गुमड़ियाँ की डॉक्टर भी कोना तू तै।
घणी बै बता ली तेरे तै, म्हारे उड़ै मत आया कर। मार दयाँगें ना तै।
MBBS मुन्ना भाई बड़बड़ा रहा हो जैसे, पीने के बाद?
ताऊ ईब तही कई गली और नाप ग्या। वो कितके दीमक के डीमडु पै रुकै था।
D MDU? ना, दीमक का डीमडूं। अर हरिणवी मैं अंग्रेज पाकणा हो तै? डीमडु।
राज? आहें राज। कद आगी बेटी तू? अर घर पै सब राजी खुशी सैं बेटी?
राज? आहें राज। कैद आगी बेटी तू?
प्रमोद हर कै अमरुद (Guava) कै अमरुद ना लागया करैं।
ये तो आपके घर के पीछे वाले घर (H # 30, Type-4) के पीछे वाले लॉन का विषय है जैसे? और यहाँ? किसके घर के Le ft या Rig ht का? एक छोटा-सा पौधा भी कितना कुछ कह रहा हो जैसे? अगर समझने की कोशिश की जाए तो? वहाँ के guava को क्या दिक्कत थी? Can cer सा कुछ होने लगा था? या शायद दीमक लग गया था? डीमडूं को या डीमडु को? यहाँ पे Cancer कहाँ-कहाँ और किसे-किसे और कब-कब लगा?
इसपे अमरुद कौन नहीं लगने देगा? यहाँ का राजनीतिक सिस्टम (Political System)? मगर क्यों?
लगने देगा या नहीं? हमेशा औकात का सवाल होता है? आप समझदार हैं, साधन-सम्पन हैं, तो औकात बढ़ जाती है। नहीं तो? हर छोटी मच्छली को बड़ी मच्छली या मच्छला खाता है? सभ्य समाजों में भी?
न्यारी ताई नै घड़ा तिवारी
और प्रोमिला के यहाँ किसकी सवारी?
मोलू नाई नै गब्दू कुम्हार का हौका ठोका?
और ये हुआ झमेला?
नाई आली पै ले ले ज़मीन। ना उड़ै गाम तै बाहर गढ्ढा मैं ले ले बे। यो रेडियो स्टेशन के पास का तिकोना बिकाऊ सै।
घणी पीसे आली हो री सै। छीन लो सब। करो राम नाम सत। माँ-बेटी, माँ-बेटी, माँ-बेटी को रोने वाले कौन प्रधान हैं ये? कैसे-कैसे लोगों के पास रहता है ये? ऐसे लोगों के पास, जो इसकी ज़मीन हड़पें। भाई की बीवी? और बहन के पैसों पे कुंडली और आगे के रस्तों पे रोड़े? और माँ का खँडहर तक गिराने के इरादे रखें? और लड़की को घर से बाहर करने के इरादे वाले लोग? अपने हैं ऐसे-ऐसे लोग? या दुश्मन?
इनमें और ऐसे-ऐसे और कितने ही narratives को सैट करने वाले कौन हैं? फ फ फ फ फ फूट डालो राज करो राजनीती? ऐसा सिस्टम? ऐसा माहौल?
इस सबमें जितना कार सेवकों या मंदिर-मस्जिद की राजनीती को समझना अहम है। उससे भी ज्यादा अहम है की भड़काने वाले कौन हैं और भड़कने वाले कौन? और भुगतने वाले कौन? सबसे बड़ी बात, ये मंदिर-मस्जिद की राजनीती कोई एक राजनीतिक पार्टी कर रही है? या सभी? मंदिर, मस्जिद या गुरु द्वारे? गिरजे वाले भी?
भड़काने वाले, गुप्त तरीकों से, ज्यादातर या शायद हमेशा ही साधन सम्पन मिलेंगे? कुर्सियों की दौड़ वाले मिलेंगे? ज़मीन-जायदादों और ज्यादा से ज्यादा संसाधनों पर कब्जे वाले मिलेंगे? और भड़कने वाले? ज्यादातर, कम पढ़े-लिखे, बेरोजगार और वंचित वर्ग शायद?
टाटा, बिरला, रिलायंस जैसे? बड़े-बड़े संस्थानों के मालिक जैसे? जैसे बड़े-बड़े मीडिया घराने? जो narratives को ईधर या उधर सैट करने में मदद करते हैं?
ऊप्पर दिए गए सभी उदाहरण कहीं सर्विलांस एब्यूज के साइड-इफेक्ट्स तो नहीं? उन बड़े लोगों या राजनीतिक पार्टियों द्वारा, जो आप सबको कंट्रोल कर रहे हैं? आपको भला कैसे पता लगेगा? आपको तो शायद सर्विलांस एब्यूज क्या होता है, यही नहीं पता था? और किस हद तक होता है, ये अभी तक भी नहीं मालूम। पढ़ते रहिए, शायद आगे-आगे समझ आ जाए की आप कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे, किन-किन बड़े लोगों की गोटियाँ बने हैं? या अभी भी बन रहे हैं?
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