जहाँ बाबाओँ के पास महल
और
शिक्षा के मंदिरों के कंगालों से हाल हों।
मान के चलो,
वहाँ आमजन के हाल बहुत सही नहीं होंगे,
जहाँ गरीब अपने दुख-दर्द मिटाने के चक्कर में,
अमीर और खाऊ-पिऊ मंदिरों को दान करते हों,
मान के चलो,
वहाँ गरीब और गरीब,
और अमीर और अमीर होते जाएँगे।
जहाँ पढ़ने-लिखने के मंदिरों से ज्यादा,
धर्म के संस्थान हों।
(संस्थान और मंदिर एक ही बात है ना?)
मान के चलो,
वहाँ की जनता अपने नेताओं की गुलामी में होगी।
क्यूँकि,
धर्म या कोई भी संस्थान,
किसी न किसी आस्था पे ही बना है या टिका है।
और वहीँ से आगे बढ़ा है।
हमारे शिक्षा के संस्थान,
जब इन मंदिरों, मस्जिदों, जैसे-से,
महल दिखने लग जाएँगे।
मान के चलो,
उस दिन हमारे यहाँ के पढ़े-लिखे,
अमेरिका की तरफ नहीं भाग रहे होंगे।
कांग्रेस या आप जैसी पार्टियों के डूबने की एक वजह, शायद ये भी है?
पता नहीं।
मगर इस दौरान कुछ एक फोटो, लेख या विडियो बड़े ही रौचक लगे।
जैसे? जानते हैं आगे पोस्ट में।
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