जैसे?
ये अभी मैंने जो लिखा ऐसा-सा ही कुछ है, क्या?
इस फोटो का यहाँ रखने का मतलब,
किसी पार्टी विशेष या आदमी विशेष की खिलाफत नहीं है।
क्यूँकि, मंदिर, डेरे, मस्जिद, या बाबाओं के महल या मंदिर या किसी भी धर्म के स्थान तो पता नहीं कहाँ-कहाँ, कितने ही भव्य मिल जाएँगे। इससे तो कहीं ज्यादा।
मगर कुछ ऐसा है, जो शायद कह रहा है,
बूझो तो जाने?
Presentation?
Perception?
किसी भी आस्था को घड़ने का और उस घड़ी हुई आस्था का तहस-नहस करने का भी साधन है? और आदमियों को रोबोटों की तरह चलाने का भी। आपको क्या, कैसे, और क्यों, दिखाया, बताया या समझाया गया है, उसके अनुसार आप कुछ भी कर सकते हैं? जैसे Echo Chambers?
अब नेताओं से परे, बाबाओं से परे, या मीडिया से परे, किसी यूनिवर्सिटी का कोई लेख पढ़ें? चलो सिर्फ कोई फोटो देखें? आप चाहें तो, उस वेबसाइट पर जाकर लेख भी पढ़ सकते हैं।
ये फोटो ऑस्लो यूनिवर्सिटी के रैक्टर के ब्लॉग से ली गई हैं।
ऐसे ही, इसी यूनिवर्सिटी का ब्लॉग ही क्यों? आप किसी और का भी पढ़ सकते हैं? और ब्लॉग ही क्यों? किसी भी संस्थान की वेबसाइट पर बहुत सारी जानकारी होती है। जिसमें काफी कुछ बिना उन विषयों की जानकारी हुए भी समझ आने लगता है। काफी कुछ अच्छा भी और बहुत कुछ ऐसा भी, जो शायद किसी भी कुछ जानने की इच्छा रखने वाले इंसान को, शायद बहुत कुछ बताता है। अब ये शायद हम पर निर्भर करता है, की हम क्या जानना चाहते हैं?
मेरा ये सब यहाँ रखने का क्या मतलब है? शायद ये जानने की कोशिश करना, की यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान किसी भी धर्म को कैसे देखते हैं? और शायद ये भी, की किसी भी यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान को कैसे प्रभावित करते हैं? और वहाँ की राजनीती उसमें किस तरह की भूमिका निभाती है? फिर चाहे धर्म कोई भी हो। कहाँ के धार्मिक संस्थान या शिक्षण संस्थान पैसे वाले हैं? और कहाँ के कँगाल?
धर्म, विज्ञान और राजनीती की खिचड़ी पक के क्या बनता है? किसी समाज का Ecosystem या Cult? कहाँ-कहाँ की राजनीती, किस-किस तरह की अफीम खिला रही है? और वो भी लोगों की जानकारी के बिना? अपने यहाँ के बारे में, आप जानने की कोशिश करो। मैं अभी जहाँ हूँ, वहाँ के बारे में जितना समझ पाई, उसे बताने की कोशिश करती हूँ।
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