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Saturday, October 12, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 63

AI और इलेक्शन्स?  

Artificial intelligence, एक तरफ सिस्टम के या राजनीतिक पार्टियों के abcd फिक्स करने में सहायता करती है तो दूसरी तरफ लोगों को उनकी जानकारी के बैगर ट्रेन करने में। टेक्नोलॉजी अहम है। 

इस सूक्ष्म स्तर के मैनेजमेंट में क्या कुछ आता है? 

आप कहाँ रहते हैं और कहाँ नहीं? 

किसके साथ रहते हैं और किससे दूर?

किस से बात करते हैं और किससे नहीं? 

कितनी देर बात करते हैं और कितनी देर नहीं? 

किससे कब मिलते हैं? कितनी देर? कहाँ और कैसे?

कहाँ, किनके साथ या आसपास ज्यादा वक़्त गुजारते हैं?

क्या देखते या सुनते हैं या पढ़ते हैं?

क्या खाते हैं, पीते हैं? 

कब सोते हैं और कब उठते हैं?

भगवान को मानते हैं या नहीं मानते हैं?

मानते हैं तो किसे? और उसकी पूजा कैसे और कहाँ करते हैं?

घर या किसी मंदिर? अगर किसी मंदिर तो कौन से मंदिर?

आप क्या सामान खरीदते हैं? और कहाँ-कहाँ से?  

आपको कैसे डिज़ाइन या रंग पसंद हैं?      

बीमार होने पर ईलाज के लिए कहाँ जाते हैं?

और भी कितना कुछ। आपकी ज़िंदगी से जुड़ा हर पहलु। 

सोचो ये सब आप खुद ना कर रहे हो? बल्की आपसे कोई करवा रहा हो? इतना कुछ सम्भव है क्या? अगर हाँ, तो कैसे? ये जानना अहम है। 


ये कुछ-कुछ ऐसे ही है, जैसे घरों, गली-मौहल्लों या गाँव या शहरों के डिजाईन। जिन्हें शायद घरों के या अपने घरों के आसपास के, आगे या सामने कौन हैं, पीछे कौन हैं? आजू-बाजू कौन हैं? घर का कौन-सा कौना, किसके घर के कौन-से या हिस्से से लगता है? उन हिस्सों में क्या कुछ है? वो, राजनीतिक कोढ़ में विवादों की जगह हैं? या शांती और समृद्धि की? देखो, शायद कुछ झगड़े, वाद-विवाद, बीमारी या मौतें तक वहीं से तो नहीं जुड़ी हुई? और शायद समृद्धि भी इसी में बसती है क्या? आपको लगता है, की ये डिजाईन तो आपने खुद ही बनावाया हुआ है? या आपके पुरखों ने? भला किसी तरह की राजनीती का उस सबसे क्या लेना-देना? या शायद बहुत कुछ लेना-देना है? जानने की कोशिश करें? 

ठीक ऐसे ही, आपके जीवन के हर छोटे-बड़े पहलू का? तो पहले किससे शुरू करें? घरों या गली-मौहल्लों के डिजाईन से? या आम आदमी की ज़िंदगी से जुड़े, हर छोटे-बड़े पहलू से?                       

Wednesday, October 9, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 62

"ये तुम्हें क्या देंगे? ये तो खुद ही भिखारी हैं।"

ये राजनीती और ज्यादातर नेताओं पर फिट होता है। वो आपसे भीख माँगते हैं, कुर्सियों के लिए, आपके वोट के रुप में। और उसके बाद? आपको भिखारी बना देते हैं, अगले पाँच साल? या जब तक भी वो कुर्सी स्थिर रहे? 

आज के युग में इलेक्शंस क्या हैं? या शायद कहना चाहिए की सिस्टम क्या है?

बल?

Mechanical Vs Mental?

मैकेनिकल Vs टैक्टिकल? Tactics आपसे कोई खास काम करवाने के लिए? तो सूक्ष्म स्तर पर आपको कंट्रोल करने के लिए क्या चाहिए? 

अगर आपको दूरदर्शन का Interruption के लिए खेद है, याद है, तो बस इतना-सा ही चाहिए। आपको interrupt करना है। जो प्रोग्राम चल रहा है, वो गुल जाएगा। आप अचानक से कहीं और डाइवर्ट हो जाओगे। अब इस diversion में आपको वापस, उसी प्रोग्राम पर भी लाया जा सकता है। और आपको वहाँ से उठाकर, किसी और काम पर भी लगाया जा सकता है। ये "दूर - दर्शन", रिमोट कंट्रोल से दुनियाँ के किसी भी कोने में बैठकर किया जा सकता है। ये कोई जादू नहीं है। ये विज्ञान है, टेक्नोलॉजी है, और बहुत ही ज्यादा मिक्स्ड खिचड़ी है। मतलब, Highly interdisciplinery. ऑपरेशन जैसे, कंप्यूटर और इंटरनेट की मदद से, दुनियाँ के एक कोने से दुनियाँ के दूसरे कोने में।  

ये कोई भी आदत बनाने या छुड़वाने के लिए भी कारगार हो सकता है। जैसे सोने या उठने की आदत, कोई भी नशा या सिस्टम का पूरा का पूरा ढाँचा ही। अब आप क्यूँकि खुद एक स्मार्ट मशीन हैं तो आपका ढाँचा और ज़िंदगी भी ऐसे ही बदली जा सकती है। बुरे के लिए भी और भले के लिए भी। सोचो, दुनियाँ में इतना कुछ हो रहा है और उसके बावजूद, दुनियाँ का कितना बड़ा हिस्सा कैसे-कैसे हालातों या माहौल में रहता है? हमारी राजनीती को लड्डू और जलेबी से फुर्सत मिले तब ना?  

A micromanaged algorhythmic world, system? Err Algorithmic? 

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 61

मानसिक शोषण और अत्याचार

मानसिक शोषण और अत्याचार क्या है? जब कोई आपकी किसी दुखती रग, आज की या बीते हुए कल की, का प्रयोग या दुरुपयोग कर, अपना हित साधने लगे? ऐसा करने में चाहे उसे आपको और दुखी ही क्यों ना करना पड़े? गाँव आने पर यहाँ आसपास के जब हालात देखे, तो यूँ लगा की ये राजनीतिक पार्टियाँ कितना तो फद्दू बना रही हैं इन लोगों का। इन लोगों की ये दुखती रगें, इन राजनीतिक पार्टियों की ही देन हैं। और उसी को ये पार्टियाँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी, दूसरी से तीसरी पीढ़ी, उसी ढर्रे से निरन्तर बढ़ा-चढ़ा कर, एक दूसरे के ही खिलाफ करके और ज्यादा लूटने और दोहन करने में लगी हुई हैं। 

कुछ एक उदहारण लें 

कोई छोटी बहन कहे 50-50 हो गया। जिन्हें आपकी विचारधारा का अंदाजा तक ना हो की कोई रिश्तों को पर्सेंटेज में नहीं जिता। इधर या उधर। यहाँ बीच का गोबर-गणेश नहीं टिकता। और कोई ऐसा कहके, किन्हीं अंजान लोगों के लिए, अपना आधा क्यों खोने की सोचे?

मैं इधर वाले खँडहर को गिरा दूँगा तो ताई का भी अपने आप गिर जाएगा। भाई, ताई का तो गिरेगा या पता नहीं गिरेगा, तुझे हर जगह खामखाँ में भुंड अपने सिर लेनी जरुरी होती है? ताई कहीं भी रहे, मगर इस अपनी साइड के खंडहर को ना छोड़ने वाली, अपने जीते जी। 

एक और छोटी बहन, यो आधा खंडहर तो भाई ने मेरे को गिफ्ट दे दिया। मैं भी आती हूँ यहाँ रहने, अपनी लड़की के साथ। फिर 3 बहनें एक ही row में हो जाएँगे। दो पहले ही बैठी हैं यहाँ। एक इस खण्हर के आधे हिस्से में। और दूसरी, खाली वाले आधे हिस्से के अगले वाले घर में।    

कर लो बात। ये भाई इस ए जोगे सैं? पर ये बहन तो यहाँ और ज्यादा नहीं टिकने वाली। मौका लगते ही इस खंडहर से निकलने वाली है। हाँ। माँ की बजाय, अगर ये इस बड़ी बहन के पास होता तो सारा ही तेरे को देके, तेरे वारे न्यारे कर देती, अगर तेरी उम्मीद इस खंडहर तक ही है तो?

ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे अजीबोगरीब संवाद होते हैं यहाँ। संवाद? या शायद कहना चाहिए, वाद-विवाद? ये सब Mistaken Identity के केस हैं। जिन्हें राजनीतिक पार्टियाँ अपनी स्वार्थ-सीधी के लिए, लोगों के भेझे में घुसेड़ देती हैं। और इसी को Mindwash या Mind Manipulations कहा जाता है शायद।   

और लोगों की ज़िंदगियाँ, इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम कर रह जाती हैं। पता नहीं, लोग इन सबसे क्यों नहीं निकल पाते?  

वजहें? 

Mistaken Identity Case? is known as dangal?

और ये जलेबीकार कौन है?

हमारे नेता लोग?
जो जनता को लुटते हैं, बन्दर बनकर?
और जनता कौन है? दो बिल्लियाँ?
मैं तो देख ही नहीं पा रही अपने आपको यहाँ पर। ऐसे जलेबीकार जाएँ भाड़ में। 

Simple Funda is अकेला चलो रे। 

ये इलेक्शन भी हो चुके। तो मैडम, फाइल कहाँ तक पहुँची, डॉ विजय दांगी की? अभी तक आपकी ही टेबल पर है? जिन्हें आप माहौल ही नहीं दे सकते नौकरी करने लायक, उन्हें अटकाए रखने की बजाय, चलता करने की सोचें। शायद, सबका भला इसी में है।   

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 60

AI and Human Robotication?

AI and Elections?


आपकी अपनी पहचान से खिलवाड़ और राजनीतिक चालें और घातें? 

(Mistaken Identities and Political Maneuvers)

मानसिक शोषण या अत्याचार? आपकी पहचान धूमिल कर या मिटाने की कोशिश?   

कोई भी और किसी भी तरह की कमी, लालच या डर? 

Metaphores Vs Facts

घोर सर्विलांस एब्यूज के इस दौर में आपकी पहचान क्या है? वो राजनीती और सिस्टम के हिसाब से कैसे बनती और बिगड़ती है?

आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है। उस सोच को कौन-कौन और कैसे-कैसे आपके आसपास के तत्व तोड़ते-मड़ोड़ते हैं? अगर इसकी जानकारी और आपको गिराने या पीछे धकेलने वाले ऐसे कारणों और कारकों को आप पहचानना शुरू कर देंगे, तो बहुत-से ज़िंदगी के अवरोधों से वैसे ही निपट लेंगे। क्यूँकि, आपको शायद समझ आए की जो समस्या आपको दिखाई, बताई या समझाई जा रही है या आपके दिमाग में फिट की जा रही है, वो आपकी समस्या ही नहीं है। तो आप क्यों उससे 2-4 हो रहे हैं? या बुरे-भले हो रहे हैं? अगर आप कम पढ़े-लिखे हैं और आज के टेक्नोलॉजी शोषण से बिल्कुल अंजान, तो? ये समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल हो सकती है। 

मानसिक शोषण और अत्याचार   

आप कम पढ़े-लिखे हैं और कोई जीविका का साधन या नौकरी या व्यवसाय भी नहीं है? तो शायद राजनीती के जालों में ज्यादा उलझे मिलेंगे। अगर आपका कोई खास अपना राजनीती में नहीं है, तो ये खेल दूर से देखने और समझने का विषय है। ना की किसी की भी भक्ती करने का। 

पास से अगर इसे देखने-समझने लगोगे तो पता चलेगा, आज के राजनीती के दौर में राजनीतीक पार्टियाँ हैं ही नहीं। सिर्फ गुट हैं। और एक ही पार्टी में कितने ही गुट हो सकते हैं। इस पार्टी का कोई एक गुट या नेता किसी दूसरी पार्टी के ज्यादा करीब हो सकता है, बजाय की अपनी राजनीतिक पार्टी के। इसीलिए, उन्हें फलाना-धमकाना की A-टीम, B-टीम वैगरह कहा जाता है।  मुझे तो ये A B C टाइप ग्रेडिंग ज्यादा लगता है। 

ठीक ऐसे-ही, आपके कितने ही मत या विचार, आपके अपने नहीं होते। बल्की, किसी खास पार्टी द्वारा आप पर थोंपे हुए हो सकते हैं। और आपने उन्हें अपने पैदल भेझे का इस्तेमाल किए बिना, ना सिर्फ मान लिया है, बल्की, उनके नाम पर अपने ही लोगों को उल्टा-पुल्टा बोलना या उनसे अजीबोगरीब झगड़े भी ले लिए हैं। ये सब मानसिक शोषण और अत्याचार है, राजनीतिक पार्टियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा लोगों पर थोंपा हुआ । ऐसी राजनीतिक पार्टियाँ और कंपनियाँ, जिन्हें आपकी ज़िंदगी की खुशहाली से कोई लेना-देना नहीं है। मगर, आप उनके उपयोग का अनोखा संसाधन है। जिसका दोहन, वो आपकी जानकारी के बिना और इज्जाजत के बिना कर रही हैं। अब आप अपने लिए या अपनों तक के लिए काम नहीं करेंगे, तो कोई ना कोई तो आपका प्रयोग या दुरुपयोग करेगा ही? 

मानसिक शोषण आपकी समस्याएँ, आपकी ताकत और कमजोरियों के आँकलन के बाद ही संभव है। उसमें कुछ भी हो सकता है। जैसे अगर कोई विधवा है तो उसके उसी स्टेटस और उससे उपजी किसी खास सामाजिक परिवेश की समस्याओं को भूना कर, खुद आपके और आपके अपनों के ही खिलाफ भी प्रयोग किया जा सकता है। या कहना चाहिए की किया जा रहा है। अब आसपास ही कितने ही तो ऐसे इंसान हैं, जिनके साथ ऐसा हो रहा है। सबसे बड़ी बात, इसमें पुरुष या महिला होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हाँ, सामाजिक परिवेश के हिसाब से अलग-अलग तरह के शोषण हो सकते हैं। 

ऐसे ही, किसी ससुराल छोड़ या निकाल दी गई लड़की के केस में हो सकता है। या कोर्ट के अधीन सालों से पड़े, किसी लड़की या लड़के के केस में। 

ऐसे ही, किसी अविवाहित लड़की या लड़के के केस में। सामाजिक परिवेश और आपकी खुद की सोच भी उसमें काफी प्रभाव डालते हैं। 

ये सब तो जैसे सदियों से चल रहा हैं। मगर, बहुत कुछ ऐसा भी है जो टेक्नोलॉजी की देन ज्यादा हैं शायद। जैसे, Mistaken Identities and Political Maneuvers आपकी अपनी पहचान से खिलवाड़ और राजनीतिक चालें और घातें। कुछ-कुछ ऐसे ही जैसे, अश्व्थामा मारा गया। इतने से हेरफेर में, अगर टेक्नॉलजी या ज्ञान-विज्ञान के थोड़े और तड़के लग जाएँ तो? 

नाम के हदभेद?

जगह के हदभेद?

खंडहरों तक पर मारा-मारी?

या और भी कितनी ही तरह की राजनीतिक चालें या घातें हो सकती हैं? जानने की कोशिश करते हैं आगे।  

ये BSNL के इंटरनेट को कल से क्या हो रखा है?

और मेरा वोडाफ़ोन नंबर, मेरे घर पर होते हुए कब तक इंटरनेशनल लोकेशन के अनुसार इंटरनेट रॉमिंग में रहेगा? 

पढ़ने में आया है, की आसपास ही कुछ फालतुओं ने किया हुआ ये सब। ऐसे लोग, जो हमेशा इस पर निगाह रखते हैं, की आप उनके अनुसार क्या बोल सकते हैं और क्या लिख सकते हैं। चुनावों के आसपास ज्यादा खतरा हो जाता है क्या?

कहीं ऐसे से ही कारनामों को EVM hack तो नहीं बोलते?     

Saturday, October 5, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 59

Civil?

Defence? 

War/s?

Lord/s?


Machine and Human Being

How much same, yet different?

Laptops, PCs, Phones and Humans? And so many other machines?

बावलीबूच, यो टीन्स (teens) पटी ड्रामा क्यों चला रखा है? और ड्रामा 04-10 2024 को थोड़ा और आगे बढ़ा। पता नहीं, ये टीन्स-पटी का सारा का सारा हिसाब-किताब था या अब स्क्रीन-पटी हो गया? मल्टीमीडिया, मगर भद्दे वाला? धोलू और नीलू की बाज़ी बताई? धोला बोले तो, राम? और नीला बोले तो, श्याम? या शिव-शंकर? या इसका उल्टा-पुल्टा है? 

भगवाना की भी आपस मैं बाज़ा करे? ये कैसे भगवान? 

जब से ये साँग देखने शुरू किए, तब से इंसान भगवानों से बेहतर हो गए। अब अगर भाई-बंध कहें, की तू ते भगवान न भी ना मानती। कितके भगवान? नीरे मिलावटी सौदे हैं। बेरा ना किसे-किसे कबाड़े, प्रैक्टिकल्स के नाम पे करने लगे हुए हैं। पापी कहीं के। 

सुना है, भगवान नाचया भी करेँ? और रास-लीला भी रचा करेँ? अब किसी का शौक नाच-गाना हो तो, कुछ ऐसा-सा कटाक्ष भी आ सकता है, जैसे, नाच ना जाने, आँगन टेढ़ा? हमारे यहाँ कितनी ही तरह के तो भगवान होते हैं। बच्चों के, बच्चोँ जैसे-से। बड़ों के, बड़ों जैसे-से। और बुजर्गों के, बुजर्गों जैसे-से। उनमें भी उतने ही आकार-प्रकार हैं, जितने आकार-प्रकार इंसानों के।     

भगवानों पे गाने भी वक़्त की नज़ाक़त के हिसाब-किताब से होते हैं शायद? याद करो कोई भी गाना या भझन, किसी भी भगवान या भगवानी, देव या देवी के नाम पर। और कौन-सा और कैसा गाना याद आता है?   

बच्चों का होगा तो शायद भम्म-भम्म भोले, तारे जमीन पर से? बड़ों का होगा तो? पुराना राजेश खन्ना वाला? या भाँग रगड़ क पिया करूं, मैं कुंडी-सोटे आला सूं? वैसे, नए दौर का एक गाना भी है, जय-जय शिव-शंकर, मूढ़ है भयंकर? या ऐसे-से ही कृष्ण पर भी मिल जाएँगे शायद? जैसे वो तो किशना है? ऐसे से ही मिलेँगे, कृष्ण के नाम पर सब गाने? राम, सीता, संतोषी, दुर्गा जैसे भगवानों या देवियों पर तो शायद भझन ही मिल सकते हैं?

तो आपको क्या पसंद है? पुराना या नया? गाने या भझन? आज की राजनीती में भझन कहाँ मिलेंगे? सट्टे, अर् र  सत्ते के यहाँ? वो क्या बोलते हैं उसे बुजुर्ग लोग? सत्संग? चलो सत्संग पे फिर कभी बात करेँगे। वैसे तो ये सब राजनीती की ही माया है? और इंसान की? मोह-माया या लालच या जरुरत भी शायद? निर्भर करता है। 

Friday, October 4, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 58

Architecture and Design

आप क्या समझते हैं इन दो शब्दों से?

वास्तु और घर का डिज़ाइन या कहीं का भी डिज़ाइन जैसे? कितना कुछ गूँथ दिया गया है इस सबमें? कुछ-कुछ ऐसे ही जैसे,  रीति-रिवाज़, श्रद्धा, और धर्म-कर्म एक तरफ। तो दूसरी तरफ? उन्हीं सब में गूँथा हुआ, ज्ञान-विज्ञान, टेक्नोलॉजी, राजनीती और सिस्टम। हमारा और आप-सबका, भूत, भविष्य और आज भी?  

सोचो, आप जो तुलसी घर में लगाते हैं, कभी सोचा की वो किस प्रजाती की है? अब इतना वक़्त भला किसके पास? यही ना? उसका तुलसी के इलावा भी कोई नाम है क्या? आपके घर में पहले कौन-सी थी? और न जाने कब और कहाँ से कौन-सी आ गई? और वो भी आपकी जानकारी के बिना? मगर जिन्होंने उसे आपके घर तक पहुँचाया है, उनके नाम पता हैं क्या? अरे अब माली या किसी लाने वाले के सर मत होना। उन्हें शायद से खुद कुछ नहीं पता होगा। या शायद, किसी ने चोरी-छिपे वो बीज वहाँ डाल दिए, जहाँ आपकी पहले वाली तुलसी थी। और इसके उगने के बाद उसे चलता कर दिया या शायद आपसे ही करवा दिया हो? कुछ भी कहकर? भला इसका  Architecture and Design से क्या लेना-देना? अगर कोड की भाषा में बात करें, तो A  rchitecture and D esign भी एक नहीं है। इसके भी कितने ही मतलब हो सकते हैं, अलग-अलग पार्टियों के हिसाब से।  

कुछ-कुछ ऐसे, जैसे 

A for?

D for?

या AR for?

De for?   

अब तुलसी भी राम या श्याम हों तो? वैसे रहीम क्यों नहीं?

राम-श्याम का झगड़े से सम्बन्ध?

तो राम-रहीम का शांती से?  

अरे नहीं, ये भी निर्भर करता है, किसके राम-श्याम और किसके राम-रहीम? अब किसी का राम-रहीम तो वो भी है, जो इलेक्शंस से खास पहले पैरोल पे बाहर आता है, जेल से?   

तो क्या फर्क पड़ जाएगा, की आपके घर कब कौन-सी तुलसी आई और कब कौन-सी तुलसी गई? या दोनों ही घर में हैं या किसी वक़्त रही? तुलसी तो तुलसी है? क्या काली और क्या धोली (सफेद)? ये हर पेड़-पौधे और जीव-जंतु पर लागू होता है। 

ठीक ऐसे ही, जैसे 

क्या फर्क पड़ता है हिलेरी क्लिंटन राट्रपति हो या बराक ओबामा? या पड़ता है शायद? वैसे ये हिलेरी क्लिंटन ईमेल घपला क्या था? क्या वो भी कोई वजह बनी हिलेरी क्लिंटन के हारने की? या वही अहम वजह थी? पता नहीं ये तो राजनीती के जानकार ज्यादा बता सकते हैं। 

मगर बहुत ही छोटी-छोटी सी चीज़ें हैं, जिन्हें कितना भी बढ़ाया-चढ़ाया भी जा सकता है और बिल्कुल ही नगण्य मान, ख़ारिज भी किया जा सकता है। ऐसे ही कितने ही उदहारण, आगे पोस्ट्स में आपके अपने आसपास से भी हो सकते हैं। ऐसे ही जैसे, घरों के छोटे-मोटे designs से लेकर, आपके घर के बर्तन-भांडे तक, आपके बोलने-चलने के लहजे से लेकर, आपके खाने-पीने तक, आपके कपड़ों के रंग, आकार-प्रकार से लेकर आपके हुलिए तक।  

Thursday, October 3, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 57

ओए कालू, कालू ओए?

ओए धोलू, धोलू ओए?

ओए रंग-बिरँगे, ओए रँग-बिरँगे ओए?

ओए बदरंग, ओए बदरँग ओए?


क्या है ये?

Architecture या Design?

रामा या श्यामा? R  ama या S  hyama? 

आज़ाद या गुलाम? A  azad या G  ulam?

और भी कितना-कुछ हो सकता है, इन सबके बीच? आप सोचो। धीरे-धीरे आएँगे इस सब पर भी आगे पोस्ट में। 

हिंट के लिए 

सोचो अगर काली झाड़ू, सफ़ेद हो जाए?


या?
सविंधान की कॉपी या कवर कोई रंग बदल जाए?
तो?
सूरज हुआ मध्यम, चाँद जलने लगा?
या 
ज़रा तस्वीर से निकल के तू सामने आ?
या 
ज़िंदगी आ रहा हूँ मैं? 


या शायद अगर राजनीती और हरियाणा के इलेक्शन या शायद कहीं के भी इलेक्शन की बात हो तो?

जहाँ तेरी ये नज़र है, जैसे-जैसे और कैसे-कैसे दाँव-पेंच चलाने लगी हुई हैं, सब पार्टियाँ? महज़ कुछ-एक कुर्सियों के चक्करों में?


और भी कितने ही गाने हो सकते हैं?

या शायद कुछ खास-म-खास प्रोग्राम्स?  

यही सब राजनीती है? या इससे आगे भी कुछ?  

Wednesday, October 2, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 56

 What happens to Biology when it leaves earth?

"Probably, it starts looking towards west especially USA?"

NASA decides?




Dr. Rob Ferl

Molecular Biologist who specializes in the molecular mechanisms involved in gene expression.

Thursday, September 26, 2024

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 55

जैसे चौटाला परिवार की या कहो देवीलाल के परिवार की राजनीतिक जंग है, वैसे ही दो और लालों की। वैसे चौटाला परिवार का गौत्र तो शायद सिहाग है? फिर ये चौटाला लगाने के पीछे की कहानी क्या है? शायद कहीं पढ़ने-सुनने को मिले, तो उस पर भी आएँगे आगे। 

मगर अभी दूसरे राजनीतिक परिवारों को जानते हैं  

रोहतक और राजनीती के बारे में कभी सुना था की यहाँ से प्रदेश की ही नहीं, बल्की, देश की राजनीती को दशा और दिशा मिलती है। ये उन दिनों की बात है, जब राजनीती का abc नहीं पता था और ना ही आज की तरह इसे जानने-समझने की कोई उत्सुकता थी। अब तो जो समझ आता है वो ये, की सिर्फ देश की ही नहीं, बल्की, दुनियाँ भर की राजनीती को शायद प्रभावित करता है, ये छोटा-सा जिला। दिल्ली के पास होने का राज शायद?

रोहतक और हुड्डा   ( राजनीती के चौधरी जैसे?) 

पहले मैं मदीना (दांगी) और रोहतक (हुड्डा) की कांग्रेस को अलग-अलग देखती थी। मगर, राजनीती में शायद ना कुछ साथ होता और ना ही अलग। सिर्फ महत्वाकांक्षाएँ और जरुरतें होती हैं। यहाँ ना कोई अपना होता और ना ही पराया। आपकी पार्टी तभी तक आपकी अपनी है, जब उसे आपने बनाया हुआ है और आप ही चला रहे हैं। नहीं तो, जितने ज्यादा शेयर-हॉल्डर, उतनी ही ज्यादा खीँच-तान। अब दीपेंदर हुड्डा है ही इकलौता, तो क्या दरार और क्या रार? या शायद है भी? शायद इसीलिए भूपेंदर हुड्डा को बहन-बेटियों को मनाना पड़ रहा है? या शायद, मुझे राजनीती की अभी उतनी समझ नहीं। 

ऐसे ही जैसे पहले मारपीट-राजनीती, चौटाला या दांगी जैसे लोगों की राजनीती को ही मानती थी। 2019 के बाद काफी कुछ, कुछ-एक कांग्रेस के सोशल मीडिया पे भी हज़म होने जैसा नहीं था। खासकर, दीपेंदर हुड्डा के। खैर। 2019 में एक तरफ वोट डालने जाना छोड़ा। तो दूसरी तरफ, इलेक्शन क्या हैं? इन्हें कौन और कहाँ लड़ता है? EVM या बैलट पेपर का रोल क्या है? इन सब प्रश्नों के उत्तर भी अजीबोग़रीब मिले। परिणाम वाले दिन भी, वोट पड़ते हैं क्या? वो भी उस वक़्त, जब परिणाम TV चैनलों पर Live चल रहा हो?     

परिणाम TV चैनलों पर Live?

ये क्या बला है? आप स्क्रीन पर परिणाम देखते और सुनते हैं? और परिणाम बताने वालों तक वो परिणाम कैसे पहुँचता है? 

फ़ोन? सैटलाइट? केबल? इंटरनेट?     

इलेक्शन करवाता कौन है? इलेक्शन कमिशन कौन है? कहीं भटक तो नहीं गए हम, अपने विषय से? रोहतक, राजनीती का गढ़? रोहतक राजनीती मतलब? हुड्डा? 

ज़मीनो के हेरफेर और हुड्डा और चौटाला का उनसे सम्बन्ध? मुद्दा है क्या ये भी कोई?

नौकरियाँ और हुड्डा या चौटाला का सम्बन्ध? बीजेपी ने तो सुना है किसी को ऐसा कुछ दिया ही नहीं। सिर्फ लेने का काम किया है? हुड्डा और चौटाला के भी अजीबोगरीब-से जुबानी-युद्ध होते हैं, इन नौकरियों पर। नौकरियाँ पार्टियों की होती हैं क्या? जो करते हैं, उनकी नहीं? और नौकरी का मतलब, सिर्फ कागजों तक होता है? उसके बाहर कुछ और ही चलता है? मतलब, जो कुछ उस नौकरी को करने लायक माहौल के बारे में लिखा होता है, उसका कोई अर्थ ही नहीं होता? यही नहीं, कहीं कोई पार्टी इलेक्शन भी ऐसे ही मुद्दे के साथ तो नहीं लड़ रही, की हम आएँगे तो, ये साफ़, वो साफ़? इतनी खतनाक धमकियाँ, बनने से पहले ही? साम, दाम, दंड, भेद, सब जायज़ है? डर का माहौल तो पहले ही घड़ रहे हैं आप? बाद में तो ऐसा कुछ हो गया तो, खानदान के खानदान खाएँगे? डरा-डरा के लोगों को अपनी साइड करते हो?  Hang on guys, hang on. ऐसे में तो बैलेंस बहुत जरुरी है।                  

मारपीट की राजनीती और हुड्डा, चौटाला या बीजेपी का सम्बन्ध? सभी बराबर हैं क्या? या कोई कम तो कोई खूँखार जैसे?   

सोचो, ज़मीन पार्टियों की? पैसा, नौकरियाँ पार्टियों के? तो उनमें काम करने वाले? वो भी पार्टियों की प्रॉपर्टी जैसे? कंपनियाँ और राजनीतिक पार्टियाँ, और इंसानों का उनका महज़ नौकर होना? मतलब, Human Robotication. बाजार के भी हाल यही बताए। हालाँकि, अभी उसकी समझ थोड़ी कम है। 

इन लालों से और हुड्डा से अलग एक और राजनीतिक किरदार सुना है, हरि याणा की राजनीती में घुसने की फिराक में है? कौन है ये? "मैं बिजली मुफ्त कर दूँगा और आपका बिजली का बिल जीरो।" पहुँचो जी, आप भी पँहुचो। छोटे से राज्य में, पहले ही दंगल कम है शायद?       

संसाधनों का प्रयोग या दुरुपयोग (Use and Abuse) 54

 आओ थोड़ा अपने नेताओं को, पार्टियों को और उनके मुद्दों को जानने की कोशिश करें। 

AC Vs DC? 

चाचा और भतीजा? 

ये तो जैसे घर की घर में जुत बज रहे हैं?

आज तक की खाट पंचायत 

नीचे दी गई फोटो 2 अलग-अलग खाट पंचायत की हैं 

एक चाचा की और दूसरी भतीजे की 











नीचे दी गई फोटो में, रंगों के मतलब और AC, DC को ढूँढें 
और पता चले तो CBI और ED को भी। 

ये आसपास के लोगों के लिए। अगर ये विडियो समझ आ जाएँ, तो थोड़ा-बहुत अपनी ज़िंदगियों को भी इनके सन्दर्भ में जानने-समझने की कोशिश करें। आपको पता चलेगा, की आप किस तरह के आदम-रोबॉट हैं? जितना ज्यादा इस राजनीती को जानने-समझने की कोशिश करोगे, उससे ये भी समझ आएगा की कैसे इंसान को रोबॉट बनाया जाता है?