Release my saving to this day happenings
वो कौन से इलेक्शन थे, जब MDU Finnace Officer ने बोला था की अभी इलेक्शंस चल रहे हैं, वहाँ व्यस्त हैं? रितु की मौत के आसपास कौन से इलेक्शंस चल रहे थे?
उसके बाद से क्या चल रहा है? इलेक्शन ही चल रहे हैं। कभी ये राज्य और कभी वो राज्य और कभी लोकसभा? क्या बकवास है ये?
बिहार इलेक्शंस?
बिहार के इलेक्शंस की preparation में बिहारी लोग हरि याना (?) के खेतों में धान उगाने आते हैं शायद? बारिश बहुत अच्छी होती है? और ये बिहार डूबता कब-कब है? बिहार या हरियाना या पंजाब? या दिल्ली? या असम? ये साँग अपनी तो समझ से बाहर है। कुछ ज्यादा ही काम्प्लेक्स नहीं है? पॉलिटिकल पंडित क्या-क्या पढ़ते होंगे? जबसे रितु गई है, तबसे ही कहीं न कहीं इलेक्शंस चल रहे हैं। क्यों, पहले नहीं होते थे वो? होते होंगे, मगर मेरे forms के साथ शायद तब इतना घपला नहीं होता था। या शायद होता भी होगा, तो मुझे इतनी खबर नहीं थी। थोड़ी बहुत ही थी। एक बायो का इंसान कहाँ-कहाँ निपटे? पहले spelling mistakes इधर उधर, फिर शब्दों की हेरा फेरी। फिर कलाकारों ने emails के attachment ही बदल डाले। आपको पता ही ना चले की क्या का क्या हो रहा है? एक ऐसी ही हेराफेरी के बाद ही कोई plane crash हुआ था। जैसे कह रहे हों, की अब भी पकड़ना चाहोगे कोई फ्लाइट? थोड़ा रुककर आपने कहीं और भर दिया form । पता नहीं कैसी-कैसी चिड़िया दिखा रहे हैं और कैसे-कैसे एक्टिव, इनएक्टिव :(
उससे भी बड़ी हद तो जब हो गई, जब कहीं और अप्लाई करने की सोची। सिर्फ सोची? हाँ, मैं कई पोस्ट्स पर टिक मार्क लगाकर एक फ़ोल्डर बना देती हूँ कहीं। और इन कलाकारों को पता होता है की इनमें से ही किसी पे अप्लाई करेगी। किसी पोस्ट पर मुझे लगा की मैंने अप्लाई ही नहीं किया। और ये क्या? इन कलाकारों ने अप्लाई दिखा दिया? ये तो जब न्यूज़ चली की फॉर्म अपने आप भरे जा रहे हैं और उनमें ऐसा-ऐसा हो रहा है सुना, तब दिमाग की बत्ती ने काम किया। अच्छा? डाउनलोड तो कर इन्होने वहाँ CV या Cover लैटर के नाम पर भरा क्या है? उफ़। किसी स्कूल में चपड़ासी की भी पोस्ट ना मिले।
फिर सोचा चल तब तक आसपास ही कहीं प्रोजेक्ट ले ले। वो तो मिल ही जाएगा। लो जी। लेकर तो दिखाओ। वो वेबसाइट ही नहीं खुलने दे रहे। या उलटी पुलटी तारीख दिखा रहे हैं। कौन-सी दुनियाँ है ये? जो नौकरी थी, ना वो करने दी। ना कहीं सेलेक्ट होने देंगे। और ना ही खुद का कोई काम करने देंगे। ऐसे तो कब तक जियेगा कोई? गुंडागर्दी की सब हदें, सब सीमाएँ पार।
इन्हीं को इलेक्शंस कहते हैं क्या? अगर हाँ, तो खुल के बात करो। क्यों कोढ़ म कोढ़ लगे हुए हो और जनता का भी फद्दू काट रहे हो? अरे नितीश बाबू, प्रशांत जी ये आपके राज्य में चल क्या रहा है?
इस सबसे कोई बीमारी भी निकलती है क्या? कुछ भी? ये 2020 में फिजियोलॉजी में नोबल प्राइज किसे मिला था? कौन सी यूनिवर्सिटी? कहाँ?
कौन सी बीमारी?
Hepatitus C और Liver का आपस में कोई लेना-देना है? और जिसको उस दिन कोई बीमारी बताई, उसका? उफ़। कौन-सी दुनियाँ है?
कहाँ का कहाँ, क्या कुछ मिलता जुलता सा है? पहले भी यहाँ-वहाँ के इलेक्शंस में ऐसा-सा ही कुछ चलता बताया? हमारी भोली-भाली जनता को इस सबको समझने की जरुरत है।