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Friday, March 14, 2025

ABCDs of Views and Counterviews? 59

 Interesting Saga, of not so interesting stories?

Real?

Unreal?

State?

Estate?

or Fraud?


कहानियाँ? 

इधर-उधर की?

 जाने किधर-किधर की? 

कुछ दूर के?

या शायद कुछ पास के?

रिस्ते जैसे?

या? 

कहानियाँ किन्हीं के घरों के, 

ना मिलने की?

यूँ सालों-साल?

या दशकों शायद?

कैसे गुँथती हैं, ये राजनीतिक पार्टियाँ? 

ऐसे-ऐसे से किस्से-कहानीयाँ?

और ऐसी, ऐसी-सी?

या कैसी कैसी-सी?

यूँ, ज़िंदगियों की बर्बादियां?

World of Illigal Human Experimentation?

Or much more than that?   

हमारी राजनीती एक ऐसा Ecosystem कैसे develop करती है, की जिसमें MLA, MP वगैरह को, ऐसे-ऐसे प्लॉट या ज़मीनें या बने-बनाए घर और फ्लैट तक मुफ़्त में या गिफ़्ट में मिलते हैं?

सच है क्या ये?

और आम आदमी? वो बेचारा पता नहीं, ज़िंदगी भर कहाँ उलझा रहता है?

आपको मालूम है क्या, कुछ ऐसे नेताओं या राजनीती वालों के नाम जिनको ऐसे-ऐसे गिफ़्ट मिले हुए हैं? काफी सालों पहले रोहतक के ही कई ऐसे नेताओं के नाम सामने आए थे। कभी कुछ होता देखा है, उन लोगों के खिलाफ कुछ? और आम लोग अपनी ज़िंदगी भर की पूँजी दाँव पर लगा देता है? बदले में मिलता क्या है?

ये? 


या शायद पिछे कोई बुलडोज़र बाबा का विडियो देख रही थी, जिसमें था "कोई सामने ही नहीं आया माँगने, हमने तो बोला था की जिनका गया है, उन्हें वापस देंगे"? ऐसा ही कुछ?

पता नहीं इन नेताओं या बाबाओं को कितना पता है की कितने ही बने-बनाए घर, छोटे-बड़े, बँगले और बहुमंजिला इमारतें तक सालों खाली पड़ी रहती हैं। सिर्फ कोढों के हेरफेर में? जिनपे थोड़े-से पैसे लगाकर, कितने ही बेघर लोगों को दिया जा सकता है। मगर, शायद ऐसा करने से राजनीती के कोढों का खेल तो नहीं बिगड़ जाएगा? या किसी तरह के अहम या अहँकार की मूछें उतर जाएँगी? शायद?  

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