दुनियाँ उतनी छोटी या दकियानुशी या दिमागी गरीब नहीं है, जितना आपका दिमाग जानता है। ये खासकर उनके लिए, जो नाली, गली, लेबर बंद करने, पानी बंद करने या खाने या पानी में अपद्रव्य या जहर डालने या हवा को जानबूझकर प्रदूषित करने, लोगों को उनके रहने या काम करने के स्थानों खदेड़ने या ऐसे ही और लोगों की ज़िंदगियों में रोड़े अटकाने या लोगों को जानबूझकर मारने का काम करते हैं या करवाते हैं। दुनियाँ, इस सोच से कहीं ज्यादा बड़ी है। दुनियाँ का बहुत छोटा हिस्सा है, जो ये सब करवाता है। और उससे थोड़ा बड़ा, जो ये सब करता है।
मगर उससे कहीं ज्यादा बड़ा हिस्सा, अपनी और अपने आसपास की ज़िंदगियों को सँवारने में व्यस्त है। इन लोगों के पास इतना वक़्त ही नहीं है की ये अपना कीमती वक़्त किसी का बुरा सोचने में भी लगाएँ। फिर करने वाले तो यूँ लगता है, ज़िंदगी का कितना बड़ा हिस्सा, इसी में लगा देते हैं?
फिर दुनियाँ का एक हिस्सा वो भी है, जो अपने और अपने आसपास से थोड़ा दूर भी भला करने में लगा है। उसमें सिर्फ कुछ लोग जो अलग-थलग रहकर काम करते हैं, वही महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्की, काफी सारी संस्थाएँ भी ऐसा करती हैं। कहीं के भी शिक्षा के संस्थान, उसमें अहम भुमिका निभाते हैं। मगर बहुत बार, उन संस्थानों में कुछ राजनितिक ताकतें, शायद ज्यादा प्रभावी हो जाती हैं। और ऐसे वक़्त में, उन ताकतों पर निर्भर करता है की वो वहाँ के समाज को कहाँ लेकर जाएँगी?
या शायद, कहीं का भी समाज आज उतना स्थानीय (Local) नहीं है, जितना कभी होता था। और दुनियाँ भर की राजनीती, दुनियाँ के हर कोने को किसी न किसी रुप में प्रभावित करती है। और ऐसा ही कोई समाज का हिस्सा, कहीं न कहीं, किसी भी अति या दुष्प्रभाव वाली ताकत या ताकतों को रोकने का काम भी करता है? कोरोना काल में शायद ऐसा ही कुछ देखने को मिला? आप कहीं भी कुछ कर रहे हैं, तो मान के चलो की आपको देखने, सुनने और फिर उस पर अपने सुझाव या प्रतिकिर्या देने वाले दुनियाँ के हर कोने में हैं। और उस सुझाव या प्रतिकिर्या का असर ना सिर्फ उनके अपने समाज में होता है, बल्की किसी न किसी रुप में दुनियाँ भर में होता है। शायद ऐसे ही बहुत से लोगों ने कोरोना के दौरान, कितने ही लोगों को मरने से बचाने में सहायता की। और उसके बाद, कितने ही लोगों ने ये दिखाने या समझाने में, की दुनियाँ भर का सिस्टम काम कैसे कर रहा है? मैं इसी सब को समझने या लोगों को समझाने में व्यस्त हूँ। शायद, इसलिए मुझे अपने विषय से दूर जाने की जरुरत नहीं पड़ी। बल्की, वो तो इस सब में अहम कड़ी बनकर उभरा है।
दुनियाँ में कहीं भी, किसी वक़्त क्या चल रहा है, वो दुनियाँ के किसी दूसरे कोने में बैठे लोगों को भी प्रभावित कर रहा है क्या? शायद हाँ, शायद ना? जानने की कोशिश करें, ऐसे ही, कहीं के भी Random से, कुछ लेखों से?
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