ज़मीन खोरों के जबड़ों में किसान और आम इंसान?
या ज़मीन खेतखलिहान
और
शिक्षा और राजनीती के नाम पर, ज़मीन हड़पने के अभियान?
ये सब यही है क्या?
रोज-रोज आती
खामखाँ-सी, फ़ालतू-सी इमेल्स?
स्पैम जैसे कोई?
या?
बीच में बलदेव सिंह की ज़मीन और दोनों तरफ?
शिक्षा के नाम पर ज़मीनखोर?
ज़मीनी धंधे वाले? हरदेव सिंह की ज़मीन?
दोनों भाईयों की बराबर नहीं थी जमीन तो?
फिर ये कैसे?
थी?
तुमने शिक्षक बनकर उनके लिए कमाया?
और उन्होंने?
उसी शिक्षक को भी खाकर
अपने धंधे को आगे बढ़ाया?
शिक्षक ने अपना खुद का स्कूल बनाने की क्या सोची?
उसको भी ठिकाने लगा दिया?
और उस ज़मीन को भी हड़पम-हड़पायी?
या ऐसे?
ऐसे?
गोलमाल है भई, सब गोलमाल है?
सोना से, सोनि आ?
और सोनि आ से सोना लिका?
कहीं नेता का हिस्सा?
तो कहीं शिक्षा के नाम पर?
ज़मीनखोरों का?
ज़मीनी धंधा?
और उनके बीच
आम इंसान पिसता ऐसे,
साँड़ों के बीच में जैसे?
इंसान सिर्फ कोई झाड़?
जैसे चाहें, वैसे ठिकाने लगा दें?
कब किन सत्ताओं को
या
राजनीतिक पार्टियों को फर्क पड़ता है?
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