल है? यही नहीं, और भी अनोखे किस्से-कहानी उस हॉस्पिटल की ईमारत में ही पढ़ या समझ सकते हैं। और वहाँ मरीजों का जो इलाज होगा, वो? वो भी किन्हीं खास कोड वाला ही होगा। और जरुरी नहीं, वहाँ के सब डॉक्टरों या स्टाफ को ऐसी कोई जानकारी तक हो। ये सिस्टम का ऑटोमेशन (automation) बताया। 

ऐसे ही दवाई बनाने वाली कंपनियों का होता है। और उनकी दवाई, उनसे मिलते जुलते कोड पर ही पहुँचती हैं। ये सब स्वास्थ्य बाजार है। जहाँ स्वास्थ्य मिलता कम है। मगर उससे खिलवाड़ या छेड़छाड़ ज्यादा होती है। 

ऐसे ही स्कूलों का है। कोई भी स्कूल किस जगह है? उसका नाम क्या है? उसको चलाने वाले कौन हैं? वो स्कूल किस सँस्थान से सर्टिफाइड है? उस का सर्टिफिकेशन नंबर या तारीख क्या है? उसमें कितने बच्चे और किस क्लास तक पढ़ते हैं? पढ़ाने वाले या स्टाफ कौन है? वो कौन सी कंपनी या लेखकों की किताबें पढ़ाते हैं? वो किताबें कितना सही या गलत पढ़ाती हैं? किताबें गलत भी पढ़ाती हैं? हाँ। क्यूँकि, उन्हें लिखने वाले इंसान हैं और उनके अपने मत हैं और बहुत से केसों में अलग अलग राजनितिक पार्टियों से संबंधित भी। अब जो खुद कम पढ़े लिखे हैं, उन्हें तो ये सब समझ ही नहीं आएगा। उन किताबों की कंपनियों या खुद किताबों के भी कोड हैं और जो सिलेबस बच्चे पढ़ते हैं, उसके भी। ये सब ऊप्पर से चलता है और स्कूलों तक के स्तर पर ऐसे ही इन राजनितिक पार्टियों का और बड़ी-बड़ी कंपनियों का बड़ा ही गुप्त सा कंट्रोल होता है। जो पढ़ाया जा रहा है, वो एक तरह की ट्रेनिंग है, किसी खास पार्टी या मत की। 

ऐसे ही जो आप खाते-पीते हैं, वो आपके शरीर की ट्रैनिंग है, जहाँ का खा-पी रहे हैं, वहाँ के स्तर के स्वास्थ्य या बिमारियों की। खाद पदार्थ या पानी, कहीं भी किस कोड के मिलते हैं, वो उस कोड के अनुसार, वहाँ की बिमारियों की अधिकता या कम होना बताते हैं। जैसे कहीं खाने-पीने के प्रदूषण की अधिकता की वजह से बिमारियाँ हैं। तो कहीं ज्यादा खाने-पीने और कम घूमने-फिरने की वजह से। खाने-पीने के प्रदूषण की वजह से ज्यादातर गरीबी का संकेत है। और ऐसी ही जगहों पे होती हैं। तो खाने-पीने की अधिकता या कम घूमना-फिरना, फलते-फूलते लोगों या घरों की? ऐसा ही कहते हैं ना? काफी हद तक सही भी? क्यूँकि, खाने पीने में प्रदूषण वाली जगहों पर मोटापा या इससे जुडी बीमारियाँ कम ही मिलेंगी। ऐसे ही मोटापा या इससे जुड़ी बीमारियाँ, ज्यादातर शहरों की तरफ ज्यादा। ज्यादातर, क्यूँकि, और भी बहुत से कारण होते हैं इसके साथ-साथ।  

इन्हीं कोडों के आसपास कहीं भी बाकी सब जीव-जंतु मिलते हैं। क्यूँकि, हर जीव किसी खास इकोसिस्टम में ही पनपता है या फलता-फूलता है। या ख़त्म हो जाता है। या संघर्ष करता नज़र आता है। जितना ज्यादा आपको कोई भी इकोसिस्टम समझ आना शुरु हो जाएगा, उतना ही ज्यादा उसकी खामियों का ईलाज भी। या बहुत जगह ईलाज आपके वश से बाहर के कारणों पर निर्भर करता है। तो ऐसे इकोसिस्टम से निकलना ही बेहतर होता है, बजाय की उससे झुझते रहने के। 

जैसे कई बार खास तरह के जीव जंतुओं को पालने वाले या पनपाने वाले कुछ खास घर या इंसान भी हो सकते हैं। जैसे कबूतर या मछली। जैसे चिड़ियों के लिए गर्मी में पानी रखने वाले खास विज्ञापन? या पुरानी चिड़ियों की जगह नई किस्म की चिड़ियों या पक्षियों या जानवरों का दिखना या किसी खास जगह से आना या कहीं जाना। ये अपने आप नहीं होता। किसी भी जगह के राजनितिक कोड के साथ ये भी जुड़ा है। एक ही जगह पर, एक घर से दूसरे घर की छतों पर अलग-अलग किस्म की चिड़ियों या पक्षियों का आना। ये इस पर निर्भर करता है, की उनके खाने के लिए वहाँ क्या खास है, जो साथ वाले घर या पड़ोस में ही नहीं है। या पक्षी कितना बड़ा या छोटा है? और किस तरह के वातावरण को ज्यादा सुरक्षित समझता है? जैसे छोटी चिड़ियाँ कहाँ आती हैं या कहाँ घोसले बनाती है? कौवे या नीलकंठ या मोर या बत्तख या गिद्ध कहाँ? हर जीव के लिए खाना, सुरक्षा और फलने-फूलने की जगहें महत्त्व रखती हैं। ये यहाँ से वहाँ जीवों को लाने या ले जाने वालों को अच्छे से पता होता है। कहीं का भी सिस्टम या इकोसिस्टम, ऐसी जानकारी रखने वाली ताकतें बनाती या बिगाड़ती हैं। और ये ज्यादातर आम जनता की जानकारी के बिना होता है। जितना ज्यादा इस जानकारी का दायरा बढ़ता जाता है, उतना ही ज्यादा वहाँ के जीवों पर कंट्रोल। इंसान उन्हीं जीवों में से एक है।    

कुछ-कुछ जैसे election और  delimitation? 

Friday, February 28, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 44

स्वस्थ जिंदगी (Healthy Life)

काफी वक़्त हो गया हैल्थ, एक्सरसाइज़ या डाइट पे कुछ नहीं लिखा? कोरोना खा गया ये सब? Resignation के बाद जब घर आई, तो बस इतना-सा ही ख्वाब था, एक Writing Hub, एक छोटी-सी किचन, मेरे छोटे-मोटे dietry experiments के लिए और घुमने या एक्सरसाइज़ के लिए हरा-भरा-सा लॉन? और उसपे एक छोटी-सी पोस्ट भी लिखी थी। मगर कहाँ पता था, की इधर खिसकाने वालों के इरादे कितने खतरनाक होंगे? वो तुम्हे एक जेल की सैर के बाद, दूसरी किसी और ही तरह की जेल की सैर पे भेज रहे हैं? वो हॉउस अरेस्ट टाइप, जो उस साढ़े तीन दिन के खास-म-खास जेल ट्रिप के दौरान ड्रामे के रुप में बताई थी? और तुम घर आ रहे थे, बचपन के स्वर्ग से सपने लेकर? 

मगर कोरोना ने सिर्फ ये सब नहीं खाया। उसने कुछ एक ब्लॉग्स, कुछ एक पत्रकार या सरकार के आलोचक भी खाए, जिन्हें आप पसंद करो या ना करो, मगर सिखने और जानने-समझने को काफी कुछ था, उनके सोशल प्रोफाइल्स पर या ब्लॉग्स पर। कुछ का समझ नहीं आया, की इन्होंने अपने ब्लॉग्स या सोशल प्रोफाइल्स पर ताले क्यों लगा लिए? और कुछ को कौन-से heart attack या हैल्थ प्रॉब्लम्स खा गई? वो सब सीधा-सीधा डराने के लिए भी था, की Campus Crime Series या Case Studies बंद। लिखना ही है तो और बहुत कुछ है तुम्हारे पास। नहीं तो अंजाम तुम्हारा भी ऐसा ही कुछ होगा। Campus Crime Series को बीच में ही रोकने की एक वजह, ये चेतावनियाँ भी रही। जब सिर्फ खुद की ज़िंदगी ही नहीं, बल्की, आसपास भी जैसे घुटता-सा या उठता नज़र आया । मगर ऐसा कुछ छोड़ा भी नहीं, जो बाहर आना चाहिए था और जैसे किसी कैद में था। क्या था वो? 

भारती-उजला केस?

Exams Fraud December 2019? और माँ का ऑपरेशन? 

और फिर? March 2020 कोरोना की शुरुआत?  

खैर। मेरे पास सच में उससे आगे भी काफी कुछ था, जो हर रोज आँखों के सामने घट रहा था या है। 

Social Tales of Social Engineering (Making of Human Robots) 

Bio Chem Physio Psycho and Electronic Warfare: Pros and Cons    

मगर ये सब जानना-समझना इतना भी आसान कहाँ था? अगर सच में कुछ बड़ी-बड़ी ताकतें, उन्हें यूँ मुझ तक किसी न किसी रुप में ना पहुँचाती तो? और शायद खुद राजनितिक पार्टियाँ भी? जैसे, एक-दूसरे के कारनामों को बताने या दिखाने की हौड़? जैसे सबकुछ सामने हो, और हम समझ ना पाएँ की सबकुछ कोड है। उन कोडों को समझने की कोशिश करो और परतें अपने आप खुलती जाएँगी? 

आज ये अचानक, फिर से कहाँ से आ गया? जानते हैं अगली पोस्ट में। 

Wednesday, February 26, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 43

कहानी और प्लॉट? 


At Par V IT amin या M U L TI VI T?

Vit या Vit A? या Multi V IT?  

छोटी-मोटी रोजमर्रा की दवाईयों या multivit जैसे, गोलियों या कैप्सूलों की कहानी और उनसे जुड़े अजीबोगरीब कारनामे किसी और पोस्ट में। अभी कहानी और प्लॉट के फर्क या हेदभेद को समझने की कोशिश करते हैं। 


आजु-बाजू? जैसे ईधर, उधर या किधर? 

इसे अपनी दोनों बाजुओं से समझें। आपके घर के दोनों तरफ मकान हैं। आजू भी और बाजू भी। या कहो की दाएँ भी और बाएँ भी। ये मकान जैसे आपकी बाजुएँ हैं। 

आमने-सामने? 

ऐसे जैसे कुरुक्षेत्र का मैदान? या आगे जो भविष्य है? 

और पीछे?

जो पीछे रह गया? या आपका भूत जैसे? 

या कुछ लेना-देना है? किस तरह का सम्बन्ध है आपका, आपके आजू-बाजू से? आमने-सामने से? या पीछे वाले मकान या मकानों से? दुकान या दुकानों से? प्लॉट या प्लॉटों से? खेत या खलिहानों से? खाली पड़े प्लॉटों से या उनमें बनते हुए मकानों, बैठकों या जानवरों के रहने के घेरों से? सरकारी या प्राइवेट से? या किसी कोऑपरेटिव से?          

ऐसे ही जैसे, सारा समाज सिर्फ कुछ कोढ़ों की गिर्फत में। 

जिनमें सरकारी क्या और प्राइवेट क्या? 

शिक्षा क्या और स्वास्थ्य क्या? 

खेती क्या और व्यापारी क्या? 

बीमार क्या और बीमारी क्या? 

इलाज क्या और दवाई क्या?

हॉस्पिटल कौन-सा या ऑपरेशन क्या? 

ज़िंदगी क्या और मौत क्या?  

रिश्ते-नाते क्या?

शादी क्या और बच्चे क्या?

अड़ोस-पड़ोस क्या और गली मोहल्ला क्या?

सब समाया है।   

अपने इस आसपास या अड़ोस-पड़ोस को आप कितना जानते हैं? अड़ोस-पड़ोस छोड़िए। अपने घर में रह रहे सदस्यों को ही आप कितना जानते हैं? किसके साथ कितना वक़्त गुजारते हैं? आपकी ज़िंदगी भी उन्हीं के अनुसार होती जाएगी। अगर आप अपने घर से ज्यादा, बाहर वक़्त गुजारते हैं तो घर बिखरता जाएगा। या सम्बन्ध उतने मधुर नहीं होंगे। रिश्तों में खटास ज्यादा होगी। जिसका फायदा बाहर वालों को होगा। आपका घर बाहर वालों में बँटता जाएगा। और घर वाले अलग-थलग या ज्यादा खतरनाक केसों में ख़त्म होते जाएँगे।  

सचेत होने की जरुरत होती है, जब बाहर वाले अपनों के ही खिलाफ कुछ कहने लगें या भड़काने लगें। बाहर वालों की बजाय, हकीकत अपने घर वाले इंसान से ही जानने की कोशिश करो। कहीं हकीकत कुछ और ही ना मिले। और बाहर वाले तुम्हारा नुकसान कर अपना ही कोई स्वार्थ साधने में लगे हुए हों। आपको किसी अपने के ही खिलाफ भड़काकर और उस अपने को शायद आपके खिलाफ?   

यही आसपास या अड़ोस-पड़ोस या गली-मौहल्ले पर भी लागू होता है। 

ABCDs of Views and Counterviews? 42

हमारे सिस्टम में इंसान एक प्रॉपर्टी है? 

और सारा खेल बड़ी-बड़ी कंपनियों और दुनियाँ भर की सरकारों वाली कुर्सियों की मार धाड़ का है? या इससे ज्यादा भी कुछ है? जानने की कोशिश करें?

2010 मनमोहन सिंह PM, कांग्रेस आई थी, किसी काँड के बाद?

2013? अरविन्द केजरीवाल? दिल्ली CM?

2014 मोदी PM? और फिर से अरविन्द केजरीवाल, दिल्ली CM?   

 

 2014? कोई मीटिंग शायद? 

At Par? ये क्या बला है? 

SFS Self Financing Scheme, Government Service के equal, बराबर, जब तक वो डिपार्टमेंट है। उस वक़्त आप उससे आगे कुछ नहीं जानते। क्यूँकि, ऑफिसियल, मतलब ऑफिसियल। वो सब भला पर्सनल ज़िंदगी को कैसे प्रभावित कर सकता है?

20 18 और कोढों की भरमार जैसे। 

20 19, पर्सनल कुछ नहीं। सब में राजनीती और सब राजनीती के बनाए सिस्टम का। क्या जीव, क्या निर्जीव। आदमी भी, उसी सिस्टम की प्रॉपर्टी। 

प्रॉपर्टी? इंसान किसी की प्रॉपर्टी?

2020 Election Bonds और अलग-अलग पार्टियों की अलग-अलग फंडिंग। 

मतलब? अब ये क्या बला है? 

जैसे "Service Bonds" किसी सर्विस के बदले, सर्व कर रहे हैं आप किसी को। 

जब ज्वाइन किया तो क्या था?

बाद में भी उसे बदला जा सकता है? 

क्या? सच में इतना आसान है? 

सीधे नहीं, थोड़े टेड़े रस्तों से। 

क्रोनोलॉजी (Chronology) 

2008, ढेरों सर्विस या जॉइनिंग 

2010, फिर थोड़ी कम 

 2012, और कम 

2014? और?   

सरकारों के बदलावों को समझो। 

क्या है जो Trading या Optional है? और क्या है जो दूरगामी और sustainable? जैसे एक ही शब्द के अनेक अर्थ या शायद अनर्थ भी? 

 जैसे Ben बेन? 

Sister बहन?

मतलब एक ही? बराबर? 

या शायद कुछ-कुछ ऐसे?

जैसे बाई B AI और BH AI Y? 

गूगल से इस बारे में AI ज्ञान लें?

किसी और सर्च इंजन की AI का ज्ञान, शायद किन्ही और शब्दों में या अर्थों में मिलेगा?
आप Co Pilot या कोई और प्रयोग कर देख सकते हैं। 

सुना है, सर्विस और सर्व करने का सिलसिला, किसी न किसी रुप में, सदियों से ऐसे ही चलता आ रहा है? जहाँ मध्यम वर्ग या समाज का नीचे का तबका, हमेशा बड़े लोगों का सेवक बनकर रहा है। और बड़े लोग हमेशा शोषक। और जब तक ये मध्यम या समाज का नीचला तबका, वक़्त के साथ, वक़्त के बदलते रंग-रुपों को पढ़ेगा या समझेगा नहीं, तब तक ऐसे ही इन कुर्सियों को सलाम ठोकता रहेगा और शोषित होता रहेगा।