राजनीती, जुआ और दुनियाँ का कैसा-कैसा नाश?
क्या हमारा डाटा किसी भी जगह की राजनीती और सिस्टम के हिसाब-किताब से हमारे जीवन की कहानी ही नहीं, बल्की, मौत के तौर-तरीके (जैसे बीमारी) और वक़्त और जगह भी लिख रहा है? Social Engineering upto what level?
ऐसा तो हो नहीं सकता की आप कहीं किसी पत्र की बात करें या उसके बारे में लिखें और कहीं उसके कुछ शब्द किसी नेता की मौत के इर्द-गिर्द सुनते नजर आएँ? भरम ही हो सकता है शायद? जैसे आज किसी पोस्ट में तेजा चूड़ा का नाम आया और कल तेजा खेड़ा और ओम प्रकाश चौटाला? ये तो कोई सेंस वाली बात नहीं हुई ना? भरम ही होगा शायद?
ऐसा भी नहीं हो सकता की आप किसी भूतवास की बात करें और बचपन का कोई देखा गया तमाशा जैसे, "इसमें भूत आ गए", की मौत पर, यादें बन दिमाग में घुम जाए? वहम की कोई तो सीमा होती ही होगी?
ऐसा भी नहीं हो सकता की आप कोई सफेद सीमेंट का पेंट अपने कमरे की दिवार पर करने लगें, जो कुछ वक़्त से ऐसे ही पड़ा था। और रात होते-होते सिर दर्द (वही लेफ्ट साइड) जैसे कह रहा हो, "सुबह उठ पाएगी क्या?" ये दिमाग में भी कोई चणक-सी आती है क्या? Like breakdown of cells? सिर इधर घुमाओ, ये क्या हो रहा है? ऐसा तो पैर की फिजियो के दौरान होता था। फिर उधर घुमाओ और फील करो गररर? और सुबह-सुबह उसका असर जैसे पैर पर भी नजर आए?
फिर कोई ऐसी खबर जैसे, कहीं मिलती-जुलती सी खबरों में नज़र आए? "सच में दिमाग खराब हो गया है? या दिमाग पे ज्यादा असर हो गया है?" -- जैसे कोई आर्टिकल कहता नजर आए? ये कौन जगह है दोस्तो? errr ये कौन दुनिया है कमीनो?
Social Engineering at individual level? बिमारियाँ और मौत तक डिज़ाइन कर रहा है ये सिस्टम? मगर व्यक्तिगत स्तर पर जितने लोगों को दुख-दर्द या बिमारियाँ दे रहा है, क्या उतनों को ही व्यक्तिगत स्तर पर राहत भी दे रहा है? यहाँ गड़बड़ घोटाला है? यहाँ औकात का सवाल आ जाता है?
कुछ जुर्म, कुछ सर्विलांस एब्यूज, कुछ टार्गेटेड अलगोज़ और कुछ conincidences? इन सबका मिलाजुला असर। सर्विलांस एब्यूज, करोड़ों लोगों का डाटा बड़ी-बड़ी कंपनियों के पास और? Genetics और Molecular Bio के स्तर पर एक term होती है Cumulative Effect. अलग अलग तरह के stress factors का असर?
गूगल की गूगली क्या कहती है?
(गूगली, क्यूँकि अलग-अलग search engines की algorithms थोड़े अलग से परिणाम दिखाती हैं।)
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