खाली दिमाग शैतान का घर? या खाली दिमाग क्रिएटिविटी या किसी तरह की जानकारी का साधन भी हो सकता है? शायद? क्यूँकि, भागम-भाग के रूटीन में सिर्फ deadline होती हैं? जिनका नाम ही dead से शुरु होता है? जिसमें शायद भेझा ही dead हो जाता है? या शायद किसी भी तरह का लम्बे समय तक एक जैसा रूटीन? वैसे तो ये किसी भी प्रोफेशन पर लागू होता है। मगर राजनीती और आगे बढ़ने या और ज्यादा कमाने या ज्यादा से ज्यादा पर अपना अधिकार करने वाले प्रोफेशंस पर ये ज्यादा लागू होता है?
खैर! पीछे लिखा कहीं भूतवास?
"अपने घर के किसी भी रिस्ते के झगड़े, बीमारी या मौत पर एक निगाह डालो। पहले ये राजनीतिक पार्टियों के भूत, ये सब आपकी जानकारी के बिना कर रहे थे और अब? काफी कुछ ना सिर्फ आपकी जानकारी से, बल्की, खुद आपको साथ लेकर?"
और लो, सच का याद दिला दिया जैसे। बचपन में हमारे घर के पास ही, एक घर होता था। स्कूल जाना ही शुरु किया था शायद। वहाँ कई बार, एक बुआ चिल्ला रहे होते थे, पता नहीं क्या अजीबोगरीब-सा और उनके घर वाले उन्हें खाट से बाँध देते थे। बड़ा डरावना-सा नजारा होता था। हम बच्चे दूर से देखते थे और वो बोलते थे इसमें भूत आ गए। दादा जी उसे मिर्गी का दौरा बोलते थे। तब मिर्गी या भूत, दोनों की ही जानकारी नहीं थी। एक दिन छोटा भाई पहुँच गया उनके घर के बाहर और उन बुआ ने कूटना शुरू ही किया था की अंदर से उन्हें पकड़ने आ गए उनके घर वाले और वो बच गया। मगर टेशुएँ ऐसे बहा रहा था, जैसे, सच में कोई अभी भी पीट रहा हो। दादी ने उसे बड़ी मुश्किल से चुप कराया था और कह रही थी, फिर जाएगा तमाशा देखने? जा, तेरे में भी भूत आ जाएँगे। और वो अभी भी काँपता-सा कह रहा था, अब कभी नहीं जाऊँगा। कल पता चला वो बुआ चल निकले। पता ही नहीं था की अभी तक ज़िंदा है। लगता ही नहीं था उन्हें देखकर, की वो बहुत ज्यादा जिएँगे। सदियाँ हो गई जैसे उन ज़मानों को। मगर कुछ वक़्त गुजारो तो फिर से अपने गाँव में, पता नहीं क्या-क्या दिख या सुन जाएगा। या दिखा या सुना या याद दिला देंगे, दिलाने वाले? राजनीतिक भूत? पता नहीं कहाँ-कहाँ की सैर करवा देंगे?
एक तरह से देखा जाए तो तब और अब में सच में सदियों-सा फासला है, गाँवों में भी।
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