About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Sunday, September 28, 2025

ज़मीनखोरों के ज़मीनी धंधे, शिक्षा और राजनीती के नाम पर 18

कहाँ बात करने चले थे, अच्छी शिक्षा की सबको उपलब्धता की, वो भी मुफ़्त में? और कहाँ ये धन्ना सेठों पर पहुँच गए? अगर किसी भी राज्य या देश की सरकारी शिक्षा के बदहाल हैं तो मान के चलो वहाँ की सरकार और चंद धन्ना सेठ या प्राइवेट कम्पनियाँ उसके लिए जिम्मेदार हैं। जब तक उनके खिलाफ कुछ नहीं होगा, तब तक वो हाल ऐसे ही रहने हैं। जहाँ कहीं जितना ज्यादा सरकारी और प्राइवेट शिक्षा में फर्क होगा, उतना ही वहाँ के लोगों के बीच असमानता होगी। इसीका फायदा उठाकर, ये धन्ना सेठ या प्राइवेट संस्थान, आम लोगों का शोषण करेंगे। जितना ज्यादा असमानता होगी, उतना ही ज्यादा शोषण। ऐसे में ये लोगों को दिमाग से भी पागल बना देंगे, ऐसे जैसे, इन्हीं के पास दिमाग है। और बाकी सब पागल हैं। 

एक छोटा सा उदहारण देती हूँ (ये उदाहरण सर्विलैंस एब्यूज का भी है) 

मान लो आपने अपने किसी बेरोजगार भाईबंध को बोला, तेरी पेन्टिंग अच्छी है। उसमें आज के वक़्त में स्कोप भी काफी है। उसीसे सम्बंधित कुछ क्यों नहीं करता। फिर उन दिनों ये स्कूल का प्लान भी चल रहा था।  तो मैंने सोचा, चल इसे कुछ करने को दे दे। और मैंने बोला, अच्छा तू मेरे लिए ही कुछ बना दे। सामान सारा मेरा होगा और तुझे इस बहाने कुछ सीखने और कमाने को भी मिलेगा। कुछ-कुछ wall painting या mural के जैसा। हफ़्ते भर के अंदर ही पता चला, वो, नहीं वैसा कुछ सा, कहीं और चल रहा है। उन दिनों मैं उधर गाडी से अपने खेत के चक्कर लगाने जाती थी। सोचो कहाँ?

ये फोटो इस स्कूल के ही विडियो से ली गई है। 

आप लाइब्रेरी की बोलो और लो जी, ये तो कहीं और भी हो रहा है? जाने क्यों, यहीं कहीं दिखा। आप स्कूल बनाने की सोचो और लो जी, इंसान ही दुनियाँ से गुल?

कोई फिर भी उस पर काम करना चाहे तो? उस जमीन का एक हिस्सा ही गुल? इस गुल पे तो आना पड़ेगा। 

ये कैसा "कार-ओ-बार" है? 

ये फोटो इस स्कूल के ही विडियो से ली गई है।  

अब जो जमीन गुल करवाने में बिचौलिया रहा, उसे सुना नौकरी मिल गई, पुलिस की। सुना है इसमें भी बड़े हेरफेर हैं? अपना ही छोटा भाई है। पुलिस और चोर? चोर और पुलिस? या पुलिस ही 420? जो अपने ही बहन भाइयों को ना बख्शें, वो? तो भाई, इन स्कूल आलें कै एक ए जगह वो ढाई किल्ले कठ्ठे होए या ईब भी कमी रह री सै? अब कोई स्कूल अगर एक आध किल्ले में शुरु होगा, तो अपने बढ़ने के साथ-साथ, वो अपने आसपास को तो खाएगा? या बख्सेगा? वैसे जब शुरू हुआ, तो इस स्कूल के पास अपनी खुद की ज़मीन कितनी थी? कौन कौन से साल में इन्होने किस किस की ज़मीन खरीदी या हड़पने की कोशिश की? 

और आज?


यहाँ तो बस भी काफी सारी खड़ी हैं?
कितनी बस होंगी इस स्कूल के पास?
सुना है, एक दो साल में एक आध तो ले ही लेते हैं?  
और जिस ज़मीन पर खड़ी हैं, वो इनकी अपनी ही है?
या फोटो में कुछ भी दिखा देते हैं?
वैसे एक बस कितने की आती है? 
 
उसके साथ दो और भाइयों की बंजर की हुई ये जमीन भी?
स्कूल के चक्कर में कितनों को खा गए ये लोग?
लगता है, आसपास तो किसी को भी बढ़ने नहीं दे रहे?



सबसे बड़ी बात, सुना है ये तो गरीब स्कूल है?
तो अमीर स्कूल क्या कुछ करते होंगे?
वैसे गरीब स्कूल ऐसे ही होते हैं? यहाँ थोड़ी ही दूर, एक गरीब घर का बच्चा, शायद पहली क्लास में जाता है, इसी स्कूल में और सुना वो 2500 तो उसकी फीस देते हैं। और उनके हालात देखकर लग रहा है, की शायद 2500 तो वो पूरा महीना में नहीं कमा पाते होंगे? फिर उनका घर कैसे चलता होगा? ऐसे लोगों को बोलो, इतना परेशान रहते हो, सरकारी स्कूल क्यों नहीं भेझ देते? आप भी कोशिश कीजिए कभी कभार ऐसे लोगों से बात करने की, शायद कोई और ही दुनियाँ नजर आए। यही नहीं, ऐसे लोग बच्चों को घर पर होम वर्क तक नहीं करा पाते। तो ? जाने कितने तो? एक ही दुनियाँ के बड़े ही छोटे से आसपड़ोस में भी बस्ती हैं हज़ार दुनियाँ? वैसे सुना है एक यही स्कूल नहीं है इनका? और भी एक्सटेंशन खोले बैठे हैं। और फिर Bed का धँधा? वो तो घर बैठे बिठाए ही करोड़ों देता है। ऐसा खुद इन्हीं से सुना है।           

और अगर हॉस्पिटल्स की ऐसी सी ही कहानियाँ जानोगे, तो रौंगटे खड़े ही रह जाएँगे। 
 
और हमारी राजनीती के मुद्दे क्या हैं?   
कौन कितना हगता-मुतता है? या किसने किसको किस या मिस किया? या क्रिकेट? इंडिया-पाकिस्तान? धर्म, मजहब, जातपात? और यही सब कर, ये अपनी जनता को गोली सा लूट जाते हैं? ठीक वैसे ही जैसे, हमारा भड़ाम भड़ाम भड़ाम मीडिया?      

No comments: