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Saturday, December 21, 2024

महारे बावली बूचाँ के अड्डे, अर घणे श्याणे? 16

बुझो तो जाने? 

भेझे खराब हो रहे हैं सालां के? नाश जा रहा सै कती? 

क्या भेझे खराब किए भी जा सकते हैं? या अपने आप हो रहे हैं? आप कहेंगे शायद दोनों ही सच हो सकते हैं?

आपणे एक ताऊ गजनी तै पूछाँ? मान लो वो ताऊ रोज आपणे आसपास के अड़ोस-पड़ोस में घूमै सै, भूत-सा (Surveillance Abuse)। अर एंडी घने मजे ले रहया सै सबके?

आएँ, समँदर की बहु सै बेबे? के कर री सै? 

ना ताऊ, समन्दर की पोती लागू सूं। भाँडे मांजू सूं, तू भी मँजवावेगा के?

भाई रामकली तै भाँडे माँज ए सै। अर यो कह क ताऊ गुल।   

थोड़ी देर बाद, आएँ, मंजू सै बेटी, लते धोवे सै?

ना ताऊ, विजय सूं, थोड़ी देर में इन न मशीन मैं तै काढ कै पानी मैं तै काढ़ दिए। 

आँ र भाई  था के? मैंने तै लाग्या छोरी सै, कहकै अर ताऊ गुल। 

आएँ, अनुराधा सै बेटी? अनुराधा पोडवाल? कौन-सा गाणा गावै सै? 

ना ताऊ, गाणा, गाणा ना आता मैंने, तू के आड़े गीत गाण आ रा सै?

अर ताऊ गुल। पर गीतां की आवाज़ बेरा ना कित तै आवै सै यो? शायद ताऊ खुद गाण लाग रा सै?

थोड़ी देर बाद, आएँ, पूनम कॉलेज जा सै बेटी?

ना ताऊ, घराँ ए पढ़ा करूँ। कॉलेज मैं तै सांग माच रा सै। 

अर ताऊ गुल।

थोड़ी देर बाद, आएँ अंगूरी गोडां का दर्द ठीक होगा बेटी?

मन में सोचते हुए, यो ताऊ क्यों पाछए लाग रा सै? जब इतनी बै इस्ते नाम बता लिया? फेर किमै बकवास? लाग-ए सै, किमैं बढ़िया-सी सुणकै मानेगा?

ताऊ के नाम सै तेरा? कितै आया करे तू? यादास्त कमजोर हो री लागी तैरी? कती गजनी हो रा सै। आपणए घराँ रहया कर। खु-खा जागा कितै। 

अं? किमै कह थी बेटी बहरी? कप्तान ठीक सै? अर बालक-बच्चे सब राजी?

हाँ ताऊ मणसे। दादी भी ठीक सै। अर दादा कप्तान तेरे धोर ए रह सै। बात होती होगी उसते तो? 

अं? सुणता बेटी? फौजी छूटी आ रा सै के? अर तू ईब ठीक सै बेटी? तेरा ऑपरेशन होया बताया पाछे-सी? 

अर वा दयावंती तैरी बाहण लाग्य सै के? उसका फौजी भी छुट्टी आ रा सै बेटी? सुणा उसका भी किमै ऑपरेशन सा होरा था पाछे-सी? वा ठीक सै ईब?

भुतणी के, नाम तै लेणे सीख ले पहलयॉँ। आड़े तै सारीयाँ के ऑपरेशन हो रहे सैं। के सुणता, के दयावंती, के बब्ता अर के हर्ता। सबकै घराँ भूतवास बना राख्या सै के तैने भूत नै?  

एक और आवाज़-सी आवे सै, 

ताऊ, ईब तू दादी कमलेश तै बकवास करण लाग्या? तैने किमै और काम कोणी?

आएँ बिंदु की बहु सै के बेटी?  

ताऊ, ईब तैने मोदी की बहु बिंदु की बहु लागय सै?

अहं? मोदी क बहु भी सै?  

औरां न बहरी कहता हांड्य सै। खुद नै न्यू दिखावै सै, जणू बहरा हो।  

बेटी ईब तू आड़े के करण आगी?

ताऊ मणसे, मैं तेरे चक्रव्युह नै देखण अर सुणण आगी। के कर रा सै यो? तैने बहु-बेटियाँ, भतीजी भाणजी अर पोती या दोहतियाँ तही का फर्क ना बेरा के? कौण किसकी बहु, बेटी या लुगाई सै, ना यो बेरा? क्यों बकवास करता हांड्य सै? चकरी काट रा चारों औड़, सबनै फद्दू बनाता।   

ताऊ मणसा? यो तो गजनी ताऊ जिसा नहीं लागता? या शायद बुजुर्ग सारे ए इसे होज्या सैं, बुढ़ापे मैं?

कहीं यही तो हैकिंग (Hacking) नहीं? भेजों की हैकिंग (Mind Control and making of human robots)? 

गूगल बाबा क्या कहता है? 

दिमागों पर कब्ज़े करने की ट्रैनिंग या प्रैक्टिस करवा, उनमें अपनी-अपनी तरह के किटाणु पैदा करना? या बाहर से भरने की कोशिश करना? वो भी दूर बैठे? 

कंप्यूटर के नियम इंसानो पर या इंसानो के नियम कंप्यूटर जैसी मशीनों पर? अगर आप एक कंप्यूटर हैं तो आपका आसपास या समाज? नेटवर्क? सामाजिक ताना-बाना? आपसी बोलचाल, रिस्ते-नाते? उनमें गड़बड़ जैसे अलग-अलग तरह के नुकसान करने वाले किटाणु भरना या छोड़ देना? Just like microlab media? समाज एक बड़ी माइक्रो मीडिया लैब?     

आपको मालूम है की सामने वाले से आपका रिस्ता क्या है, मगर? मगर आप सामने वाले को परेशान करने के लिए या शायद नीचा दिखाने के लिए ऐसा कुछ कर रहे हैं? मगर ज्यादा नुकसान किसे हो रहा है? कहीं खुद वो सब करने या कहने वाले को तो नहीं हो रहा? शायद?  

अपने घर के किसी भी रिस्ते के झगड़े, बीमारी या मौत पर एक निगाह डालो। पहले ये राजनीतिक पार्टियों के भूत, ये सब आपकी जानकारी के बिना कर रहे थे और अब? काफी कुछ ना सिर्फ आपकी जानकारी से, बल्की, खुद आपको साथ लेकर? जैसे अपने पैर पे खुद कुल्हाड़ी मारना?  

कहीं वो AA बना रहे हैं? कहीं BB या BC? कहीं CC या DD? कहीं EE, FF? या शायद in a या in b या in c या in d? या शायद ऐसी ही कुछ और खुरापात? अब तक परिणाम क्या हुए या जो अब चला रखा है, उसके आगे क्या हो सकते हैं?      

आपकी इंसान रुपी मशीन, उसका दिमाग और आपका समाज रुपी ताना-बाना (नेटवर्क), दोनों ही बहुत ज्यादा इन्फेक्टेड हैं शायद? जिसमें आप खुद को और अपनों को ही शक और खतरे के घेरे में रख रहे हैं। किसी भी माँ या बेटी, बाप या बेटे या ऐसे किसी और रिस्ते की ज़िंदगी की कहानियों को मिलाने की कोशिशें ऐसे ही वातावरण की देन होती हैं। ऐसे-ऐसे कुछ एक उदाहरण आपके आसपास ही मिल जाएँगे। कुछ में वक़्त रहते सही दिशा देने की गुंजाईश हमेशा रहती है। कुछ एक ऐसे भी उदाहरण आसपास होंगे, वो भी तरो-ताजा?        

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