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Wednesday, May 7, 2025

Psychological warfare, Setting the narratives 2

आप abcd सीख रहे हैं, इकोनॉमी (economy) की? बाजार, मार्केट या स्टॉक बाजार क्या होता है, उसकी? चलो अच्छा है, देर आए, दुरुस्त आए। एक ठीक-ठाक सी ज़िंदगी जीने के लिए इसे समझना बहुत जरुरी है।

आम इंसान हर रोज युद्ध लड़ता है। उसकी ज़िंदगी में हर रोज किसी न किसी तरह की जंग चलती ही रहती है। उसकी उस जंग को थोड़ा कम करने या आसान बनाने में जो सहायता करता है, वो हैं आपके अपने? सरकारें या कोई भी राजनीतिक पार्टी, आपकी ये सहायता तब तक नहीं करती, जब तक उनकी अपनी कोई स्वार्थ सीधी ना हो? सरकारों की या राजनीतिक पार्टियों की अपनी स्वार्थ सीधी क्या होगी? कुर्सियाँ? और ज्यादा कुर्सियाँ? और ज्यादा वक़्त तक के लिए कुर्सियाँ? वो कुर्सियाँ क्या आपका भला करने के लेते हैं? इतनी मारामारी उन कुर्सियों की क्या आपके लिए होती है? संभव है क्या? ज्यादातर, उनके अपने निहित स्वार्थ होते हैं। उन निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए ही इन राजनीतिक पार्टियों ने Conflict of interest की राजनीती के जाले बुने हुए हैं, हर जीव और निर्जीव के इर्द-गिर्द। ये निहित स्वार्थ हैं, ज्यादा से ज्यादा पाने की होड़। पैसा, ज़मीन-ज़ायदाद और वर्चस्व। कण्ट्रोल, जहाँ कहीं और जितना आप कर सकें। 

इसमें  Psychological warfare क्या है?

कहीं आप पढ़, सुन रहे हैं, की किस कदर आपको रिकॉर्ड और मैनिपुलेट (Manipulate) किया जा रहा है? कैसे आपको रोबॉट-सा प्रयोग या दुरुपयोग किया जा रहा है? वो भी आपके खिलाफ और आपके अपनों के ही खिलाफ?

Setting the narratives, Psychological warfare है।  

युद्ध, युद्ध, युद्ध? युद्ध मुद्दा है क्या? फिर क्या है? मुद्दों से ध्यान भटकाने की राजनीती? कौन रच रहा है? राजनीतिक पार्टियाँ? बाजार? टीवी चैनल्स? या इन सबकी मिलीभगत?   

मीडिया कल्चर? और मानव रोबॉटिकरण?           

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