और ये स्टूडेंट्स को चीटर बोलते हैं?
Rhythms of Life
Happy go Lucky kinda stuff. Lilbit curious, lilbit adventurous, lilbit rebel, nature lover. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct. Sometimes feel like to read and travel. Profession revolves around academics, science communication, media culture and education technology. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.
Thursday, November 20, 2025
Views and Counterviews 100
Saturday, November 8, 2025
Decluttering and Organization
Some files this side, some files that side. Get rid of some unnecessary stuff. And a bit access-easy-storage. Nothing more. Decluttering for me is a regular stuff. It's not something, once a year, before some fest or special occasion thing.
On that separate links for different topics means, posts related to them will be there after some time. Rhythms of life must be as light weight as could :)
Sunday, August 3, 2025
Friday, May 16, 2025
गाने ज़िंदगी का ज्ञान भी देते हैं?
गाने ज़िंदगी का ज्ञान भी देते हैं? एक ही गाना कितना कुछ कह जाता है? कई बार तो, दशकों को एक छोटे-से गाने में पिरो जाता है? एक दशक पहले या दो दशक पहले या उससे भी पहले, वो आपका पसंदीदा गाना हुआ करता था? और आज भी है? गज़ब है? जैसे कुछ, बदलता ही नहीं? वही ढाक के तीन पात-सा? इस दौरान, वैसे से ही शब्द लिए या वैसा-सा ही ज्ञान लिए, कितने ही नए गाने आ जाते हैं? नए वक़्त से कदम-ताल मिलाते से जैसे? मगर, फिर भी आपकी पसंद आज भी वहीँ ठहरी-सी है जैसे?
बुल्ला की जाना मैं कौन -- रब्बी शेरगिल
Tuesday, May 13, 2025
Eurovision Song Contest, Nearby?
When you forget something integral to you, you forget life somewhere? Or there is no time for music or walk or excercize? It's a place where you can do better, only writing? As everything in the surrounding is like some prompt?
Or better have a break from writing? Oh! Forgot even that Eurovision song contest is also nearby? Is it May?
And like last year, no song is as appealing, as it used to be earlier. Why it's so?
Freedom is not even on their selected chart? Or even freedom song was not that appealing? Euro colours seems out? It's too dark, sad kinda melancholic? Kinda saying?
Write, sing or search elsewhere your own haapy and joyful songs? Where you can find them in beautiful dresses, beautiful background or surrounding and singing beautiful happy songs?
What they have selected this year or singing on that world stage?
Georgian Freedom?
Friday, May 9, 2025
Travel? By Road, Air or Water?
सुना है, Rhythms of Life को साँस लिए कई दिन हो गए? तो चलो, थोड़ा घूम लें?
कहाँ चलना है? कैसे जाएँगे?
रोड़ से? पानी से? या हवा में उड़कर?
कितने ही तरीके हैं ना, इन सब तरीकों से कहीं भी जाने के? किसी ने कहा, गाडी नहीं है? तो Air Bike ले लो। मस्त है। ड्रोन जितनी-सी, हल्की-फुल्की सी? ये भी सही है?
ऐसी-सी?
Sunday, April 13, 2025
कहाँ गुल हूँ मैं ?
कहाँ गुल हूँ मैं ?
When health becomes most urgent issue, all other issues take a back seat? और ये स्वास्थ्य वो स्वास्थ्य नहीं है, जो राजनीती में छाया रहता है। वहाँ तो शायद कोई अंग-प्रतयन्ग निकालने वाली, संजय एमर्जेन्सी जैसी-सी बात हो रही होती है? उसपे भी आएँगे आगे पोस्ट में। कभी-कभी ये शायद वो स्वास्थ्य बन जाता है, जब आपको लगने लगता है would you survive this or it's really over? जब आप अपने सिर को बजते हुए सुनते हो, कड़क! कड़क! जैसे कुछ टूट रहा हो? मगर फिर भी हॉस्पिटल के नाम पर डरना शुरू कर दिया हो? ऑपरेशन थिएटर की बजाय घर मरना बेहतर है, जैसे दिमाग में बैठ गया हो? मार्च कुछ-कुछ ऐसा ही रहा। 16 के बाद अचानक से पोस्ट बंद हो गई? या शायद हो गया था कुछ? कुछ? इधर उधर लिखा जा रहा था उस पर भी। और किसी खास तारीख के आसपास वो ठीक भी होने लगा? Sometimes, journaling helps in tracking down something strange also? Or maybe, sometimes we overthink?
क्या ये सिर की कड़क-कड़क सच में चोटों की देन है? या उससे आगे कहीं कुछ और भी? या शायद दोनों ही? System or say ecosystem is the culprit?
कोरोना के समय जो समझ आया, वो कह रहा था की पानी-खाना और हवा, जीने के लिए, खासकर स्वस्थ जीने के लिए इनपर कंट्रोल बहुत जरुरी है। ये तय करना, की जो कुछ आप खा या पी रहे हैं या जिस हवा में आप साँस ले रहे हैं, उसका जीवनदायी होना बहुत जरुरी है। अगर वही प्रदूषित है, तो क्या तो दवाईयाँ करेंगी और क्या डॉक्टर? और जहाँ तक हो सके, वहाँ तक हॉस्पिटल या डॉक्टर से परहेज़ करना। ये भी अपने आप में स्वस्थ होने का संकेत है।
कभी-कभी ऐसा होता है ना, की अचानक से आप कोई चीज़ खाना या पीना बंद कर देते हैं? या शायद वो अचानक से आपको अच्छी लगनी बंद हो जाती है? शरीर शायद बहुत-सी चीज़ों को खुद ही रिजेक्ट करने लगता है? ये उसका अपना डिफेंसिव सिस्टम है, जो उसे किसी आभाषी खतरे से बचाता है शायद? वो जो आप कब से खाते-पीते आ रहे हैं और अचानक से उसका टेस्ट थोड़ा अजीब लगने लगे? और आप पीते-पीते ही या खाते-खाते ही छोड़ दें? बहुत बार जरुरी भी नहीं की उसमें कुछ मिला ही हो, सिर्फ मौसम बदलने से भी बहुत बार ऐसा होने लगता है। जैसे सर्दी के शुरु होते ही गर्म खाना-पीना और गर्मी के शुरु होते ही ठंडा खाना-पीना पसंद आने लगता है। टेस्ट और खाने-पीने से परहेज़, और उसका बिमारियों से लेन-देन कहीं और।
एक Rude and Crude Joke?
मेरा तुममें interest बढ़ता जा रहा है। कहीं तुमने मुझसे लॉन तो नहीं लिया हुआ? आगे किसी पोस्ट में आते हैं इस पर भी।
Tuesday, February 11, 2025
बच्चे जब आपको पहुँचा दें, अपने बचपन में?
वक़्त और अगली पीढ़ी के साथ-साथ बहुत कुछ बदलता है। काफी कुछ अच्छा और शायद कुछ ऐसा भी की लगे, अच्छा नहीं है। सूचनाओं का संसार, उनमें से एक है। 24 घंटे इंटरनेट की पहुँच और टीवी भी शायद। जब बच्चों को मजाक लगे, अच्छा आप जब छोटे थे, तो टीवी पे हर वक़्त प्रोग्राम नहीं आते थे? या इंटरनेट नहीं था? ये सीरियल्स भी नहीं थे? तो क्या था?
जो भी हो, गुजरा वक़्त और बचपन हमेशा अच्छा होता है?
Wednesday, December 25, 2024
How Was The Year 2024?
कैसा रहा ये साल? क्या है आपका हाल?
ये वो साल था जब लिखना और इंटरनेट ही जैसे एकमात्र सहारा था, बाहर की दुनियाँ से इंटरैक्शन का। फोन तकरीबन बंद था जैसे। चल रहा था शायद कुछ अजीबोगरीब सन्देश या कॉल्स सुनने के लिए। कुछ कोड से जैसे ईधर के, और कुछ उधर के? और कुछ खामखाँ भी।
इतने सालोँ बाद कार गुल थी ऐसे, जैसे, दुनियाँ ही थम-सी गई हो? कार हमें सच में Independent बनाती है या शायद काफी हद तक Dependent भी?
एक तरफ "Reflections" के लिए वक़्त था तो दूसरी तरफ कुछ अजीबोगरीब बावलीबूचों के कारनामों से निकला, "महारे बावली बूचां के अड्डे अर घणे श्याणे?" चाहें तो खीझ सकते हैं और चाहें तो हँस सकते हैं? Refelections से पहले शायद "दादा जी का छोटा-सा खजाना" किताब बन निकले? जिसके साथ लगता है, काफी छेड़-छाड़ हुई है। क्यों? ऐसा क्या खास था उनमें? कुछ जो मुझे पता है और कुछ शायद ही कभी पता चले। क्यूँकि, उनके ज्यादातर पत्र मैं पढ़ती थी। जब घर होती तो पढ़वाते ही मुझसे थे, खासकर हिंदी वाले। ये कुछ कहाँ से आ टपके? और एक-आध जो उनकी मर्त्यु के बाद भी मेरे पास था, वो कहाँ और कैसे गुल गए? पता नहीं। ऐसा तो कोई बहुत खास भी नहीं था उनमें। या शायद इधर-उधर हिंट आ चुके?
वैसे पापा से सम्बंधित सिर्फ एक ही पत्र पढ़ा था मैंने, दादा जी के रहते। वो भी उनकी अलमीरा की सफाई करते वक़्त मेरे हाथ लग गया था इसलिए। कुछ बहुत पुराने हैं, मेरे जन्म से भी पहले के तो शायद कभी सामने नहीं आए। दुबके पड़े थे जैसे, इस, उस डायरी में। उनसे कुछ लोग शायद अपने जन्मदिन या आसपास के कुछ इवेंट्स जान पाए, जिन्हें आज तक नहीं पता?
बाकी जो पहले से लिखने वाले प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वो तो वक़्त लेंगे। क्यूँकि, वो सिर्फ Reflections, यादें या खीझने की बजाए, satire जैसा विषय नहीं हैं।
इतने बुरे के बीच शायद, कुछ आसपास के लिए अच्छा भी रहा? बहुत सालों से ठहरी-सी या मरते-मरते बचती-सी ज़िंदगियाँ, शायद फिर से चल निकलें? उम्मीद पे दुनियाँ कायम है। ऐसी-सी ही कुछ ज़िंदगियाँ, आपको किसी भी हाल में जैसे प्रेरित करती नज़र आती हैं। कह रही हों जैसे, और कुछ ना हो सके तो थोड़ा-बहुत हमारे लिए ही कर दो। और जो शायद आप कर भी सकते हैं। शायद कोई छोटा-मोटा प्रोजेक्ट ही?
आपका कैसा रहा ये साल? Merry XMAS & Happy New Year!

