AI and Human Robotication?
AI and Elections?
आपकी अपनी पहचान से खिलवाड़ और राजनीतिक चालें और घातें?
(Mistaken Identities and Political Maneuvers)
मानसिक शोषण या अत्याचार? आपकी पहचान धूमिल कर या मिटाने की कोशिश?
कोई भी और किसी भी तरह की कमी, लालच या डर?
Metaphores Vs Facts
घोर सर्विलांस एब्यूज के इस दौर में आपकी पहचान क्या है? वो राजनीती और सिस्टम के हिसाब से कैसे बनती और बिगड़ती है?
आप अपने बारे में क्या सोचते हैं, इससे बहुत ज्यादा फर्क पड़ता है। उस सोच को कौन-कौन और कैसे-कैसे आपके आसपास के तत्व तोड़ते-मड़ोड़ते हैं? अगर इसकी जानकारी और आपको गिराने या पीछे धकेलने वाले ऐसे कारणों और कारकों को आप पहचानना शुरू कर देंगे, तो बहुत-से ज़िंदगी के अवरोधों से वैसे ही निपट लेंगे। क्यूँकि, आपको शायद समझ आए की जो समस्या आपको दिखाई, बताई या समझाई जा रही है या आपके दिमाग में फिट की जा रही है, वो आपकी समस्या ही नहीं है। तो आप क्यों उससे 2-4 हो रहे हैं? या बुरे-भले हो रहे हैं? अगर आप कम पढ़े-लिखे हैं और आज के टेक्नोलॉजी शोषण से बिल्कुल अंजान, तो? ये समस्या कुछ ज्यादा ही विकराल हो सकती है।
मानसिक शोषण और अत्याचार
आप कम पढ़े-लिखे हैं और कोई जीविका का साधन या नौकरी या व्यवसाय भी नहीं है? तो शायद राजनीती के जालों में ज्यादा उलझे मिलेंगे। अगर आपका कोई खास अपना राजनीती में नहीं है, तो ये खेल दूर से देखने और समझने का विषय है। ना की किसी की भी भक्ती करने का।
पास से अगर इसे देखने-समझने लगोगे तो पता चलेगा, आज के राजनीती के दौर में राजनीतीक पार्टियाँ हैं ही नहीं। सिर्फ गुट हैं। और एक ही पार्टी में कितने ही गुट हो सकते हैं। इस पार्टी का कोई एक गुट या नेता किसी दूसरी पार्टी के ज्यादा करीब हो सकता है, बजाय की अपनी राजनीतिक पार्टी के। इसीलिए, उन्हें फलाना-धमकाना की A-टीम, B-टीम वैगरह कहा जाता है। मुझे तो ये A B C टाइप ग्रेडिंग ज्यादा लगता है।
ठीक ऐसे-ही, आपके कितने ही मत या विचार, आपके अपने नहीं होते। बल्की, किसी खास पार्टी द्वारा आप पर थोंपे हुए हो सकते हैं। और आपने उन्हें अपने पैदल भेझे का इस्तेमाल किए बिना, ना सिर्फ मान लिया है, बल्की, उनके नाम पर अपने ही लोगों को उल्टा-पुल्टा बोलना या उनसे अजीबोगरीब झगड़े भी ले लिए हैं। ये सब मानसिक शोषण और अत्याचार है, राजनीतिक पार्टियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों द्वारा लोगों पर थोंपा हुआ । ऐसी राजनीतिक पार्टियाँ और कंपनियाँ, जिन्हें आपकी ज़िंदगी की खुशहाली से कोई लेना-देना नहीं है। मगर, आप उनके उपयोग का अनोखा संसाधन है। जिसका दोहन, वो आपकी जानकारी के बिना और इज्जाजत के बिना कर रही हैं। अब आप अपने लिए या अपनों तक के लिए काम नहीं करेंगे, तो कोई ना कोई तो आपका प्रयोग या दुरुपयोग करेगा ही?
मानसिक शोषण आपकी समस्याएँ, आपकी ताकत और कमजोरियों के आँकलन के बाद ही संभव है। उसमें कुछ भी हो सकता है। जैसे अगर कोई विधवा है तो उसके उसी स्टेटस और उससे उपजी किसी खास सामाजिक परिवेश की समस्याओं को भूना कर, खुद आपके और आपके अपनों के ही खिलाफ भी प्रयोग किया जा सकता है। या कहना चाहिए की किया जा रहा है। अब आसपास ही कितने ही तो ऐसे इंसान हैं, जिनके साथ ऐसा हो रहा है। सबसे बड़ी बात, इसमें पुरुष या महिला होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। हाँ, सामाजिक परिवेश के हिसाब से अलग-अलग तरह के शोषण हो सकते हैं।
ऐसे ही, किसी ससुराल छोड़ या निकाल दी गई लड़की के केस में हो सकता है। या कोर्ट के अधीन सालों से पड़े, किसी लड़की या लड़के के केस में।
ऐसे ही, किसी अविवाहित लड़की या लड़के के केस में। सामाजिक परिवेश और आपकी खुद की सोच भी उसमें काफी प्रभाव डालते हैं।
ये सब तो जैसे सदियों से चल रहा हैं। मगर, बहुत कुछ ऐसा भी है जो टेक्नोलॉजी की देन ज्यादा हैं शायद। जैसे, Mistaken Identities and Political Maneuvers आपकी अपनी पहचान से खिलवाड़ और राजनीतिक चालें और घातें। कुछ-कुछ ऐसे ही जैसे, अश्व्थामा मारा गया। इतने से हेरफेर में, अगर टेक्नॉलजी या ज्ञान-विज्ञान के थोड़े और तड़के लग जाएँ तो?
नाम के हदभेद?
जगह के हदभेद?
खंडहरों तक पर मारा-मारी?
या और भी कितनी ही तरह की राजनीतिक चालें या घातें हो सकती हैं? जानने की कोशिश करते हैं आगे।
ये BSNL के इंटरनेट को कल से क्या हो रखा है?
और मेरा वोडाफ़ोन नंबर, मेरे घर पर होते हुए कब तक इंटरनेशनल लोकेशन के अनुसार इंटरनेट रॉमिंग में रहेगा?
पढ़ने में आया है, की आसपास ही कुछ फालतुओं ने किया हुआ ये सब। ऐसे लोग, जो हमेशा इस पर निगाह रखते हैं, की आप उनके अनुसार क्या बोल सकते हैं और क्या लिख सकते हैं। चुनावों के आसपास ज्यादा खतरा हो जाता है क्या?
कहीं ऐसे से ही कारनामों को EVM hack तो नहीं बोलते?
No comments:
Post a Comment